Rajani katare

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खत



आज का विषय-खत

           "पुराने रखे ख़त"

यादों का पिटारा, बंद पड़ा था,
क्यों...? खुलवा दिया जनाब,
अलमारी में रखे, पुराने ख़त,
दर्द, बंया कर गये जनाब,

खोला हमने,अलमारी को,
क्यों...? खोली हमनें जनाब,
अलमारी में रखे, पुराने ख़तों ने,
उदास हमें, कर दिया जनाब,

पड़े थे ख़त, बंद दराज में,
क्यों...? रुबरु कराया जनाब,
अलमारी में रखे, पुराने ख़तों से,
आँसुओं को,छलका दिया जनाब,

पड़े थे कितने, पुराने हो गये ख़त,
क्यों...? निकलवा दिये जनाब,
अलमारी में रखे, पुराने ख़त,
दास्तां हमें, सुना रहे जनाब,

भूले बिसरे थे,उनके वो खत,
क्यों...?याद दिला दिये जनाब,
अलमारी में रखे, वो पुराने ख़त,
सुनहरे पल, याद दिला रहे जनाब,

ज़माना बीत गया,ख़तों को पढ़े हुये,
क्यों...? जख्मों को कुरेदा जनाब,
अलमारी में रखे, पुराने ख़तों ने,
जख्मों को,हरा कर दिया जनाब,

कोशिश थी,गमों को भुलाने की,
क्यों...? भूलने नहीं दिया जनाब,
अलमारी में रखे वो, पुराने ख़तों ने,
छोड़कर मंझधार में, चल दिए जनाब ।

     काव्य रचना-रजनी कटारे
          जबलपुर ( म.प्र)

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8 Comments

Ravi Goyal

08-Jan-2022 09:11 AM

वाह बेहतरीन रचना 👌👌

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Punam verma

08-Jan-2022 08:42 AM

Nice

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Niraj Pandey

08-Jan-2022 12:15 AM

बहुत खूब

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