हम तुम- भाग 4
भाग 4
आदित्य को लगने लगा था कि उसने अदिति को समझने में भूल कर दी है। अदिति ने उससे नाराज होने के बावजूद एक अच्छे दोस्त की तरह उसकी उदासी को समझा और उसे इतने प्यार से समझाया। कितनी बारीकी से वो रिश्तों को और जज्बातों को समझती थी। कोई और लड़की होती तो उसके भाई का मज़ाक भी उड़ा सकती थी, लेकिन अदिति ने परिस्थिति को समझा भी और उसे सकरात्मक तरीके से समझाया भी।
इस दिन के बाद से आदित्य का अदिति के प्रति नज़रिया ही बदल गया था। उसे सुमित की कही बात बार-बार याद आ रही थी…."यार अदिति दिल की बहुत अच्छी है।"
आदित्य ने मन ही मन कहा…..हाँ सुमित, अदिति सच में दिल की बहुत अच्छी है और मुस्कुरा दिया।
आजकल ऑफिस में, घर में बेवजह मुस्कुराने लगा था। ऑफिस में काम करते-करते तिरछी नजरों से अदिति को काम करते हुए देखा करता था। उसे अदिति अच्छी लगने लगी थी। जिस अदिति को वो साधारण नैन-नक्श वाली लड़की समझता था, अब उसे वो खूबसूरत लगने लगी थी। वो चोरी-चोरी उसे देखने लगा था।
अदिति को कई बार एहसास होता था कि आदित्य उसे देख रहा है। लेकिन जब भी वो उसकी तरफ देखती तो वो कंप्यूटर पर काम करते हुए नज़र आता था। अदिति ने चुप रहना ही ठीक समझा, वो फिर से झगड़ा नहीं चाहती थी। अगर वो इस बारे में उससे सवाल करती तो, हो सकता था वो कह दे कि तुम इतनी भी खूबसूरत नहीं जो मैं तुम्हें देखूं। बस यही सोचकर अदिति चुप रह गयी।
आदित्य को काम करते समय गाने सुनने की आदत थी। आजकल वो अदनान सामी का "तेरा चेहरा\' गाना बहुत सुनता था और साथ ही साथ गुनगुनाता भी था।
"ये जमीं रुक जाए
आसमाँ थम जाए
तेरा चेहरा जब नजऱ आये"
जब भी यह गाना सुनता, नजऱ भर कर अदिति की तरफ चुपके से देखता और मुस्कुराने लगता।
अदिति अपने प्रति आदित्य में आये इस बदलाव को बख़ूबी महसूस कर रही थी।
एक शाम ऑफिस से घर जाते वक़्त अदिति ने बातों-बातों में आदित्य से कहा कि उसके घर में कंप्यूटर नहीं है, इस कारण नौकरी के लिए आवेदन करने के लिए साइबर कैफे जाना पड़ता है,जो उसे बिलकुल पसंद नहीं है।
आदित्य ने कहा कि वो अपना पुराना बायो डाटा उसे दे दे। वो उसमें जरुरी बदलाव करके अपने घर से उसकी तरफ से आवेदन कर देगा। उसे परेशान होने की जरूरत नहीं है।
आदित्य का यह जवाब सुनकर अदिति हैरान रह गयी थी। उसने सोचा नहीं था कि इस तरह वो खुद से आगे बढ़कर उसकी मदद करेगा।
अदिति को अच्छा लग रहा था आदित्य में आया यह बदलाव। अब वो हर पल अदिति की मदद करने के बारे में ही सोचता था। आदित्य अदिति की हर समस्या का हल बन चुका था।
एक बार अदिति को ज़रूरी मेल चेक करना था तो उसने आदित्य को फोन करके मेल चेक करने के लिए कहा।
आदित्य ने कहा….तुम्हारा मेल मैं कैसे चेक कर सकता हूँ?
अदिति ने कहा कि सिर्फ एक मेल चेक करने के लिए साइबर कैफे जाना कहाँ की अक्लमंदी है? मेरा पासवर्ड मेरा ही नाम है, प्लीज मेल चेक करके बता दो मुझे।
आदित्य हैरान था अदिति के इस तरह उसे अपना पासवर्ड देने पर।
अदिति तुम पागल हो क्या, इस तरह कोई किसी को अपना पासवर्ड देता है क्या?
अदिति ने कहा कि उसके मेल में कुछ सीक्रेट जैसा नहीं है और उसे ही तो दिया है, किसी अनजान इंसान को तो नहीं।
आदित्य के चेहरे पर मुस्कुराहट थी और वो सोच रहा था……. अदिति कितनी सीधी है, उसकी यही सादगी तो उसके दिल में घर करती जा रही है।
अब आदित्य ही उसके मेल्स चेक करता था। उसके लिए इंटरनेट पर जॉब ढूंढता था और अप्लाई भी करता था।
जिंदगी एक खूबसूरत मोड़ से गुज़र रही थी, जहाँ प्यार अपनी दस्तक दे चुका था।
एक दिन आदित्य अदिति से पहले आ गया था ऑफिस में। अदिति ऑफिस आकर सीधा पहले अपना कंप्यूटर ऑन करती थी। लेकिन आज उसका कंप्यूटर ऑन ही नहीं हो रहा था। उसने आदित्य को कहा…..जरा देखो तो मेरा कंप्यूटर ऑन नहीं हो रहा है।
आदित्य ने कहा अभी समय है 10 बजने में, मैं देख दूँगा बाद में। ये लो तुम काजू खाओ।
अदिति मना कर देती है लेने से यह कहकर कि उसे पसन्द नहीं है। लेकिन आदित्य फिर भी जबरदस्ती खिला देता है यह कहकर कि काजू उसकी सेहत के लिए बहुत अच्छे हैं।
अदिति को थोड़ी हैरानी भी होती है और साथ ही अच्छा भी लगता है आदित्य का यूँ उसकी परवाह करना।
आदित्य अदिति को अपनी बातों में उलझाए रखता है और ठीक 10 बजने से पहले अदिति के कंप्यूटर की सारी तारें कनेक्ट कर देता है और कंप्यूटर ऑन कर देता है।
अदिति गुस्से से कहती है….ओह हो! इसका मतलब तुमने मेरे कंप्यूटर की सारी तारें निकाल कर रखी थीं। ऐसा क्यों किया आदित्य तुमने?
आदित्य मुस्कुराते हुए कहता है….सॉरी अदिति, बस मैं तुमसे बात करना चाहता था। एक बार सर आ जाते हैं तो बात नहीं हो पाती है। अब क्या करूँ सुमित भी नहीं है बात करने के लिए तो अकेलापन महसूस होता है।
अदिति कुछ नहीं कहती और अपने काम में लग जाती है।
आदित्य मन ही मन कहता है….अच्छा हुआ सुमित का नाम ले लिया, बच गया वरना मेरे पीछे पड़ जाती।
दोपहर को काम करते-करते आदित्य गाना सुन रहा था…..
"कहने से डरता है दिल, कहीं इकरार हो ना जाए
ना मिलो हमसे ज़्यादा कहीं प्यार हो ना जाए"
अदिति की तरफ देखकर आदित्य गाने लगता है…..ना मिलो हमसे ज़्यादा कहीं प्यार हो ना जाए
लेकिन अदिति तो अदिति थी, वो अपने प्रोजेक्ट में उलझी हुई थी। उसे एक जगह कोडिंग में बार-बार प्रॉब्लम आ रही थी। उसका आदित्य की बातों की तरफ कोई ध्यान नहीं था। सर ने आज ही उसे प्रोजेक्ट पूरा करने को कहा था।
शाम के 6 बज चुके थे, अदिति अभी भी कोडिंग में उलझी थी। आदित्य को अच्छा नहीं लग रहा था कि अदिति ने उससे मदद क्यों नहीं मांगी। आदित्य को गुस्सा आ गया, उसने अदिति को अपनी सीट से उठने के लिए कहा और उसकी कोडिंग चेक करने लगा।
अदिति ने इस बार भी वही गलती की थी जो पहले की थी। आदित्य ने कोडिंग ठीक की और प्रोजेक्ट सर को दिखाने के लिए कहा।
सर ने कहा वो प्रोजेक्ट सुबह देखेंगे, अभी वो व्यस्त हैं किसी और काम में।
अदिति और आदित्य घर के लिए निकल जाते हैं। बाहर अँधेरा हो चुका होता है।
आदित्य अदिति को गुस्सा करता है कि आज उसकी वजह से देर हो गयी। पहले ही उसकी मदद ले लेती तो देर नहीं होती।
अदिति गुस्से से कहती है….मैंने कब कहा था रुकने के लिए, तुम्हें इतनी ही देर हो रही थी तो तुम चले जाते।
आदित्य भी गुस्से से ही जवाब देता है…..यह दिल्ली है और ऊपर से सर्दियों की रातें। तुम्हें अकेला कैसे छोड़ देता? जानती हो बस में कितनी भीड़ मिलेगी अब? मेरा तो कुछ नहीं लेकिन तुम्हें तकलीफ होगी।
अदिति चुपचाप आदित्य का चेहरा देख रही थी। जब उसे गुस्सा आता था तो गुस्से से उसके कान और नाक लाल हो जाती थी।
आदित्य कहता है….मेरी शक्ल मत देखो अब, चुपचाप घर चलो।
अदिति को आदित्य का यूँ उस पर गुस्सा करना आज बुरा नहीं लग रहा था और आदित्य को अदिति की यूँ फ़िक्र करना उसके दिल में कुछ अलग ही एहसास जगा रहा था। शायद समय आ गया था दिल के जज़्बातों को जुबाँ पर लाने का।
❤ सोनिया जाधव
शाम क
Punam verma
10-Jan-2022 09:18 AM
Very nice
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Seema Priyadarshini sahay
09-Jan-2022 12:59 AM
बहुत बढ़िया मैम
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Shrishti pandey
08-Jan-2022 04:52 PM
Nice
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