हॉरर सीरीज़ - शैतान का मंदिर
प्रकाश खेत में बाद में जाना, पहले यह खिचड़ी(काली उड़द की दाल और चावल) शैतान के मंदिर में चढ़ाकर आ।
कल चला जाऊंगा माँ, आज मेरा मन नहीं कर रहा है। कितनी ऊपर बना है शैतान का मंदिर, वो भी एकदम पहाड़ी पर जंगल के बीच। कोसी(नदी) पार करके जाना पड़ता है वहाँ।
तो क्या हो गया बेटा?
गाँव के हर घर से शनिवार के दिन खिचड़ी चढ़ती है शैतान के यहाँ। सभी लोग तो जाते है वहाँ, तुझे क्यों इतनी परेशानी होती है वहाँ जाने में?
क्योंकि मैं इन सब बातों में विश्वास नहीं करता माँ।
बेटा तेरे विश्वास करने या ना करने से शैतान को कोई फर्क नहीं पड़ता। लेकिन जिस घर से खिचड़ी नहीं पहुँचती शैतान के मंदिर में, उस घर को फिर शैतान का क्रोध झेलना पड़ता हैं और मैं नहीं चाहती हमारे परिवार पर कोई तकलीफ आए।
बरसों से चली आ रही है यह परंपरा हमारे गाँव में, आज तक किसी ने निरादर नहीं किया इसका। इसलिए तू भी उल्टी राह पर चलने की कोशिश मत कर।
ओह हो! अच्छा माँ नहीं करूँगा, लेकिन एक शर्त पर, आपको पहले मुझे शैतान की कहानी सुनानी होगी।
ठीक है चल सुनाती हूँ, आ बैठ मेरे पास।
बहुत सालों पहले हमारे गाँव में एक मुस्लिम लड़का आया था। उसका नाम हामिद था, देखने में सुंदर, हट्टा कट्टा नौजवान।
उस समय हमारे गाँव में सारे ब्राह्मण रहते थे। कोई हामिद से ज्यादा बात नहीं करता था। एक दिन जोशीजी की लड़की मीना कोसी पर नहाने गयी थी अकेले क्योंकि दोपहर को कोसी की तरफ कोई आता-जाता नहीं था।
लेकिन अचानक बारिश होने लगी जिससे कोसी के पानी का स्तर बढ़ गया और कोसी तेज गति से बहने लगी। मीना को तैरना आता था लेकिन अचानक उठे तेज बहाव के कारण वो अपने आपको संभाल नहीं पा रही थी।
घबराहट के मारे वो मदद के लिए चिल्लाने लगी बचाओ-बचाओ। किस्मत से हामिद कोसी पार करके दूसरी तरफ अपने गाँव चुकुम जा रहा था। जब उसने चीख की आवाज सुनी तो देखा एक लड़की मदद के लिए चिल्ला रही है बचाओ-बचाओ। वो बिना कुछ सोचे समझे झट से कोसी में कूद गया और मीना को बचाकर नदी से बाहर ले आया।
मीना डर के मारे हाँफ रही थी। हामिद ने उसकी पीठ को सहलाया तो थोड़ा पानी उसके मुँह से बाहर निकला। हामिद उसके पाँव के तलवे मलने लगा। थोड़ी देर बाद जब वो सामान्य हुई तो, उसने अपने कपड़े ठीक किये, हामिद को धन्यवाद बोला और जाने लगी।
तभी हामिद ने पूछा…..अब तुम ठीक हो क्या?
हाँ मैं ठीक हूँ अब।
तुम्हारा नाम क्या है?
मीना जोशी और तुम्हारा?
मेरा नाम हामिद खान है।
ओह तो तुम मुस्लिम हो।
तो क्या हुआ मैं मुस्लिम हूँ तो?
यह ब्राह्मणों का गाँव है, हम नीची जात वालों के घर का पानी तक नहीं पीते और तुमने तो मुझे….
हाँ मैंने तो तुम्हें छू लिया। क्या करता तुम्हारी जिंदगी बचाता या हिन्दू-मुसलमान का हिसाब लगाता उस वक्त। धर्म अपनी जगह है और किसी की जान बचाना अपनी जगह।
इसलिए तो धन्यवाद कह रही हूँ। इस बात का जिक्र तुम किसी से मत करना और मैं भी अपने घर में नहीं बताउंगी कि तुमने मुझे नदी में डूबने से बचाया है?
ऐसा क्यों मीना?
मेरे बाबा को मेरा मर जाना मँजूर होगा लेकिन किसी मुस्लिम के द्वारा मुझे बचाना नहीं।
चलो मैं चलती हूँ, मुझे देर हो रही है।
मीना चली जाती है और मैं उसे जाते हुए देखता रह जाता हूं।
घर आकर रात को सोता हूँ तो नींद नहीं आती। बार-बार आँखों के सामने मीना का भीगा हुआ चेहरा नज़र आ रहा होता है। गोरा रंग, पहाड़ी आँखे, गुलाबी होंठ और उस पर लंबे बाल। इतनी सुन्दरता, इतनी मासूमियत तो पहले कभी देखी नहीं थी मैंने। सच कहूँ तो जितने मनमोहक पहाड़ हैं, उतनी यहाँ की लड़कियां।
जिस वक़्त मीना जाती थी कोसी पर, मैं भी उसी वक़्त जाने लगा। रोज़ किसी ना किसी बहाने हम मिलने लगे और हमारे दिलों में प्यार का बीज अंकुरित होने लगा।
एक दिन मैंने मीना से पूछा…… निकाह करोगी क्या मुझसे?
हामिद हमारी किस्मत में सिर्फ प्यार है, शादी नहीं।
मेरे घरवाले हम दोनों को मारने में जरा भी नहीं हिचकेंगे।
मीना हम दोनों यहाँ से भाग जायेंगे।
कहाँ भागकर जायेंगे हामिद? एक तरफ जंगल और दूसरी तरफ सारा गाँव।
जंगल की तरफ भागेंगे तो जंगली जानवर हमें खा जाएंगे। शहर की तरफ भागेंगे तो गाँव वाले वहाँ पहुंचकर भी हमें मार डालेंगे।
उन्हें नहीं पता था कि गाँव के लड़के महिपाल ने उन्हें बातें करते हुए देख भी लिया है और सुन भी लिया है। उसने घर जाकर सारी बात मीना के बाबा को बता दी।
मीना के घर पहुंचते ही जो मीना के चेहरे पर थप्पड़ों की बरसात हुई कि उसकी गूँज पूरे गांव को सुनाई दी।
हामिद को जब यह बात पता चली तो वो मीना के घर दौड़ा-दौड़ा आया उसे देखने के लिए। मीना की नाक से खून बह रहा था। हामिद को देखते ही वो बोली…..तुम भाग जाओ यहाँ से हामिद, ये तुम्हें मार डालेंगे।
मैं कुछ कहता इससे पहले ही मुझे और मीना को ले जाकर खेत में काट डाला गया। बस एक चीख निकली हम दोनों की और किस्सा ख़त्म। मीना की लाश का अंतिम संस्कार कर दिया गया और मेरी लाश को जानवरों के लिए जंगल में छोड़ दिया गया। शरीर खत्म हो गया और मैं शैतान बनकर भटकने लगा।
कुछ दिनों बाद खबर आयी पूरा गांव जलकर खाक हो गया और उसके बाद से कोई ब्राह्मण वहाँ बस नहीं पाया।
गाँव में बाहर से आकर सब शुद्र जाति के लोग बसने लगे। अगर गलती से कोई ब्राह्मण उस गांव में बस जाता तो अगले दिन उसकी लाश मिलती थी जंगल में।
आसपास के सभी गाँवों में दहशत फैल गयी थी कि अब शैतान हर गाँव में ब्राह्मणों को ढून्ढ-ढून्ढ कर मारेगा। रात होते ही यह डर और भी बढ़ जाता था। शाम होते ही सब अपने-अपने घर में सिमट जाते थे। लेकिन शैतान को क्या फर्क पड़ता था, शाम होते ही वो निकल जाता था। जिसके घर के दरवाजे पर दस्तक हुई वो मारा जाता था।
शैतान के प्रकोप से बचने के लिए सब गाँव वालों ने मिलकर जागर (जागरण) लगाए और एक आदमी पर नरसिंह देवता नाचने लगे।
उन्होंने कहा….. तुम सब गाँव वालों पर हामिद का दोष लगा है। तुम लोगों ने उसे मारकर इंसान से शैतान बना दिया है। इसलिए इस समस्या का एक ही उपाय है तुम्हें कोसी के सामने वाली पहाड़ी पर उसका मंदिर बनाना होगा और हर शनिवार वहाँ खिचड़ी चढ़ानी होगी। जो नहीं चढ़ायेगा वो उसको, उसके घर से उठाकर ले जायेगा।
तब से बरसों से यह परंपरा चली आ रही है।
प्रकाश शैतान की कहानी सुनकर निशब्द हो गया था लेकिन अभी भी उस पर पूरी तरह विश्वास नहीं कर पा रहा था। उसकी एक आदत दी जिस काम के लिए उसे मना किया जाये वो जरूर करता था।
हमेशा तो उसके बाबा ही जाते थे खिचड़ी चढ़ाने, लेकिन आज वो घर पर नहीं थे तो माँ ने उसे कहा था। कोसी पार कर वो शैतान के मंदिर पहुंच गया। कोई भी नहीं था उस वक्त वहाँ।
प्रकाश बोला….हामिद भाई सब तुम्हें शैतान कहते है और हर शनिवार को तुम्हें खिचड़ी चढ़ाने आते हैं। ऐसा सुना है कि जिस घर से खिचड़ी नहीं आती तुम उस घर के एक सदस्य की जान ले लेते हो।
मुझे लगता है यह सब मनगढंत कहानी है जिसे लोग आँखे बंद कर बरसों से मान रहे हैं।
आज मैं माँ की दी हुई खिचड़ी जो तुम्हें चढ़ाने के लिए लाया था, अभी तुम्हारे सामने पहाड़ से नीचे फैंक रहा हूँ। अगर तुम सच में शैतान हो तो मेरी जान लेकर दिखाओ।
प्रकाश खिचड़ी नीचे फेंक देता है और शैतान के मंदिर से नीचे उतरना शुरू कर देता है।
अचानक ही आंधी चलने लगती है, जोरों से बिजली चमकने लगती है और तेज बारिश होने लगती है।
प्रकाश का पाँव पहाड़ी से फिसलता है और वो नीचे गिर जाता है। पहाड़ी के नीचे खिचड़ी बिखरी हुई होती है और उसके ऊपर प्रकाश की लाश पड़ी हुई होती है।
गाँव में यह खबर आग की तरह फैल जाती है। प्रकाश के माता-पिता लाश के पास बैठे फूट-फूटकर रो रहे होते हैं और गाँव के लोग सदमे में होते हैं। सबकी जुबान पर एक ही बात होती है…..शैतान ने प्रकाश को मारा है।
हर बात के पीछे तर्क करना ठीक नहीं होता खासकर उन बातों में जहाँ जान का खतरा हो।
❤सोनिया जाधव
Shrishti pandey
08-Jan-2022 04:49 PM
Badhiya kahani
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Seema Priyadarshini sahay
06-Jan-2022 06:00 PM
अच्छी कहानी
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Simran Bhagat
06-Jan-2022 01:34 PM
Nyc
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