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लेखनी कहानी -14-Jan-2022

वापसी

जन्म लिया तो मृत्यु भी निश्चित है
फिर नर क्यों प्राण त्यागने से डरता है
सूर्य भी देख तारामंडल ओझल हो जाता है
नई भोर संग स्वर्णिम पोशाक पहन वापसी आता है

आत्मा अजर अमर है बन्धु
फिर क्यों तन बदलने से घबराता है
मुरझा जाता सारंग खोकर खुशबु
नई कलिका से वापस गुल बन जाता है

कोई भी चिरकाल नहीं इस जग में
वापिस सबको एक दिन जाना है
नहीं मरेगी देह यदि
नव सृजन ना संसार का हो पाना है

ऋतुएँ भी बदलती रहती हैं
एक जाती है एक आती है
यही रीत मोह युक्त संसार की
एक जन्म लेता एक अंतिम यात्रा को जाता है

पानी से ही बादल बनता है
फिर बारिश बन पानी हो जाता है
एक तन को छोड़ देह दूजा तन को धारण करती है
इसी जन्म मरण के चक्र से सांसारिक दुनिया चलती है

श्वेता दूहन देशवाल

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4 Comments

Seema Priyadarshini sahay

17-Jan-2022 06:40 PM

बहुत सुंदर

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Ali Ahmad

14-Jan-2022 04:18 PM

Nice

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Swati chourasia

14-Jan-2022 03:48 PM

Wahh bohot hi khubsurat rachna 👌👌

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