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नज़राना इश्क़ का (भाग : 03)




निमय अपने घर की छत पर टहल रहा था, सूरज डूबने ही वाला था। वो छत पर टहलता हुआ अपने बसेरों को वापिस लौटते पंछियों को देख रहा था। वह किसी ख्याल में खोया सा नजर आ रहा था। अचानक उसकी आँखों के सामने एक चेहरा उभरने लगा, उसके चेहरे पर मुस्कान खिल गयी मगर अगले ही पल वह जैसे घबरा उठा, उसके चेहरे पर मुस्कान की जगह डर ने अपना बसेरा कर लिया था। उसने किसी तरह खुद को संभाला और सीढ़ियों की ओर भागा।

"मम्मी, मम्मी! जानी कहा है?" निमय चिल्लाते हुए नीचे उतरता गया।

"क्या हुआ रे? झगड़ा किये बिन एक दिन भी मन नहीं लगता क्या? ये भी भूल गया कि वो कोचिंग करने जाती है।" मिसेज़ शर्मा ने डांटते हुए कहा, जो कि आंगन में लगे फूलों में पानी डाल रहीं थी।

"पर कल तो नहीं गयी थी न?" निमय ने सड़ा सा मुँह बनाया।

"पढ़ाई लिखाई पर ध्यान दे तब तो पता चले। संडे था कल।" मिसेज शर्मा ने बिना उसकी ओर देखे कहा।

"बिल्कुल सही कहा मम्मी! पता है आज एक नई लड़की आयी, कसम से लेट आने में तो इससे भी दस कदम आगे है वो, फिर पता है आपके सपूत श्री जानी दुश्मन जी क्या कह रहे थे कि वो टॉप करेगी इस साल..!" गेट खोलकर अंदर आते हुए जाह्नवी ने शिकायती लहज़े में कहा।

"अबे यार झूठ मत बोल! मैंने ऐसा कब कहा?" निमय ने अपनी सफाई पेश करनी चाही।

"क्यों रे! अपनी बहन से इतनी तकलीफ़ है क्या तुझे?" मिसेज़ शर्मा ने उसके कान मरोड़ते हुए सवालियां लहजें में कहा।

"अरे तकलीफ़ तो मुझे हो रही मम्मा! कान छोड़ो न प्लीज!" निमय किसी चार साल के बच्चे की भांति मासूम सूरत बनाते हुए अपने कान छुड़ाने की कोशिश करता हुआ बोला।

"मत छोड़ना मम्मा! जब देखो तंग करता रहता है मुझे, जैसे दुनिया में और कोई काम ही नहीं है इसको!" जाह्नवी ने मुँह टेड़ा करते हुए कहा। फिर मुँह छिपाकर हंसते हुए अपने कमरे में चली गयी।

"ओरी मैय्या! कितनी बड़ी झूठी है रे तू! भगवान से डर लड़की, भगवान से डर!" निमय की आँखे चौड़ी होती गयी। मिसेज शर्मा ने अब भी उसके कान कसकर खींचे हुए थे। "हर मंडे को मेरी ही धुलाई हो जाती है।" निमय का मुँह बना हुआ था।

"प्लीज! छोड़ दो न! सच में कुछ भी नहीं किया मैंने, हमेशा उसी की बात सुनी जाती है।" निमय ने बुरा सा मुँह बनाया, उसकी मम्मी ने हँसते हुए उसका कान छोड़ दिया, वो सीधा कमरे की ओर भागा।

"क्यों रे चुड़ैल? झूठ क्यों बोला मम्मा से?" निमय ने जाह्नवी के बाल खींचते हुए पूछा।

"ये जुल्म है किसी लड़की पर, इसके लिए तुझे जेल भी हो सकती है। मम्म…..!" जाह्नवी ने निमय को धमकाते हुए मम्मी को आवाज लगाना चाहा, मगर जैसे ही उसने चिल्लाने की कोशिश की निमय ने उसका मुँह बन्द कर दिया।

"अबे ऐसे कैसे जेल हो जाती बे?" निमय धीमे शब्दों में उसे धमकाते हुए बोला।

"देख अभी तू मेरे बाल खींच रहा है, फिर बहुत तेज खींचेगा, इस तरह मेरे सारे बाल सिर से उखाड़ जाएंगे, जिस कारण मेरा सिर फट जाएगा, और ओवर ब्लीडिंग के कारण मेरी चली जायेगी। तूने ये कोशिश की.. इसलिए तुझे जेल होकर रहेगी।" जाह्नवी ने धीमे स्वर में एक्सप्लेन करते हुए बोली।

"हे भगवान! आपसे रत्तीभर भी डर नहीं लगता इस लड़की को! थोड़ा तो डर ले मेरी माँ!" निमय हाथ जोड़कर वहीं बैठ गया।

"अच्छा तो मम्मी को बोलूं..! मम्मी…!" जाह्नवी ने धीमे स्वर में धमकाते हुए कहा।

"रहने दो। वैसे भी मेरी सुनता कौन है! मम्मी पापा दोनों बस तेरी ही तो बात सुनते हैं और बस तेरी ही मानते हैं।" निमय ने मुँह लटकाते हुए कहा।

"देख इसमें गलती तेरी है, मम्मी पापा की ख्वाहिश थी कि उनकी पहली संतान बेटी हो मगर गलती से तू भी आ गया, अब मैं तेरा हक़ तो मार नहीं रहीं हूँ। हाँ अगर सच कहूं तो तूने मेरा हक़ जरूर मारा है, वरना अभी मेरे पास एक छोटा भाई होता जो कम से कम तेरी तरह नकचढ़ा तो नहीं होता और दीदी कहता मुझे!" जाह्नवी ने निमय से भी सड़ा सा फेस बना लिया।

"जा मेरे को बात ही नहीं करनी!" निमय मुँह लटकाकर बैठ गया।

"हाये मेरा प्यारा भाई!" जाह्नवी ने उसके गले लगते हुए कहा। निमय सबकुछ भूलकर उसके सिर पर बड़े प्यार से हाथ फेरने लगा।

"अच्छा ये बता भाभी कब दिला रहा मुझे!" जाह्नवी ने हँसते हुए पूछा।

"अबे नौटंकी तेरी तो..!" निमय उसकी ओर तकिया फेंकते हुए बोला।

"क्या? एक भाभी नहीं दिला सकता मुझे? कैसा भाई है रे तू?" जाह्नवी ने तकिए से बचकर अपने सिर पर हाथ मारते हुए कहा।

"पीट जाएगी बेटा तू मेरे हाथ से!" निमय दूसरा तकिया उठाकर उसकी ओर भागा।

"इस युद्ध में हम भलीभांति माहिर हैं बालक! यदि अपने इज्जत का फालूदा ना करवाना हो तो तकिया नीचे रख दें!" जाह्नवी अपने हाथों में तकिया उठाये बेड पर खड़ी होकर बोली।

"वो तो मैं देख लूंगा गधी!" निमय भी उसकी ओर भागा।

"घोंचू कही का!" जाह्नवी ने उसके सिर पर तकिया मारते हुए कहा। "अभी भी टाइम है भाभी दिला दी मुझे!"

"मम्मी देख लो अब…!" निमय चिल्लाते हुए बोला।

"हे राम! किसी दिन तो ये बच्चे बड़े हो जाएं! इनका ये रोज रोज का झगड़ा…!" मिसेज शर्मा ने अपने आप से कहा, मगर उनके चेहरे पर चिंता के बजाए मुस्कान थी।

"जानू बेटा तुम आओ सब्जी काट दो, और निमय तुम्हें आज आटा गूंथना पड़ेगा।" मिसेज शर्मा ने उनके कमरे में आते ही अपना फरमान सुनाया।

"मम्मा यार, मुझपे ये जुल्म..!"

"आई एम ऑलवेज रेडी मम्मा!" जाह्नवी ने निमय की बात पूरी होने से पहले कहा।

'यार हमेशा मेरे पे ही जुल्म! लड़की वो है और सारे काम मुझसे करवाये जाते हैं!' निमय मुँह बनाते हुए अपने आप से बोला।

"तुम्हें कुछ कहना है निमय?" मिसेज शर्मा ने उसे ख्यालों में डूबा देख पूछा।

"नहीं मम्मा!" निमय ने उत्तर दिया। 'वैसे भी मेरी सुनता ही कौन है हुँह…!'

"और हाँ जल्दी करना! तुम्हारे पापा आते ही होंगे, नाश्ते के बाद डिनर भी तुम दोनों को ही बनाना है!" मिसेज शर्मा किचन के बाहर कुर्सी लगाकर बैठते हुए बोली।

"क्या इसके बाद डिनर भी बनेगा?" दोनों ने एक साथ पूछा।

"हां!" मिसेज शर्मा मुस्कुराती रहीं। दोनों अपने काम में लग गए, थोड़ी देर बाद मिस्टर शर्मा भी घर आ चुके थे।

सब काम धाम कर डिनर के बाद दोनों पढ़ाई में लग गए, मगर थके हुए होने के कारण निमय जल्दी सो गया, जाह्नवी पढ़ते हुए उसके मासूम चेहरे को देखकर मुस्कुराती रही। इस वक़्त उन्हें देखकर कोई नहीं कह सकता था कि वे वही दोनों हैं जो दिन रात आपस में लड़ते ही रहते हैं।

जाह्नवी के चेहरे पर अजीब सा सुकून था, उसके सामने उसका भाई गहरी नींद में था, वह किसी ऐसे व्यक्ति की भांति महसूस कर रही थी जिसके पास दुनिया की हर खुशी हो, जिसकी हर ख्वाहिश पूरी हो चुकी हो। उसके पास भी उसकी हर ख्वाहिश थी, हर खुशी थी.. उसका परिवार! उसका भाई, जिसे वह तंग करने का कोई मौका न छोड़ती थी, न ही उसका भाई! मगर इस वक़्त उसे सिर्फ प्यार आ रहा था। उसने चादर उठाया और सिर तक ढक दिया और फिर पढ़ाई करने बैठ गयी।

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अगले दिन सुबह !

जाह्नवी अपने पापा के साथ कॉलेज जा रही थी, थोड़ी ही देर में कॉलेज आ गया, उसने दोनों  हाथ हिलाते हुए खुशी से पापा को बाय किया और फिर गेट के अंदर चली गयी। अभी बहुत ही कम स्टूडेंट्स आये हुए थे, जाह्नवी सीधे अपनी क्लास में चली गयी जहां उसे क्लास के अंदर देखकर झटका सा लगा।

पूरी क्लास खाली थी, आज क्लास में केवल एक ही इंसान नजर आ रहा था, वो थी फरी। जिसे देखते ही जाह्नवी के भाव बदलने लगे।

क्रमशः…!


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16 Comments

shweta soni

29-Jul-2022 11:34 PM

Bahut khub 👌

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Sandhya Prakash

25-Jan-2022 08:50 PM

Fari ko dekh janu ko laga jhtka mere man me pada atka... Jldi padh lun age ka part kya dhmaka kiya h...

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Seema Priyadarshini sahay

15-Jan-2022 09:00 PM

बहुत अच्छे कॉलेज की याद दिला दी

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Thanks

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