Sonia Jadhav

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अनोखा प्रेम

नभ के तमाम तारे अपने आँचल में समेट लायी हूँ प्रिये सिर्फ तुम्हारे लिए,
तुम्हारे बुझते ख्वाबों को रौशन करने के लिए।
वादा करती हूं , तुमसे कोई अपेक्षा नहीं रखूंगी,
मैं तो सिर्फ तुम्हारे संग चलूंगी।
उन कंटीली राहों पर, जहाँ तुम नितांत अकेले होंगे
तुम चलते जाना अपनी राह।
मैं तुम्हारे रास्ते से कंकड़ उठाती जाऊंगी।
थक हार जाओगे जब तुम
मैं अपने आँचल की छांव में समेटकर तुम्हें तपती धूप से  बचाऊंगी।
यकीं करो मेरा, मैं तुम्हारे और तुम्हारी खाव्हिशों के बीच कभी ना आऊंगी।
एक मित्र की भांति संबल बनूँगी तुम्हारा,
अपने प्रेम को मैं तुम्हारे पैरों की बेड़ी कभी बनने नहीं दूंगी।
तुम्हारी सफलता को मैं अपनी जीत मान,
ह्रदय से तुम्हारे खुशहाल जीवन की मंगल कामना करुँगी।
तुम लौट आए तो मैं जी  उठूंगी,
और ग़र नहीं आये तो तुम्हारी  स्मृतियों के संग जीवन गुजार दूंगी।
यकीं करो मेरा, मैं तुम्हारे और तुम्हारी खाव्हिशों के बीच कभी ना आऊंगी।
❤सोनिया जाधव
#लेखनी काव्य प्रतियोगित

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9 Comments

Shrishti pandey

11-Jan-2022 11:34 PM

Nice

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Abhinav ji

11-Jan-2022 12:21 AM

Nice

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Gunjan Kamal

10-Jan-2022 02:23 PM

शानदार प्रस्तुति 👌

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