Sonia Jadhav

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हॉरर सीरीज़ - भूतिया सिनेमा

ये क्या नीरज तू फिर से हॉरर कहानी लिख रहा है। रोज़ का बस यही काम है तेरा, दिन में डरावनी कहानी लिखना और रात को भूतिया फिल्में देखना।
ये नहीं कि कुछ नौकरी करके घर का खर्च चलाने में माँ की मदद करूँ?

ओह हो माँ, तुम्हारे उपदेश खत्म होंगे भी कभी। माँ देखना एक दिन मैं खुद की लिखी कहानी पर हॉरर फिल्म बनाऊंगा। रातों रात हिट हो जायेगी मेरी फिल्म और मैं एक दिन पैसों में खेलूँगा।

फिल्म बनाने के लिए पैसा कहाँ से लायेगा?

तुम हो ना माँ और यह इतनी बड़ी हवेली किस काम आएगी, जरूरत पड़ी तो बेच दूँगा।

मैं तुझे एक फूटी कौड़ी नहीं देने वाली और ये हवेली तो बिल्कुल भी बेचने नहीं दूंगी।

नीरज गुस्से में आने की बजाय मुस्कुराने लगा, उसके दिमाग में कुछ और ही खेल चल रहा था। नीरज ने भूत प्रेत की कहानियां देखने और लिखने के साथ-साथ अघोरी बाबाओं और तांत्रिकों के पास भी जाना शुरू कर दिया था। जिसका उसकी माँ को कुछ भी अंदाजा नहीं था।

कुछ साल बाद……..

नीरज शूटिंग कहाँ रखी है तुमने?
मेरी ही पुरानी हवेली में दिव्या।

नीरज ये कोई भूतिया हवेली तो नहीं है ना?

नहीं-नहीं सिर्फ पुरानी हवेली है, भूतिया नहीं।

तुषार हँसने लगा…. नीरज तू जहाँ भी ले जाता है शूटिंग पर वो जगह भूतिया ही होती है।
वो तो हनुमान जी का लॉकेट रहता है मेरे गले में, तो मैं हर बुरी शक्ति से बच जाता हूँ।

देख तुषार दिव्या को डरा मत, यह उसकी पहली फिल्म है हमारे साथ।

ओके नीरज।

देखो तुषार और दिव्या तुम मेरी फिल्म के हीरो-हीरोइन हो। इस फिल्म की कहानी भी मेरी है, इसे प्रोड्यूस और डायरेक्ट भी मैं ही कर रहा हूँ।

इसका मतलब भूत पैदा भी मैं ही करता हूँ और मार भी मैं ही देता हूँ। भूत-वूत कुछ नहीं होता, बस यह एक माध्यम है लोगों को डराकर पैसा कमाने का।

लोगों को हॉरर फिल्में अच्छी लगती हैं और इसलिए मैं इन्हें बनाता हूँ। मैं जान बूझकर ऐसी लोकेशन्स चुनता हूँ जो पहले से ही किसी ना किसी खौफनाक घटना की साक्षी रही हैं ताकि जब तुम अभिनय करो वहाँ तो तुम्हारे अंदर का डर लोगों को सच्चा लगे। मेरी इसी दूरदर्शिता की वजह से ही तो मेरी हर फिल्म सुपरहिट होती है।

नीरज तुम्हारी हवेली से कौनसी खौफनाक घटना जुड़ी हुई है?

यही कि बस मेरी हवेली का एक हिस्सा बहुत पुराना है, लेकिन दूसरा हिस्सा उतना ही शानदार है।

बहुत किफायती पड़ता है वहाँ शूटिंग करना।

कल सुबह हमें आउटडोर शूटिंग के लिए निकलना है, तो फिर सुबह मिलते हैं।

दिव्या….. तुषार मुझसे पहले जो तुम्हारे साथ हीरोइन काम कर रही थी, उसे दुबारा क्यों नहीं रखा हीरोइन।

नीरज की हर फिल्म में हीरो-हीरोइन नए ही होते हैं। मैं पहले उसके साथ सहायक निर्देशक के तौर पर काम करता था, इसलिये उसने मुझे हीरो कास्ट कर लिया। हॉरर फिल्में ज्यादातर छोटे शहरों और गाँवों में चलती है।

इन फिल्मों की एक सेट ऑडियंस होती है और उन्हें फर्क नहीं पड़ता हीरो-हीरोइन कोई भी हो।
कम खर्चा और मुनाफा ज्यादा, यही गणित है इन फिल्मों का।

अगली सुबह सब नीरज के गाँव माधोगढ़ निकल जाते हैं। माधोगढ़ पूरी तरह रेतीला इलाका होता है। घर एक दूसरे से दूर-दूर बने होते हैं। हवेली तो पूरी तरह से सुनसान इलाके में होती है, ना बंदा ना बंदे की जात।

दिव्या को जहाँ मन ही मन डर लग रहा होता है, तुषार वहीँ बेफिक्र सा होता है। उसे आसपास के  रेतीले पहाड़ और बीच में हवेली का होना बहुत रोमांचक लग रहा होता है।

हवेली का एक हिस्सा वाकई बहुत जर्जर हालत में होता है और दूसरा बहुत ही आलिशान। सबके ठहरने का इंतज़ाम हवेली के आलीशान हिस्से में किया होता है। उनकी देखभाल के लिए एक नौकर सूरज सिंह पहले से ही मौजूद होता है।

अगले दिन फिल्म की शूटिंग शुरू होती है जो हवेली के नए हिस्से में होती है।

नीरज सीन समझाता है…. तुषार और दिव्या एक हवेली में कुछ निजी क्षण बिताने आते हैं। दोनों के बीच रोमांस होता है और जब वो रात को सो रहे होते हैं तो अचानक से दिव्या को लगता है कि उन्हें कोई खिड़की से देख रहा है। एक काली परछाई सी नजर आती है और वो जोर से चिल्लाती है, जिसे सुनकर तुषार उठ जाता है।

सब कुछ बहुत अच्छे से शूट हो रहा होता है। लेकिन रोमांटिक सीन करने में तुषार को झिझक हो रही होती है तो नीरज उसे कहता है….. तुषार गले में तू ने हनुमानजी का लॉकेट पहना है और तू इतने रोमांटिक सीन कर रहा है, झिझक तो होगी ना। आ ये लॉकेट मुझे दे दे।

तुषार नीरज के हाथ में अपना लॉकेट दे देता है।

रोमांटिक सीन अच्छे से शूट हो जाते है लेकिन काली परछाई वाला सीन रात को शूट होना होता है।

दूसरे सीन में दिव्या काली परछाई का पीछा करते हुए पुरानी हवेली में जाती है। तभी पीछे से काली परछाई आती है और उसका गला दबाने की कोशिश करती है, दिव्या डर के मारे जोर से चिल्लाती है और तुषार उसे बचाने आता है। लेकिन वो तुषार को भी पकड़ लेती है दूसरे हाथ से और उनका गला दबाने की कोशिश करती है।

बहुत देर तक जब नीरज के कट बोलने की आवाज़ नहीं आती तो तुषार और दिव्या एक साथ हनुमान चालीसा बोलना शुरु कर देते हैं और काली परछाई उन्हें छोड़कर भाग जाती है। तभी नीरज कट बोलता है और उनके शानदार अभिनय के लिए तालियां बजाता है।

तुषार और दिव्या को गुस्सा आ जाता है। दोनों एक साथ बोलते हैं ....... जब हमने कट करने के बोला तो तब तुमने कट क्यों नहीं किया?

नीरज....... सीन इतना परफेक्ट चल रहा था,कट कैसे बोल देता बीच में।

तुषार..... उस लड़की को बुला ज़रा जो काली परछाई की एक्टिंग कर रही थी। उसने तो सच में ही हम दोनों का गला दबोच लिया था। अगर हम हनुमान चालीसा नहीं जपते तो वो तो हमें मार ही डालती।

दिव्या भी तुषार की हाँ में हाँ मिलाती है।

नीरज तभी अपने असिस्टेंट महेश को बुलाता है.… महेश वो काली परछाई की एक्टिंग करने वाली लड़की को तो बुलाओ।
सर मैंने आपको बताया तो था वो आज आयेगी नहीं शूटिंग के लिए।

नीरज अपने सिर पर हाथ रखता है .....ओह माय गॉड तो फिर वो काली परछाई कौन थी शूटिंग में?

सबके डर के मारे हाथ-पांव फूल जाते हैं। दिव्या और तुषार शूटिंग करने से मना कर देते हैं। नीरज उन्हें दुगनी रकम का लालच देकर बाकि की फिल्म शूट करने के लिए मना लेता है।

फिर से शूटिंग शुरू होती है…. तुषार और दिव्या के बीच रोमांटिक सीन चल रहा होता है, अचानक दिव्या को तुषार के चेहरे में नीरज का चेहरा दिखाई देता है और वो जोर से चिल्लाती है….नीरज… तुम यहाँ कैसे?

तभी नीरज कट करता है और कहता है पागल हो गयी ही दिव्या चीखी क्यों?
तुषार भी कहता है….हाँ दिव्या तुम नीरज कहकर चीखी क्यों?
तुषार मुझे तुम्हारे चेहरे में नीरज का चेहरा नजर आया था।

नीरज…..अब यह कुछ ज्यादा हो रहा है दिव्या। तुम चुपचाप शूटिंग पर ध्यान दो।

दिव्या तुषार से कहती है…. मैं सच बोल रही हूँ तुषार।

तुम चिंता मत करो दिव्या मुझे तुम पर पूरा विश्वास है। इस तरह से उनमें गहरी दोस्ती हो जाती है और वो एक दूसरे के करीब आ जाते है। शूटिंग भी लगभग खत्म हो जाती है।
आखिरी सीन बचता है जो पुरानी हवेली में शूट होना होता है। जिसमें तुषार और दिव्या मर जाते हैं और तांत्रिक उनकी आत्मा को कांच की बोतल में कैद करके तहखाने में रख देता है।

इस तरह फिल्म खत्म हो जाती है और हमेशा की तरह फिल्म के हीरो हीरोइन फिल्म जगत से फिर से गायब हो जाते हैं और तलाश शुरू होती है नए हीरो -हीरोइन की नीरज की अगली फिल्म तहखाने का रहस्य के लिए। तुषार और दिव्या की फिल्म "मैं, तुम और काली परछाई" हिट हो जाती है।

कुछ दिनों बाद नीरज पुरानी हवेली जाता है। हवेली में एक तहखाना होता है जहाँ सबकी लाशों की अस्थियां उनके नाम के साथ पड़ी होती हैं।

पहले अपनी माँ के पास जाता है….देख माँ जिन भूतिया कहानी लिखने और देखने के कारण, तू मुझे नाकारा और निकम्मा कहती थी, आज उन्ही कहानियों के बदौलत मेरे पास पैसा ही पैसा है।

थोड़ा सा पैसा ही तो माँगा था तुझसे और तू ने वो भी ना दिया, तो फिर मैं बेचारा क्या करता, तुझे मैंने हमेशा की नींद सुला दिया।

मेरी फिल्म का हर किरदार अंत में मर जाता है और मेरी फिल्म हिट हो जाती है। देख तेरे साथ यहाँ कितनों की अस्थियां पड़ी है। बेचारे सब संघर्ष करने वाले एक्टर होते हैं छोटे शहरों से, जो फिल्मों में नाम कमाने के लिए घर से भाग कर आते हैं और उनकी खबर लेने वाला कोई नहीं होता।

माँ तुझे तो पता ही है तेरा बेटा हॉरर फिल्म डायरेक्टर के अलावा एक तांत्रिक भी है जिसके इशारे पर सारी आत्माएं नाचती है। मैंने पहला तंत्र प्रयोग तुझ पर ही तो किया था माँ जो सफल हुआ।धन्यवाद पूजा तुमने काली परछाई का रोल बहुत अच्छा निभाया। पूजा मेरी पहली गर्लफ्रेंड थी और पहली फिल्म की पहली हीरोइन।

दिव्या मैं तुम्हें मारना नहीं चाहता था इतनी जल्दी लेकिन तुम मेरे करीब आने से पहले तुषार के करीब आ गयी और झूठन मुझे बरदाश्त नहीं।

तुम सबकी आत्माएं कांच की बोतलों में कैद हैं और कैद रहेंगी हमेशा। जब मैं एक्शन बोलूंगा तब वो अभिनय करेंगी, जब कट बोलूंगा तो वापिस अपनी बोतल में चली जाएँगी।
इस भूतिया सिनेमा पर सिर्फ मेरा राज है और हमेशा रहेगा, यहाँ सिर्फ मैं एक्शन बोलूंगा और मैं ही कट…

❤सोनिया जाधव

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7 Comments

Seema Priyadarshini sahay

11-Jan-2022 06:16 PM

बहुत बढ़िया लिखा

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Arjun kumar

10-Jan-2022 02:12 PM

Nice

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Shivlal sager

10-Jan-2022 02:09 PM

Nice

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