हम तुम- भाग 3
भाग 3
सुबह ऑफिस में आते ही आदित्य देखता है कि सबसे पहले पहुँचने वाली अदिति अभी तक आयी नहीं है। तभी थोड़ी देर में सुमित भी आ जाता है और आदित्य से हाय-हैलो करने के बाद अपने काम पर लग जाता है।
आदित्य से रहा नहीं जाता, वो आखिरकार सुमित पूछ ही लेता है…..
आज तो तेरी पार्टी थी और तेरी बहन अदिति आज ऑफिस ही नहीं आयी, वाह!
सुमित….ओए आदि, बहन होगी तेरी, मेरी सिर्फ दोस्त है। इंटरव्यू देने गयी है, हाफ डे में आ जायेगी। समझ नहीं आता, वैसे तुझे वो पसन्द नहीं है लेकिन हर बार घूम-फिरकर उसी के बारे में बात करने लग जाता है। आखिर चक्कर क्या है, बताएगा मुझे? मुझे तो लग रहा है तू मन ही मन उस पर फ़िदा है, बस बाहर से उससे
आदित्य…..अरे बस देखा नहीं ऑफिस में तो पूछ लिया तुझसे। आखिर सारी बातें भी तो तुझे बताती है ना?
सुमित…..अब तू बात नहीं करेगा तो क्या कोई और भी बात ना करे?
आदित्य…. चल छोड़ उसकी बातें, अपना-अपना काम करते हैं।
सुमित….ठीक कहा।
लंच ब्रेक से पहले ही अदिति आ गयी थी। जैसे ही आकर उसने सबको हाय कहा…... दो मिनट के लिए आदित्य और सुमित उसे देखते ही रह गए।
आदित्य सुमित के चेहरे के हाव भाव देखकर समझ गया था कि सुमित के मन में क्या चल रहा है।
खैर वो आज खुद भी हैरान रह गया था अदिति को देखकर। आज वो तेल में चिपुड़ी हुई नहीं लग रही था, उसने बाल खुले छोड़ रखे थे। हल्के गुलाबी रंग का लखनवी कुर्ता और चूड़ीदार पहना था। माथे पर एक सफेद नग वाली बिंदी और कानों में झुमकियाँ पहनी थीं। और दिनों की अपेक्षा बहुत अलग रही थी आज।
उसने कभी कल्पना में भी नहीं सोचा था कि अदिति कभी इतनी खूबसूरत भी लग सकती है।
सुमित से रहा नहीं गया तो वो आखिर बोल ही पड़ा अदिति को देखकर…..आज तो तुम छा गई हो अदिति, बहुत अच्छी लग रही हो।
अदिति ने मुस्कुराकर धन्यवाद दिया उसे और धीरे-धीरे इंटरव्यू के बारे में बताने लगी।
आदित्य को यह बात अच्छी नहीं लगी थी कि अदिति उसे अपने इंटरव्यू के बारे में न बताकर सिर्फ सुमित को सारी बातें बता रही थी। इससे उसे मन ही मन चिढ़ मचने लगी थी अदिति से।
आदित्य ने चिढ़ के मारे कुछ रूचि नहीं दिखाई अदिति से बात करने में, वो अपना काम करने में व्यस्त रहा।
लंच टाइम में सुमित ने खाने में दाल मखनी, शाही पनीर, नान और जीरा राइस, मीठे में गुलाब जामुन मंगवाए थे। खाना बहुत स्वाद था, सभी मजे लेकर खा रहे थे। लेकिन अदिति आदित्य को यूँ प्याज-लहसुन वाला खाना खाते हुए देखकर हैरान थी। लेकिन सर के सामने उसने कुछ पूछना ठीक नहीं समझा।
सर के मीटिंग में जाने के बाद अदिति से रहा नहीं गया और उसने आदित्य से पूछ ही लिया कि वो तो ब्राह्मण है, प्याज-लहुसन नहीं खाता है तो फिर आज वो यह खाना क्यों खा रहा था?
आदित्य ने झल्लाकर कहा….मुझे कब क्या खाना है, नहीं खाना है, यह मेरी मर्ज़ी है। तुम मेरे और खाने के बीच में मत पड़ो। इतना ज्यादा ध्यान लगाने की जरूरत नहीं है मुझमे।
मैंने पूछा तुमसे……रोज़ तो तुम आंटी बनकर आती हो और आज इतना सज-सँवर कर क्यों आयी हो?
अदिति स्तब्ध थी आदित्य का यह रूप देखकर, उसकी आंखें भर आयी थीं। उसने जवाब में कुछ नहीं कहा और वो वाशरूम में चली गयी।
सुमित को आदित्य की यह बात सुनकर गुस्सा आ गया और उसने कहा…..यह क्या तरीका है अदिति से बात करने का? तुझे पता भी है तूने कितने गंदे ढंग से बात की है उससे?
सॉरी सुमित, पता नहीं क्यों गुस्सा आ गया मुझे उस पर।
आदि मुझे सॉरी बोलने के बजाय अदिति को सॉरी बोल।
अदिति की आँखें देखकर पता चल रहा होता है कि वो वाशरूम में जाकर रोयी है।
आदित्य उसे सॉरी बोलता है लेकिन अदिति उसकी तरफ देखती तक नहीं है।
अदिति आदित्य से पूरी तरह बात करना बंद कर देती है। आदित्य कई बारी उसे सॉरी बोलने की कोशिश करता है लेकिन वो उससे बात करना तो दूर, देखना भी छोड़ देती है।
एक हफ्ते बाद सुमित भी चला जाता है ऑफिस छोड़कर।
सुमित की जगह अभी किसी और को नियुक्त नहीं किया गया होता है। अदिति ही सुमित के अधूरे प्रोजेक्ट्स पर काम कर रही होती है।
ऑफिस में बस अब अदिति और आदित्य और उनके बीच की खामोशी ही रह जाती है।
ऐसे ही कुछ दिनों बाद सर आदित्य से उसके भाई की सगाई की तारीख के बारे में पूछते हैं। आदित्य बड़े उदास मन से जवाब देता है….सर मेरे भाई का रिश्ता टूट गया है।
सर और अदिति यह सुनकर स्तब्ध रह जाते हैं और दोनों को ही समझ नहीं आता इस विषय में क्या प्रतिक्रिया दे।
अदिति को अब समझ में आता है आदित्य की उदासी का कारण। उसे लग रहा था कि वो सुमित के ऑफिस छोड़ने के कारण उदास है। लेकिन यहाँ तो मामला ही कुछ और था।
यूँ तो अदिति आदित्य से बात करना पसंद नहीं करती थी लेकिन उसका एक स्वभाव था कि वो किसी को दुखी नहीं देख सकती थी।
दोनों ही सुबह जल्दी आ जाते थे ऑफिस। अदिति ने ऑफिस आते ही आदित्य को हैलो किया और उससे इधर-उधर की बातें करने लगी।
आदित्य हैरान था अदिति को उससे बात करता हुआ देखकर लेकिन उसे अच्छा लग रहा था यह सोचकर कि चलो कोई तो है बात करने के लिए।
अदिति ने आखिर पूछ ही लिया आदित्य से उसकी उदासी का कारण।
आदित्य ने बताया कि भाई का रिश्ता टूटने के कारण घर में काफी तनाव है। भाई चुपचाप रहने लग गया है, सबसे बात करना बंद कर दिया है।
उस लड़की ने अच्छा नहीं किया पहले शादी के लिए हाँ कि और फिर भाई को कॉफी शॉप में यह कहकर शादी के लिए मना कर दिया कि वो किसी और से प्यार करती है और यह शादी नहीं कर सकती है।
यह सुनते ही अदिति के चेहरे पर मुस्कुराहट आ जाती है और वो कहती है…..ये तो बहुत अच्छी बात हुई कि यह रिश्ता शुरुवात में ही टूट गया। सोचो, अगर शादी के बाद तुम्हारे भाई को उसके अफेयर के बारे में पता चलता तो क्या होता?
तुम्हें तो उस लड़की को थैंक यू कहना चाहिए। माना थोड़ी देर कर दी उसने बताने में लेकिन फिर भी हिम्मत करके सच बताया तो सही ना। एक गलत रिश्ते में पड़ने से उसने दोनों को बचा लिया। तुम्हें और तुम्हारे भाई को इस बात को लेकर उदास होने की जरूरत नहीं है। वो लड़की तुम्हारे भाई के लिए बनी ही नहीं थी, भैया की किस्मत में बहुत अच्छी लड़की लिखी है। तुम टेंशन मत लो।
आदित्य को पहले पहल तो बहुत गुस्सा आया था मन ही मन जब अदिति ने रिश्ता टूटने पर खुशी जतायी थी। लेकिन उसकी सारी बातों को इत्मिनान से सुनने के बाद उसे लगा अदिति बिलकुल सही कह रही है। इस नजरिए से तो उसने और उसके परिवार ने सोचा ही नहीं।
अदिति के इस तरह से समझाने ने आदित्य को तनाव मुक्त कर दिया था और हँसी उसके चेहरे पर फिर से लौट आयी थी।
आदित्य ने अदिति को थैंक यू कहा और उस दिन की बात के लिए फिर से सॉरी कहा।
अदिति ने आदित्य को माफ़ कर दिया और धीरे-धीरे उनके बीच चीजें सामान्य होने लगीं।
❤सोनिया जाधव
# लेखनी उपन्यास
Punam verma
10-Jan-2022 09:20 AM
Nice
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Shrishti pandey
08-Jan-2022 04:52 PM
Nice
Reply
Seema Priyadarshini sahay
07-Jan-2022 08:45 PM
बहुत मजेदार भाग👌👌
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