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यस आई एम— एंड

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"मान ना मान मै तेरा मेहमान। कमाल की लड़की थी, बिना मांगे ही सलाह दे गई। उसको इतनी सी बात भी मालूम नही क्या? बिना मांगे कभी सलाह नही देनी चाहिए। अब ये सुपिरिया मैडम कौन है जो इतनी पॉवरफुल है! वो चाहे कोई भी हो लेकिन मै तो इस कंप्टीशन में जरूर पार्टीसिपेट करूंगी। मै भी तो देखूं कौन है ये मिस सुप्रिया।" उसने अपनी बात कही और वहां से चली गई।

शुरूवात में लड़की और सुप्रिया में काफी लड़ाई हुई लेकिन समय बीतने के साथ साथ दोनों बहुत अच्छी दोस्त बन गई.... इतनी अच्छी की अपनी हर तरह की बातें एक दूसरे के साथ शेयर करने लगी। सुपीरिया पहली ऐसी लड़की थी जो उसकी इतनी खास दोस्त बनी थी। 

एक दिन वह सुपीरिया के साथ लाइब्रेरी में खड़ी हुई थी। सुप्रिया बाहर की तरफ देखते हुए बोली:– "मैं कई दिनों से एक लड़के को नोटिस कर रही हूं जो तुम्हारा पीछा कर रहा है। शायद उसे तुम पसंद आ गई हो और आओंगी भी क्यों नही? तुम इतनी सुंदर जो हो।"



लड़की— "मुझे देख रहा है! क्या मजाक कर रही हो सुपीरिया। मुझ से ज्यादा सुंदर और समझदार तो तुम हो इसलिए वह तुम्हें देख रहा होगा।" इतनी बात कहने के बाद वह खुद से बातें करते हुए बोली। " मुझे उस लड़के के बारे में सब कुछ मालूम है। बस मैं चाहती हूं की सब कुछ ऐसा लगे जैसे सारे काम लड़के ने किए है मैंने नही। अब क्या करे! मुझे वह लड़का देखते ही पसंद आ गया और मैं अपनी पसंद की चीजों को पाने के लिए कुछ भी कर सकती हूं।" कुछ देर तक वे दोनों वहां पर खड़ी रही फिर वहां से चली गई।



लड़की और अनीश की मुलाकात लगातार होती रही और अनीश इसे अब तक इत्तेफाक समझ रहा था। लेकिन वह लड़की की सोची समझी प्लानिंग थी जिससे वे एक दूसरे से मिल सके। कुछ ही दिनों में उन दोनों में अच्छी खासी दोस्ती हो गई। अनीश, सुपीरिया और लड़की तीनो का फ्रेंड सर्कल बन चुका था। सुपीरिया अनीश से जुड़ी छोटी से छोटी बात उस लड़की को बताती थी।  

"इस तरह से मेरी मुलाकात अनीश के साथ हुई और हम दोनों अच्छे दोस्त बन गए। पर मुझे ये रिश्ता दोस्ती से आगे ले जाना था इसलिए मैंने यहां पर आई जिससे मै हर वक्त अनीश के साथ रह सकूं।" अपनी बात पूरी करने के बाद वह अपने कुकिंग के काम में लग गई। काम करते हुए उसका ध्यान अनीश पर गया जो एक लड़की को खाना बनाना सिखा रहा था और वह लड़की बार बार अनीश के साथ चिपकने की कोशिश कर रही थी। गलती समझ कर लड़की ने उसे इग्नोर कर दिया लेकिन जब ये सिलसिला कई दिनों तक चलता रहा तो लड़की ये सब बर्दास्त नही कर सकी। लेकिन वह उसे अनीश के सामने भी कुछ नहीं कह सकती थी। 

एक दिन कुकिंग क्लास के सभी लोगों ने अनीश के साथ मिलकर पार्टी रखी थी जिस वजह से सब लोग किचन से बाहर बने हुए गार्डन में खड़े हुए थे। वह लड़की जिसका नाम प्रिया था किचन में आकर कुछ खाने लगी। खाना खाने के तुंरत बाद उसे बहुत तेज खांसी होने लगी। पहले तो उसकी खांसी समान्य ही थी पर धीरे धीरे बढ़ने लगी। प्रिया को तेज बेचैनी होने लगी और वह अपना गला पकड़क पूरे कीचन में पानी ढूंढने लगी पर उसे कही पर भी पानी नहीं मिला।

 जब उसे पानी नहीं मिला तब वह अपनी पेंट की बनी हुई पॉकेट में कुछ ढूंढने लगी लेकिन उसे वहां पर भी कुछ नहीं मिला। जब उस लड़की प्रिया को कुछ नही सूझा तो वह जोर जोर से चिल्लाने की कोशिश करने लगी लेकिन खांसी की वजह से उसकी आवाज गले से बाहर भी नही निकल पा रही थी। कुछ देर तक वह पागलों की तरह चिल्लाती रही और फिर उसका चिल्लाना हमेशा हमेशा के लिए बंद हो गया। जब सभी लोग अंदर आए तो उन्हे प्रिया कही भी दिखाई नही थी। वे लोग प्रिया को ढूंढते हुए किचन में जा पहुंचे। किचन में प्रिया की लाश को फर्श पर पड़ा हुआ देख कर सभी के चेहरों पर हवाइया उड़ने लगी। उनमें से कुछ लड़कियां लाश को देखकर जोर जोर से चिल्लाने लगी। पहले अनीश ने उन लड़कियों को शांत किया और उसके बाद पुलिस को बुला लिया।

अनीश के बुलाने के कुछ देर बाद वहां पर पुलिस आ गई। पुलिस ने पूरी जग की अच्छे से इन्वेस्टिकेशन की जिसमे उन लोगो को कुछ भी पता नही चल पाया। प्रिया की लाश को फोरेंसिक लैब में भेज दिया गया। रिपोर्ट के मुताबिक लड़की अस्थमा की मरीज थी जिसकी डेथ तेज मसालों वाला खाना खाने की वजह से हुई थी। टाइम रहते हुए अगर उसे उसका पंप या फिर पीने को पानी मिल जाता तो उसकी जान बच जाती। पर ऐसा कुछ भी नही हुआ। और इस वजह से उसकी डेथ हो गई। इसके अलावा पुलिस को कोई भी सबूत नहीं मिला जिसकी वजह से प्रिया की डेथ केस को वे मर्डर केस कह पाते। ये कहकर की ये एक्सिडेंट केस है, प्रिया की लाश को उसके घर वालों को सौंप दिया गया।



प्रिया की डेथ को दो तीन दिन हो चुके थे। लड़की अपने रेस्टोरेंट में बैठी हुई काम कर रही थी। वह अपने चिर परिचित अंदाज में खुद से बातें करती हुई बोली। "अगर कोई अस्थमा का मरीज हो तो उसे तेज मसालों वाले खाने से परहेज रखना चाहिए और अपना अस्थमा पंप भी हमेशा अपने साथ रखना चाहिए। क्या पता कब क्या हो जाए और उसके प्राण पखेरू उड़ जाए। अब कोई पूछेगा की उसमें प्रिया की क्या गलती थी? अम्म.......... हां! सारी गलती प्रिया की ही तो थी। उसे अनीश से इतना चिपकना नही चाहिए था मतलब प्रिया को अनीश से दूरी बनाए रखनी चाहिए थी। ना वह उसके पास जाती और ना ही अपने प्राणों से हाथ धोती। उसकी इतनी सी गलती उसे कितनी भारी पड़ गई। अगर वह अनीश से दूर रहती तो मुझे उसे मारने के लिए इतनी लंबी चौड़ी प्लानिंग नही करनी पड़ती। सबसे पहले मैंने लड़की के बारे में छोटी से छोटी इनफॉर्मेशन कलेक्ट की क्योंकि शिकार करने से पहले आपको अपने शिकार के बारे में सब कुछ मालूम होना चाहिए। मैंने प्रिया की सभी अच्छी और बुरी आदतों में से लगभग सबके बारे में पता किया.......जिसमे मुझे उसकी बीमारी के बारे में और उसका मैक्रोनी के पीछे पागलपन के बारे में पता चला। प्रिया को मारने के लिए इतनी इनफॉर्मेशन काफी थी। इन्फॉर्मेशन कलेक्ट करने के बाद मै प्रिया की मर्डर प्लानिंग में लग गई। उसके मर्डर के लिए मैंने सबसे पहले अनीश को बोलकर पार्टी ऑर्गेनाइज करवाई। पार्टी में सारा खाना मसालों वाला बनवाकर प्रिया के लिए मैक्रोनी खुद अपने हाथों से बनाई ताकि उसे मै खुद मार सकूं। मैक्रोनी की स्मेल से कोई भी खुद को नही रोक सकता था। वह प्रिया तो फिर भी उनके लिए पागल थी। इसके बाद मैने किचन से पानी गायब किया और बड़ी चतुराई से प्रिया का अस्थमा पंप भी गायब किया। सारा कांड मैने इतनी सावधानी से किया था की दीवारों को भी कानों कान खबर नहीं हुई। सब कुछ वैसे ही हुआ जैसा मैने प्लान किया था और प्लान सक्सेसफुल भी रहा।





इस तरह से लड़की का अनीश के लिए खून करने का सिलसिला चलता रहा। उसने अनीश के लिए लगभग 5 लड़कियों को भगवान के पास बड़े ही प्यार से भेज दिया था। लडकी इस तरह से खून करती थी मानो उसे इस काम से सुकून मिलता हो। कमाल की बात तो यह थी की किसी भी खून में उसके खिलाफ एक सुई के बराबर भी सुराख नही मिलता था क्योंकि वह खून ही इतनी सफाई के साथ करती थी। 



एक दिन जब वह यूनिवर्सिटी में पहुंची तो उसे वहां पर पता चला की यूनीवर्सिटी के एक बिगड़ैल रईसजादे ऋतिक ने यूनीवर्सिटी की एक मासूम सी लड़की का रेप कर दिया है। जब उसने लड़की की लाश की हालत देखी तो उसके पैरों तले जमीन खिसक गई। इतनी बुरी तरह से तो लड़की ने भी अपनी जिंदगी में कभी खून नही किया था जितनी बेरहमी से ऋतिक ने उस बेचारी लड़की का खून किया था। लाश की हालत इतनी बुरी थी की उसे देखकर किसी का भी कलेजा छलनी हो उठता। ऋतिक ने इन्सानियत की सारी हदें पार कर दी थी। 

ऋतिक के लिए बुरी से बुरी सजा भी थोड़ी ही थी। हर कोई ऋतिक को सजा दिलाना चाहता था पर बाप के रूतबे की वजह से कोई उसे कुछ भी नही बोला पाया और वह खुलेआम घूमता रहा। इस घटना को घटे हुए महीनों बीत गए लेकिन कोई भी उसका बाल भी बांका नहीं कर पाया।







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आज का मौसम अपने अलग ही परवान पर था। कुछ देर पहले तक तो पूरा आसमान अंधेरे में भी किसी नीले मानिक की तरह चमक रहा था पर कुछ ही देर बाद उस सुंदर नजारे को किसी की नज़र लग गई जिसकी वजह से आसमान के ऊपर मौत से काले घने बादलों का ग्रहण लग गया।

 उन बादलों ने किसी ब्लैक होल की तरह कुछ ही पलों में पूरे आसमान को अपने अन्दर समा लिया जिसकी वजह से कुछ देर पहले लुभावनी प्रतीत होने वाली रात अब मनहुस रात में बदल गई। मौसम के इस तरह से बदलते हुए मिजाज का असर जंगल के पशु पक्षियों पर भी दिखाई दे रहा था क्योंकि प्रकृति में जो कुछ भी घटित होता है उसकी जानकारी इन बेजुबानों को सबसे पहले हो जाती है। किसी अनहोनी की आंशका को भांपते हुए सभी जानवर बड़ी ही शीघ्रता से अपने अपने घरों को प्रस्थान कर गए। कुछ ही क्षणों में उस जंगल के बीचों बीच बनी उस सड़क पर मौत सा सन्नाटा पसर गया जो किसी भयंकर तूफान के आने से पहले का सन्नाटा था। थोड़ी ही देर बाद आसमान में उन काले घने बादलों के आने के बाद भीषण हवाएं चलने लगी जिसकी वजह से सड़क के किनारे खड़े पेड़ लगभग जड़ से उखड़ने के लिए बेताब हो रहे थे। उस भीषण आंधी के के तुरन्त बाद ही मूसलाधार बारिश होने लगी जिसकी वजह से सड़क को तालाब बनने में कुछ ही पलों का समय लगा।



आज रात के मौसम में एक अलग ही मनहुसियत थी जो आमतौर पर बारिश के दौरान होने वाली उमस से तो बिल्कुल ही अलग थी। वातावरण में छाई इस मनहूसियत , किसी को आने वाली अनहोनी के प्रति सचेत कर रही थी। इसके साथ साथ इस भयावह मंजर को देखकर ऐसा भी लग रहा था मानो प्रकृति ने किसी को बचाने के लिए यह रौद्र रूप धारण किया हो।



बारिश रुकने की बजाए उल्टा बढ़ती ही जा रही थी। तभी अचानक से उस बारिश में कुछ ही दूरी पर छप्प छप्प.......!की आवाज सुनाई दी। ध्यान से सुनने पर पता चला यह किसी के भागते हुए कदमों की आवाज थी। आश्चर्य की बात तो यह थी कि इतने खरनाक मौसम में एक तरफ परिंदे भी अपने घरों में जाकर दुबक गए थे उसके विपरीत यह कौन इंसान था जो इस मूसलाधार बारिश में भी इस तरह से दौड़े आ रहा था। 



  अचानक से बादलों में बहुत तेज बिजली चमकी जिसकी वजह से कुछ ही दूरी पर सड़क के घुमावदार हिस्से से एक भागता हुआ साया दिखाई दिया जोकि एक लड़की का था। वह लड़की पागलों की तरह भागती हुई आ रही थी और बीच बीच में पीछे की तरफ मुड़ कर देख रही थी। उस लड़की को देखकर तो ये मालूम पड़ रहा था कि जैसे कोई वहशी दरिंदा उस अबला लड़की के पीछे पड़ा हुआ हो। भागने की वजह से उस लड़की की सांसे बहुत बुरी तरह से उखड़ चुकी थी जिससे यह साफतौर से पता चल रहा था कि वह लड़की इस तरह से बहुत दुर से भागी हुई आ रही थी। वह लड़की बीच रास्ते में रूक कर आराम करना चाहती थी पर उसके पीछे जो खतरा मंडरा रहा था वह उसे आराम की अनुमति नहीं दे रहा था जिसकी वजह से वह लड़की लगातर भागे ही जा रही थी और साथ ही साथ मुड़ मुड़ कर पीछे की तरफ देख रही थी।



अचानक से ही भागते हुए वह लड़की लड़खड़ाकर बड़े जोर से सड़क पर गिर गई जिसकी वजह से उस लड़की के पैर में मोच आ गई। वह लड़की अपनी जगह से उठने की लाख कोशिशें कर रही थी परन्तु पैर में मोच इतनी भयंकर आई थी कि वह अपनी जगह से हिल भी नहीं पा रही थी।



 एक लम्बा चौड़ा लगभाग 6 फीट का एक साया उस लड़की के पीछे से बड़ी ही तेजी के साथ उसकी तरफ तेज कदमों के साथ बढ़ रहा था। जैसे जैसे वह साया उस लड़की के पास आ रहा था वैसे वैसे ही वह लड़की अपनी जगह से घिसटते हुए सड़क के किनारे जा रही थी। वह लड़की उस दरिंदे से बचने की लाख कोशिशें कर रही थी पर शायद उस लड़की की किस्मत ही उस लड़की के साथ नही थी। तभी तो वह वहशी दरिंदा जिसके चेहरे पर हैवानियत साफ साफ झलक रही थी उस लड़की के एक दम करीब जा पहुंच था। जैसे जैसे वह साया उस लड़की के करीब जा रहा था वैसे वैसे ही वह लड़की हिम्मत जुटाकर अपनी जगह से पीछे की तरफ खिसक रही थी पर बारिश की वजह से कीचड़ होने के कारण वह लड़की पीछे हटने में नाकामयाब हो रही थी। इन सबके बावजूद भी वह लड़की उठकर खड़े होने और भाग जाने की भरसक कोशिशें कर रही थी। पर बदकिस्मती से जैसे ही वह उठकर भागने लगी वैसे ही अचानक से अपने पीछे खड़े हुए पेड़ से जाकर टकरा गई। तब तक वह साया उस लड़की के एकदम करीब पहुंच चुका था। उस साए ने उस लड़की के बारिश से भीगे हुए बालों को बड़ी ही बेरहमी के साथ पकड़ा जिसकी वजह से वह लड़की दर्द की वजह से बिलख उठी। उस साए ने उस लड़की के बालों को पकड़कर बड़ी ही तेजी के साथ उस लड़की को घुमा दिया। जिसकी वजह से उस लड़की की कमर सीधा पेड़ के तने से जा लगी जिस पेड़ से टकराकर वह लड़की गिर गई थी।



 अब वह लड़की भी अपने बचने की सारी उम्मीदें खो चुकी थी उम्मीद खोने के बावजूद भी वह अपने आप को उस वैहसी से बचने की कोशिश कर रही थी। तभी उस साए ने लड़की के कन्धों को बड़े ही दर्दनाक तरीके से पकड़कर उसे पेड़ के तने से एकदम सटा दिया जिसकी वजह से लड़की अपने आप को हिलाने में भी असमर्थ महसूस कर रही थी। इसके बाद वह साया अपने चेहरे को किसी भूखे भेड़िए की तरह उस लड़की के चेहरे के पास ओर पास लाता गया। जैसे जैसे वह साया अपने चेहरे को उस लड़की के चेहरे के करीब ला रहा था वैसे वैसे ही वह लड़की जाल में फंसे किसी बेचारे और मजबूर मेमने की तरह अपने हाथों पैरों को इधर उधर मार रही थी जिसका उसे कोई लाभ नही मिल रहा था। उस साए का चेहरा अब तक उस लड़की के चेहरे के बहुत ज्यादा करीब आ चुका था इतना करीब की उस साए को उस डरी सहमी हुई लड़की की सांसे साफ साफ महसूस हो रही थी। तभी अचानक से कुछ ऐसा हुआ जिसकी उस साए ने कल्पना भी नहीं की होंगी। उस लड़की ने बड़ी ही तेजी के साथ अपने हाथ में पकड़े हुए डंडे को जितनी ताकत के साथ वह मार सकती थी उस साए के सिर पर दे मारा। वार इतना दमदार था कि पहले ही वार में वह साया वही पर ही बेहोश हो कर कीचड़ में गिर गया।



इतनी देर से लड़की अपने पैर से कुछ ढूंढ ही रही थी पर जैसे ही उस साए ने उस लड़की के हाथ पकड़े वैसे ही उस लड़की के पैर वहां पर फैली हुई कीचड़ में मौजुद एक डंडे से टकरा गया। धीरे धीरे से लड़की ने अपने पैरों की अंगुली और अंगूठे की मदद से उस डंडे को अपने पास खिसका लिया। जैसे ही उस लड़की को मौका मिला उसने बड़ी ही तेजी के साथ अपने पैर की मदद से उस डंडे को उठा लिया जिसकी उस साए को जरा सी भी भनक ना हुई। जैसे ही वह साया उस लड़की के बेहद ही करीब पहुंच गया वैसे ही कुछ देर के लिए उस साए की उस लड़की के कंधो से पकड़ ढ़ीली पड़ गई और इतने कम समय में ही लड़की ने फुर्ती दिखाते हुए वह डंडा उस साए के सिर पर बड़ी ही ताकत के साथ दे मारा जिसके वार से वह ताकत वर साया पहले ही वार में चित हो गया। 



वार की वजह से ऋतिक सिर्फ बेहोश ही हुआ था कुछ देर बाद उसकी बेहोशी कम होने लगी और धीरे धीरे उसकी आंखे खुलने लगी। अधखुली आंखों से जब ऋतिक ने अपने आप पास का दृश्य देखा तो उसकी आंखे फटी की फटी रह गई। आंखे खोलने पर शेर को अपने पात आत हुए देखा। शेर को अपने पास आता हुआ देख उसके चेहरे के रंग उड़ गए। उसे अपने सामने मौत आती हुई दिखाई दे रही थी जिसकी वजह से अपनी जगह से हिल भी नहीं पा रहा था। इस वक्त उसे महसूस हो रहा था कि किसी लड़की के साथ गलत करने पर कैसा नतीजा होता है। वह समय रहते खुद को बचाने का काम नही कर पाया पर शेर थोड़ी ही देर में अपना काम कर चुका था। शेर ने उसके शरीर को इतनी बुरी तरह से नौचा उस से उसकी आत्मा तक कांप उठी।



शेर के वहां से जाने के बाद लड़की ने अपना मास्क उतारा वह कोई ओर नही वही साइको लड़की थी। पहले तो लड़की बहुत देर तक पागलों की तरह हंसती रही, उसके बाद एकदम से गंभीर हो गईं और फिर अपने गम्भीर भाव को बरकरार रखते हुए बोली—"तुम्हें क्या लगता है तुम मुझे यहां पर लेकर आए, नही......! ये सिर्फ तुम्हारा वहम था। तुम मुझे नही मैं तुम्हें यहां पर लेकर आई। ठीक उसी प्रकार जिस प्रकार शिकार का शिकार करने से पहले उसके लिए चारे का बंदोबाश्त किया जाता है। ठीक वैसा ही तुम्हारे साथ भी हुआ। अब तुम्हें पता चलेगा किसी लड़की के जिस्म को नोचने पर कैसा दर्द होता है।"



इतनी बात कहने के बाद वह लड़की एकदम से चुप हो गई और कुछ देर बारिश में ही भीगती रही और उसके बाद वहां से चली गई। वहां से जाने से पहले लड़की ने वह डंडा वहां से उठा लिया जो उसने ऋतिक के सिर में मारा था और वहां से कुछ दूरी पर जाने पर सेफ जगह पर फेंक दिया जिससे वह नही फंस सके।





वह वहां से अपने रेस्टोरेंट में पहुंच गई और खुद से ही बातें करती हुई बोली। "आप लोग सोच रहें होंगे की मै कही भी टपक पड़ती हूं और वो भी खून खराबे के साथ। उस दिन मैंने यूनिवर्सिटी में लड़की की लाश देखी थी तो मुझे पंछी यादगई की जिसकी जान दद्दू नही बचा पाए थे और उस दिन मैं लड़की की जान नही बचा पाई। सोसाइटी में ऐसे बहुत सारे दरिंदे मौजूद है जो अपनी हवस के लिए लड़की के शरीर को नोच देते है। मैं सबको तो सबक नही सीखा सकती पर ऋतिक का इलाज तो कर ही सकती थी। 



उस दिन मैंने केस से जुड़ी हुई सारी इनफॉर्मेशन कलेक्ट की जिसमें मुझे पता चला की रेप ऋतिक ने ही किया था। इतना पता चलने के बाद मै ऋतिक की कुंडली निकालने में जुट गई। जिसमें मुझे पता चला की ऋतिक एक नम्बर का नशेड़ी है और रोज रात को बार में भी जाता है। ऋतिक के उसी के ही जैसे दोस्त भी थे जो उसके साथ बार जाते थे। ऋतिक एक नम्बर का लड़कीबाज था। लड़की देखी नही गुड पर मक्खी की तरह उसके पीछे पड़ जाता था। एक शराबी और दूसरा लड़की बाज होना ये दोनों बाते मेरे लिए बहुत फायदेमंद साबित होने वाली थी और हुई भी। इतना पता चलने के बाद मैने ऋतिक के मर्डर की प्लानिंग बनानी शुरू कर दी। 

प्लानिंग को पूरा करने के लिए मुझे खुद बार में जाना पड़ा। जिसके लिए मैंने वाइन कलर की पार्टी वियर ड्रेस पहन ली जिसमे मैं किसी भी लड़के को अपनी तरफ आसानी से अट्रैक्ट कर सकती थी। इतना ताम झाम करने के बाद मैं बार में पहुंच गई और बार बार ऋतिक के सामने इस तरह से आती रही जिस से उसके सिवाए मुझे कोई ओर ना देख सके। पहले अपना भ्रम समझकर उसने बहुत बुरी तरह शराब पी ली और उसके बाद जब वह अपने दोस्तों से दूर हुआ तो मैं उसे अपना पीछा कराते हुए बाहर सड़क पर ले आई। मुझे देखकर वह सोच रहा होगा कि मै उस से डर कर भाग रही थी पर उसे नही मालूम था की मै उसे मारने के लिए अपने पीछे लाई थी। आगे जो कुछ भी हुआ वो तो आप लोगों को मालूम ही है।

मर्डर करने का काम मै सबसे ज्यादा सफाई के साथ करती हूं तो मेरे फंसने के कोई चांस ही नहीं बनते। ऋतिक के मर्डर के साथ साथ उन दोनों लड़कियों की आत्मा को भी शांति मिल गई।" इतना कहने के बाद वह यूनीवर्सिटी चली गई।









धीरे धीरे अनीश और लड़की की नजदियां बढ़ती गई और वे दोनों रिलेशनशिप में आ गए। एक दिन लैब में लड़की ने अनीश और सुप्रिया को एक दूसरे के इतने अधिक नजदीक देखा की उन दोनों के बीच से होकर हवा भी पार नहीं जा रही थी। इतना देखने के बाद वह वहां से चली गई। 



एक दिन सुप्रिया लैब में अकेली कुछ काम कर रही थी। काम करते हुए उसका पैर फिसल गया जिसकी वजह से उसका सिर पास में ही मौजूद मेज में जा लगा। सिर लगते ही वह बेहोश हो गई, गिरने की वजह से उसके हाथ में मौजुद एसिड की बोतल उसके चेहरे पर गिर गई। गिरने की आवाज सुनकर लड़की अपने साथ बाकी के स्टूडेंट्स को लेकर वहां पर पहुंच गई। लैब में जाने के बाद उन सभी को अपने सामने सुप्रिया का चेहरा जली हुई लाश दिखाई दी। एसिड की वजह से चेहरा तो जल चुका था उन लोगों ने कपड़ों को देखकर सुप्रिया की पहचान की। सुप्रिया की इतनी बुरी हालत देखकर सभी लोग सुन्न रह गए। लड़की हिम्मत जुटाकर सुप्रिया की नब्ज टटोलने लगी जिस के बाद उसे पता चला की वह मर चुकी है। उसके बाद पुलिस को वहां पर बुला लिया गया और लाश को फोरेंसिक लैब में भेज दिया गया।





सुप्रिया इस वक्त बेहोशी की हालत में एक खंडहर में पड़ी हुई थी। जब उसकी आंखे खुली तो सामने का दृश्य देखकर उसकी आंखे खुली की खुली रह गई। उसके सामने कोई ओर नही उसकी सबसे खास दोस्त थी जिस पर वह सबसे ज्यादा विश्वास करती थी। उसे अपने सामने पाकर सुप्रिया घबराते हुए बोली। "तुम्हें भी मेरे साथ यहां पर लाया गया है ? और हमें यहां पर कौन लाया है?" ...........सुप्रिया ने लड़की पर सवालों की बौछार कर दी। सुप्रिया के सवाल सुनकर लड़की जोर जोर से हंसने लगी जिसकी वजह से वह किसी साइको से कम नहीं लग रही थी। लड़की को इस तरह हंसता हुआ देख सुप्रिया घबरा गई। घबराहट की वजह से लगातार अपनी दोस्त को देखती रही।



लड़की: कोई नही लाया मुझे यहां पर, बल्कि मै तुम्हें यहां पर लाई हूं। बहुत चिपक रही थी ना तुम उस दिन अनीश के साथ। तुम्हे बड़े अच्छे से मालूम है कि मुझे अपनी पसंद की चीजों पर किसी की नज़र पड़ना भ पसंद नही है। तुम तो उसके साथ चिपक रही थी वो भी मालूम होने के बाद।



सुप्रिया उसे कुछ कह पाती लड़की ने अपने हाथ में मौजुद रोड उसके सिर पर दे मारी। वार इतना तेज था की एक ही बार में सुप्रिया की आंखे बाहर निकल आई। इसके बाद भी वह नही रुकी, सुप्रिया के ऊपर वार पर वार करती रही। जितनी बेरहमी के साथ उसने अपनी दोस्त को मारा था उतनी बेरहमी के साथ तो कोई अपने दुश्मन को भी नही मारता होगा।



सुप्रिया को मारने के बाद उसने श्लोक पढ़ा और अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोली।"मुझे बिल्कुल भी पसंद नही कोई मेरी पसंद की चीजों पर नजर डाले। ये बात मालूम होने के बाद भी सुप्रिया ने अनीश पर नजर डाली। ये बात मुझे से बर्दास्त नही हुई। उस दिन के बाद मैने सुप्रिया को मारने की प्लानिंग बनाई और इस तरह से बनाई की जिस से वह एक एक्विसेंट लगे। सब कुछ मेरी प्लानिंग के मुताबिक हुआ। उस दिन उसका पैर भी मेरी वजह से ही फिसला और एसिड भी मेरी वजह से गिरा। मेज पर सिर लगने की वजह से उसकी बॉडी कुछ टाइम के लिए पैरालाइज हो गई। जिसकी वजह से कुछ टाइम के लिए उसकी सारी नशों ने काम करना बंद कर दिया और लोगों को लगा वो मर गई। इसके बाद सुप्रिया को हॉस्पिटल में एडमिट किया गया जहां पर मैने उसकी बॉडी को एक्सचेंज कर दिया। वैसे भी कोई नही पहचान पाएगा की वह सुप्रिया ही थी या कोई और।" इतना कहने के बाद वह वहां से चली गई।







सड़क पर दूर से एक बाइक आती हुई दिखाई दी जिस पर एक नवयुवक बैठा हुआ था जो काफ़ी विचलित दिखाई दे रहा था। वह युवक अपनी इस मनोदशा के कारण सही तरीके से बाइक भी राइड नही कर पा रहा था जिसकी वजह से वह बाइक का संतुलन नही बना पा रहा था। कुछ देर तक तो वह बाइक को इसी हालत में चलाता रहा पर जब उस युवक से बाइक चलाना मुश्किल भरा काम हो गया तो उसने बाइक को उसी वक्त रोक कर वही पर ही खड़ा कर दिया। बाइक को खड़ा करने के बाद वह पागलों की तरह बर्ताव करने लगा। पहले तो उस युवक को देखकर ऐसा लग रहा था कि शायद उसकी ऐसी हालत ज्यादा गर्मी की वजह से हो रही है। इसके बाद कुछ देर तक वह युवक पागलों की तरह बर्ताव करता रहा पर जब ये सब उसकी बर्दास्त से बाहर हो गया तो वह युवक अपने दोनों कानों को कसकर पकड़कर कर बहुत बुरी तरह से चिल्लाने लगा।

"बंद करो..........कोई तो बंद करो इस आवाज को! ये आवाज मुझे पागल कर देंगी। कौन हो तुम और..............?" वह युवक अपनी पूरी बात को पूरा कह पता उससे पहले ही उसके सिर में एक जोरदार झटका लगा जिसकी वजह से वह एक पल के लिए चुप हो गया और अगले ही पल वह बहुत बुरी तरह से अपने बालों को नोंचने लगा। ऐसा लग रहा था जिस आवाज की वजह से वह परेशान था अब उस आवाज की तीव्रता बढ़ चुकी है। पर इसके साथ एक हैरानी वाली बात यह थी कि वह युवक किसी आवाज को बन्द करने के लिए चिल्ला रहा था पर उस वक्त सड़क पर सन्नाटे और उस युवक की चिल्लाने के अलावा कुछ भी सुनाई नहीं दे रहा था जिससे यह पता चल पाता कि वह युवक किसकी आवाज से परेशान है। जितनी तेजी के साथ वक्त आगे बढ़ रहा था उतनी ही तेजी के साथ उस युवक का अपने बालों को नोचने और चिल्लाने का काम बढ़ता ही जा रहा था। पर तभी अचानक से एक अप्रत्याशित घटना घटित हुई उस युवक को अपने सिर के अन्दर से एक जोरदार झटका महसूस हुआ और उसी के साथ उसके नाक और कानों से खून का फव्वारा फूट पड़ा। इस घटना के बाद युवक की हालत अब बद से भी बद्तर हो चुकी थी। कुछ देर तक तो उस युवक के कानों से बहुत बुरी तरह से खून निकलता रहा। तभी अचानक से उस युवक के साथ कुछ ऐसा हुआ जिसकी वजह से वह किसी लकड़ी के लट्ठे के समान सड़क पर धड़ाम से गिर गया और सड़क पर गिरते ही उसका युवक का हड़बड़ाना और चिल्लाना सदा सदा के लिए बंद हो गया।



तभी पेड़ के पीछे से वह लड़की वहां पर आई और अनीश की लाश के सामने खड़ी होकर श्लोक पढ़ने लगी और बोली। "जिस लड़के के लिए मैंने इतने सारे खून किए आज उसी को भगवान के पास भेज दिया। अब क्या करे अनीश को मेरी आवाज बहुत पसंद थी और उसको भी मैने आवाज की मदद से ही मार डाला। मच्छर की आवाज की आवृत्ति बहुत अधिक होती है और अगर इसे हाई वॉल्यूम पर किसी को सुना दे तो उसकी जान तक चली जाती है। वही सब मैंने अपनी जान के साथ किया और भेज दिया उसे भगवान के पास। अपनी जान को मारने के लिए इंतजाम भी तो कुछ खास होने थे। उसके लिए मुझे एक रोबोट मच्छर को लाई और उसको अनीश के पीछे छोड़ा। मच्छर की आवृत्ति इतनी ज्यादा बढ़ाई की अनीश की जान ही उसके शरीर से निकल गई। मैं इस खून खराबे से थक चुकी हूं तो अब सुकून की जिंदगी जीना चाहती हूं इसके लिए मैं इस शहर को छोड़कर दूसरे शहर चली जाऊंगी जहां पर मैं कहानी लिखने का काम शुरू करूंगी। क्राइम तो मैं बहुत कर चुकी हूं तो सोच रही हूं अपनी मां की बैकस्टोरी से ही कहानी लिखने की शुरुवात कर दूं।

कुछ दिनों बाद वह शहर छोड़कर दूसरे शहर में जाकर रहने लगी और वहां जाकर वह एक लेखिका बन गई।


इतना लिखने के बाद तृष्णा ने आखिर में समाप्त लिख थी और लंबी गहरी आह भरी और बोली। "चलो फाइनली नॉवेल कंप्लीट हो गया। कुछ दिन मैं आराम करूंगी फिर किसी स्टोरी के बारे में सोचूंगी।"


यस आई एम यहां पर समाप्त हो गई है। कहानी से जुड़े हुए सवाल आप कमेंट में पूछ लीजिएगा जिनके जवाब मै पोस्ट में दे दूंगी। अगला सीजन वॉर ए गिल्टी एंड: ए डार्क लव स्टोरी 50 k व्यूज कंप्लीट होने के बाद ही शूरु होंगी। 😌




समाप्त



धन्यवाद

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10 Comments

Tania Shukla

26-Aug-2023 07:38 PM

bhut achche kahani hai mam.. sabse behtar apke likhne ka tareeka hai

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Haaya meer

27-Mar-2022 02:21 PM

बहुत खूब

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Muskan khan

27-Mar-2022 10:12 AM

बहुत ही बेहतरीन

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