सांवरी–५

सांवरी


पिछले भाग से आगे–

सांवरी और धीरू ने इतना शानदार शरबत कभी चखा ही नही था, उसमें बहुत से मेवे पड़े थे और केवड़े की भीनी भीनी खुशबू आ रही थी, एक ही चीज अच्छी नही थी मीठा बहुत हल्का था। शरबत पीते पीते धीरू और सांवरी मानो सपनो के संसार में खो से गए, दोनों ही खुली आंखों  से सपने देखने लगे।
सांवरी को यकीन हो चला था अगर इतनी बड़ी हवेली में उसको नाचने बुलाया गया तो हजारों का इनाम और बख्शीश मिलेगी और बड़े बड़े लोग उसका डांस देखेंगे, उसका सपना पूरा होने वाला था। इतने पीसे में तो बापू का इलाज भी आराम से हो जाएगा। कबीले में भी सब जानेंगे सांवरी कोई मामूली छोरी न सै।
धीरू इस बात से खुश था की उन दोनो को भी बड़े बड़े लोग इज्जत से घर पर बुलाने लगे हैं।
दोनो की तंद्रा तब टूटी जब दो कद्दावर इंसानों ने कमरे में प्रवेश किया, दोनो की बड़ी बड़ी मूछें और वेशभूषा से ही समझ आ रहा था की वो शायद आने वाले कुंवर जी के अंगरक्षक थे, दोनो के हाथ में एक छोटी सी बंदूक थी।
सांवरी और धीरू को ये सब देख कर मन ही मन थोड़ी सी घबराहट सी भी होने लगी और दोनो ही चिंता भरी निगाह से एक दूसरे को देख कर महल के बंद दरवाजे की तरफ भी देखने लगे जिसके पार दो और लंबे चौड़े दरबान खड़े थे।
दोनो अंगरक्षक उन से एक निश्चित दूरी बना कर पीछे हाथ बांध कर सावधान चोकन्ने होकर खड़े हो गए।
कुछ ही क्षण बाद उपर सीढ़ियों से एक बांका सजीला संभ्रांत आदमी नपे तुले हुए कदमों से नीचे उनकी तरफ बढ़ने लगा, साथ ही एक बहुत ही खूबसूरत महिला भी थी। दोनो के चलने, हाव भाव, वेशभूषा और सूरत से ही राजसी ठाठ बाट झलक रहा था।
सांवरी और धीरू उन्हें देखते ही अदब से खड़े हो गए, वहीं दोनो अंगरक्षक भी बिल्कुल मुस्तैदी से खड़े हो गए।
नीचे आकर उस व्यक्ति ने हाथ जोड़ कर दोनो के प्रणाम का जवाब दिया और उनको बैठने का इशारा किया।
मेरा नाम कुंवर वीर प्रताप है और ये हमारी कुंवरानी लाजवंती जी हैं।
दोनो ने एक बार फिर कुंवर और कुंवरानी को नमस्कार किया। चारों लोग उस बड़ी मेज़ पर आमने सामने बैठ गए।
कुछ देर हाल में शांति बनी रही, इस दौरान कुछ नौकर और नौकरानी आकार नाश्ते का सामान मेज़ पर सजा गए। इतने सारे पकवान तो धीरू और  सांवरी ने कभी एक साथ नही देखे थे। तरह तरह की मिठाई, फल और नमकीन व्यंजन से मेज़ भर गई थी।
एक नौकर ने बहुत सलीके से सांवरी और धीरू की पसंद उनके सामने परोस दी, कुंवर साहब के इशारे पर दोनो ने जी भर कर जीमा, इस बीच कुंवर साहब और कुंवरानी आराम से अपनी अपनी कॉफी पीते रहे और मुस्कुरा के उनको देखते रहे।
दोनो ने जब पेट भर के खा लिया और नौकरों ने मेज़ साफ कर दी तब जा के धीरू को याद आया की वो आए किसलिए हैं।
उसने कुंवर जी से पूछा, कुंवर साहब पिरोग्राम कब करना सै, कितनी नाचने वाली लागेंगी और हमने पीसो कितना मिलेगो।
वीर प्रताप ने मुस्कुरा कर अपना सर हिला दिया और बोले हमने आपका कोई प्रोग्राम नही करवाना है। हम तो ....
आपसे कुछ और मांगना चाहते हैं।
हमारी पत्नी कुंवरानी लाजवंती जी को हम से विवाह किए करीब १० वर्ष हो चुके हैं और अभी तक हमको संतान सुख प्राप्त नहीं हो पाया है।
हमने बहुत से बड़े बड़े डॉक्टर से इनका इलाज करवाया परंतु, सब ने हाथ खड़े कर दिए की ये अपनी कोख से बच्चे को जन्म देने में सक्षम नहीं हैं।
इसलिए हम चाहते हैं की सांवरी हमारे बच्चे की मां बनने के लिए तैयार हो जाए.....
पा...गल होरे हो के साहब, सांवरी कोई रांड न सै जो थारे साथ सोवेगी, थमने सोच भी कैसे लिया, थारे घर मा बैठे तो जो जी आवेगा बोलोगे थम..... यो तो थारी लुगाई की शर्म से चुप बैठी मैं, इब तक तो थारी गर्दन काट के थारे ही हाथ मा दे देती सांवरी, अपनी कटार लहराते हुए कुंवर साहब की बात बीच में ही काट के सांवरी शेरनी सी चिंघाड़ पड़ी.....
ओ छोरी, हमारे होते तू कुंवर साब को कटार दिखा रही तेरी इतनी मजाल, अरे मिनटों में तुझे और इसे मार कर यहीं महल के पीछे दफन कर देंगे, दोनो अंगरक्षक बिजली की फुर्ती से बंदूक तान कर आगे बढ़े।
खामोश,..... कुंवर साहब के एक इशारे पर दोनो अंगरक्षक अपनी अपनी जगह लौट गए, धीरू ने सांवरी को भी हाथ पकड़ कर बिठा दिया।
सांवरी का चेहरा गुस्से से अभी भी दमक रहा था। कुंवरानी लाजवंती, अपनी जगह से उठ कर उसके पास आई और बड़े स्नेह से उसके कंधे पर हाथ रख कर उसे शांत करवाया।
तुम गलत सोच रही हो सांवरी, ऐसा कुछ भी नही है।
तो फेर कैसा है कुंवरानी जी, बच्चा के हवा में से पेट में आ जावेगा।
थोड़ा धीरज से हमारी बात सुनो, पूरी, फिर कोई फैसला लेना।
सबसे पहले समझ लो कुंवर जी तुम्हे हाथ भी नहीं लगाएंगे, अरे हाथ क्या तुम्हारे आसपास भी नही आयेंगे।
आजकल विज्ञान ने बहुत तरक्की कर ली है......
पर फिर बच्चा...... पहले बात सुन लो,कुंवरानी जी बोली।
जी हुकुम, सांवरी अभी भी कुछ सुनने या समझने की हालत में पूरी तरह नही आई थी, पर कुवरानी की आवाज में एक अपनापन, एक दर्द महसूस हुआ था उसे।
असल में डॉक्टरों के मुताबिक मेरी कोख इस काबिल नही है की बच्चे को नौ महीने पाल सके, जिस वजह से बच्चा कोख में टिक नहीं पाता और कुछ समय बाद गर्भ गिर जाता है, इसलिए हमे एक ऐसे इंसान की तलाश है जिसकी कोख हमारे बच्चे को नौ महीने संभाले और  जन्म दे।
पर ऐसा होगा कैसे, धीरू बोला, जो अब तक सारी बातें चुपचाप सुन रहा था।
देखो धीरू, तुम्हे तो पता है की मर्द और औरत के मेल से बच्चा जन्म लेता है, कुंवर साहब बोले।
हां जी, धीरू और सांवरी एक साथ बोल पड़े।
आदमी के शुक्राणु जब औरत की कोख में उसके अंडों में प्रवेश करते हैं तब एक बच्चे का जन्म होता है।
लेकिन अब विज्ञान ने ऐसी तरक्की कर ली है की हमारे शुक्राणु और कुंवरानी जी के अंडों का मिलन वो किसी दूसरी कोख में करवा देंगे और इस तरह हमारा बच्चा एक दूसरी कोख से जन्म ले सकेगा। इस नए तरीके को ivf कहते हैं।
इसलिए हमको एक स्वस्थ लड़की की जरूरत है जो हमारी संतान को 9 महीने अपनी कोख में जगह दे सके और इसके बदले हम उसे मुंह मांगी कीमत देने को तैयार हैं।
हमने सांवरी को नाचते हुए देखा है, उमर, शरीर के लिहाज से हमे लगता है सांवरी इस काम के लिए बिल्कुल सही विकल्प है।
अब आप को हमे सोच कर बताना है, क्या सांवरी हमारे लिए ये काम करेगी?
ये तो घणे धर्म संकट की बात से हुकुम... कबीले में किसी को पता चल गया तो हमको जिंदा काट देंगे.......
ना हुजूर हमको तो बकश हो दो थम.......
कह कर सांवरी और धीरू खड़े हो गए..... इब हमको इजाजत दो हुकुम, खम्मा घणी।
ठीक से सोच लो, आज नही तो 2/4 दिन, हम आपके जवाब का इंतजार करेंगे, कुंवर साहब बोले।
जाते जाते सांवरी ने कुंवरानी को देखा, उनकी नम आखें जैसे उससे गुहार लगा रही थी....पर फिर वो दोनो तेजी से चलते हुए हवेली के बाहर आ गए।
सामने वही लंबी काली गाड़ी खड़ी थी, जो उन्हें लेकर वापस डेरे की ओर दौड़ चली।
रास्ते भर धीरू और सांवरी खामोशी से बैठे रहे, सांवरी की याद में अभी भी कुंवरानी का कातर चेहरा उनकी भीगी आखें कौंध रही थी.......
गाड़ी डेरे की तरफ भागी जा रही थी पर उस से तेज भाग रहे थे सांवरी के विचार, उसका अंतर्द्वंद, उसे समझ नही आ रहा था क्या सही क्या गलत......,????

क्रमश:

आभार – नवीन पहल – १५.०१.२०२२ 💐💐🙏🏻🙏🏻

# लेखनी अपनी


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2 Comments

Barsha🖤👑

01-Feb-2022 08:33 PM

Well written

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Seema Priyadarshini sahay

17-Jan-2022 05:36 PM

बहुत खूबसूरत मोड़ ले गई कहानी।बहुत खूब।

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