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लेखनी प्रतियोगिता -11-Jan-2022

संसार

इस संसार की प्रेम के प्रति एक रीति मानी जाती हैं,
की प्रेम के प्रतीक राधा-कृष्ण को भी ये साथ में देख नहीं पाती हैं।

जब ये संसार इतने पावन राधा-कृष्ण को समज नहीं पाया हैं,
तो ये हमें समझेगा ये व्यर्थ सा माना जाता हैं।

कृष्ण के कई अवतार में उसे आपने प्रेम से वंचित रहना पडा हैं,
क्योंकि जब वो राम बने, तब भी उन्हें सीता को ही दूर करना पडा हैं।

इस संसार ने प्रेम को कभी भी वह मान नहीं दिया हैं, जो उसे देना चाहिए था,
इसलिए अपने प्रेम के लिए लडने वाले हर शख्स को ये संसार ही त्यागना पडा हैं।

भले ही कहते संसार में ये हैं कि प्रेम करने वाले कभी भी मिल नहीं पाते हैं,
पर अगर नसीब हो शिव-पार्वती के जैसा, तो मिलन हर जनम में संभव होता हैं।



करिश्मा खारवा

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5 Comments

Ravi Goyal

12-Jan-2022 08:25 AM

बहुत सुंदर रचना 👌👌

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Punam verma

12-Jan-2022 08:23 AM

Nice

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Shrishti pandey

12-Jan-2022 12:20 AM

Awesome

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