Rekha mishra

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लेखनी कहानी -11-Jan-2022

         ढूंढते हैं 

चलो जमीन पर कहीं आसमा ढूंढते हैं। 

ना मिले जहाँ गम वो जगह ढूंढते हैं। 

घाव हर कोई देगा यहाँ 

जो मलहम दे वो इंसान ढूँढते हैं। 

ढूंढते ढूंढते थक गए ना 

तो कोई मजबूत आसारा ढूंढते हैं। 

जिंदगी खत्म नहीं हुई आस बाकी है। 

करो थोड़ी और के तलाश अब भी बाकी है। 

बहुत थक गए ना चलते हुए 

बैठने को सही जगह ढूंढते है। 

रोने की कई वजह होंगी, 

हंसने की भी कोई वज़ह ढूंढते हैं। 

गुजरी काफी जिंदगी अंधेरे में 

चलो मिलकर नई सुबह ढूंढते है। 



By-Rekha mishra 

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5 Comments

Rekha mishra

11-Jan-2022 11:26 PM

😊

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Sudhanshu pabdey

11-Jan-2022 08:21 PM

Very beautiful 👌

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Swati chourasia

11-Jan-2022 07:32 PM

Bohot hi khubsurat rachna 👌

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