Kavita Gautam

Add To collaction

संसार

"संसार"

इस संसार सागर की कुछ बातें
समझ नहीं आती...

अपनों से अपनों की खटास
समझ नहीं आती...

सच को अनदेखा करने वाली बात
समझ नहीं आती...

सिर्फ दिखावे की खातिर जीने वाली बात
समझ नहीं आती...

मुंह पर मीठी बात और पीछे
कड़वी बातों की बरसात
समझ नहीं आती...

झूठ को सच साबित करने की खातिर
झूठी कसमों की बात
समझ नहीं आती...

जूठ के होटों पर मुस्कान
और सच की आंखों में बरसात
समझ नहीं आती...

इस संसार सागर की कुछ बातें
समझ नहीं आती...

अपनों से अपनों की खटास
समझ नहीं आती...

कविता गौतम...✍️

प्रतियोगिता हेतु।

11-1-2022

   6
4 Comments

Ravi Goyal

12-Jan-2022 08:28 AM

वाह बहुत खूब 👌👌

Reply

Punam verma

12-Jan-2022 08:20 AM

Very nice

Reply

Shrishti pandey

12-Jan-2022 12:24 AM

Nice

Reply