संसार
"संसार"
इस संसार सागर की कुछ बातें
समझ नहीं आती...
अपनों से अपनों की खटास
समझ नहीं आती...
सच को अनदेखा करने वाली बात
समझ नहीं आती...
सिर्फ दिखावे की खातिर जीने वाली बात
समझ नहीं आती...
मुंह पर मीठी बात और पीछे
कड़वी बातों की बरसात
समझ नहीं आती...
झूठ को सच साबित करने की खातिर
झूठी कसमों की बात
समझ नहीं आती...
जूठ के होटों पर मुस्कान
और सच की आंखों में बरसात
समझ नहीं आती...
इस संसार सागर की कुछ बातें
समझ नहीं आती...
अपनों से अपनों की खटास
समझ नहीं आती...
कविता गौतम...✍️
प्रतियोगिता हेतु।
11-1-2022
Ravi Goyal
12-Jan-2022 08:28 AM
वाह बहुत खूब 👌👌
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Punam verma
12-Jan-2022 08:20 AM
Very nice
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Shrishti pandey
12-Jan-2022 12:24 AM
Nice
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