Ajay Kumar

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लेखनी प्रतियोगिता -10-Jan-2022 चांदनी रात

चांदनी रात थी


और हम बलकोनि मै खड़े होके चाँद को निहार रहें थे

दूर कंही एक गीत सुनाई दे रहा था

" मै यंहा तु वंहा जिंदगी है कंहा

नींद आती नही याद जाती नही

बिन तेरे जिया जाए ना.... "

वैसे तो हम ये गीत हम कई बार पहले सुने थे

पर उस दिन महसूस किया

क्योंकि अब तुम पास जो नहीं थे

कंही दूर बहत दूर रेह रहे हो

तुम जितने भी दूर रहो

हमारे दिल के करीब हमेशा रहोंगे

दीन हो या रात

हमारे ख़ाबों मे बस तुम हि आओगे


उस दिन भी हम खड़े खड़े मेहेंगे मेहेंगे ख्वाब देख रहे थे

पहाड़ों के बीच झरना के पास एक छोटा सा घर हो

उस घर मे बस हम दो हो

दीन की सुरुवात तुम्हारे साथ और खतम भी तुम्हारे साथ हो

वंहा हमें डिस्टर्ब करने वाला कोई ना हो

बस पंछीओ की आवाज और झरना की बोली हो

बारिस मे भी थोड़ा भीग लेंगे

थंडी हवा को मेहसूस करेंगे

छत के ऊपर एक झुलन लगाएंगे

रात को दोनो बेठे बेठे चाँद को देखेंगे

ऐसा मोहबत होगा

चाँद भी सरमा जायेगा

रोसोइ मे देख लुंगी

बिखरा हुआ घर तुम सजा देना

अपने हाथों से खिलाया करूँगी

बस तुम पंखा चला देना


बेसुमार प्यार की बरसात हो

ख्वाइश इतनी थी कि हम दोनो पास हो..

सच मे अब तुम्हारे बिना जिंदगी रुक सा गया है

एक दिन भी सालों जैसे लग रहा है

पता नही ये दुरिंया कब खतम होगी

पता नही ये समय कब हम को फिर से नजदीक लायेगी

इस छोटी सी दिल मे छोटी सी ही आसा है

पास हैमेशा तुम रहो जैसे सूरज के साथ उसका किरण जो

अजय कुमार


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9 Comments

Shrishti pandey

11-Jan-2022 11:52 PM

Nice

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DRX.Ajay kumar

11-Jan-2022 08:33 PM

Nice darling💋💋💋

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Seema Priyadarshini sahay

11-Jan-2022 06:12 PM

सुंदर लिखा सर

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