सांवरी–७

सांवरी


गतांक से आगे –

मुखिया भंवरलाल को साथ लेकर जल्दी से डॉक्टर श्रीवास्तव के केबिन की तरफ बढ़ा, पर डॉक्टर साहब पहले ही घर जा चुके थे।
मुखिया ने फौरन डॉक्टर साहब को फोन करके उन्हें मिली हुई तारीखों के बारे में बताया, और पूछा क्या वो इस मामले में उनकी कुछ मदद कर पाएंगे। जवाब में डॉक्टर साहब ने जो कहा, उस से उनकी उम्मीद कोई खास नहीं बढ़ी।
डॉक्टर साहब ने कहा, कि वो तारीखों में बदलाव की कोशिश तो करेंगे पर बहुत ज्यादा बदलाव की उम्मीद नहीं की जा सकती फिर भी वो कोशिश करेंगे।
उनके इस जवाब से मुखिया को बहुत मायूसी हुई, उसे अब समझ नहीं आ रहा था कि वो अपने दोस्त की मदद किस तरह करेगा, उसके चेहरे की मायूसी भंवरलाल की अनुभवी नजरों से छुप ना सकी।
उसने मुखिया से पूछ ही लिया, के बोला डागदर साब ने।
बोल रे, वो बात कर के बतावेंगे, मुखिया बोला।
हम्मम, मने तो लग रा कुछ न हो सकेगा, भंवरलाल बोला।
अरे तू चिंता को नि कर, कुछ न कुछ बंदोबस्त कर लेंगे हम मिल के, मुखिया ने भंवरलाल को ढाढस देने की नाकाम कोशिश करी, पर उसे खुद की बात पर खुद ही यकीन नही था।
दोनो दोस्त हताश निराश से डेरे की तरफ चल दिए।
दोनो को ही समझ नही आ रहा था कजरी और सांवरी को क्या जवाब देंगे, जैसे जैसे डेरे के नजदीक पहुंचते जाते पांव लरजते जाते।
भंवरलाल ने मुखिया को बोला, कजरी और सांवरी ते कुछ  न कहियो थम, दिल टूट जागा दोनो का। दोनो बावरी घणा प्रेम करें मेरे ते, कहते कहते भावतीरेक उसकी आंखें डबडबा आईं और अगले ही क्षण वो फूट फूट के रोने लगा। ये देख कर मुखिया की आंखें भी भर आई। भर्राई आवाज में वो भंवरलाल को बोला, रो मति बावरे, तू रोवेगा तो उन दोनो को कौन संभालेगा। मर्द बन मर्द।
और फिर दोनो मित्र एक दूसरे के गले लग कर रोते रहे, एक दूसरे के आंसू पोंछते रहे।
काफी देर रोने के बाद जी कड़ा कर के डेरे की तरफ चल दिए।
अपने झोंपड़े के पास कजरी उनको राह देखती हुई मिल गई, उसने एक दम से सवालों की झड़ी लगा दी, के हुआ, के कहा डागदर ने, कित्ते दिन मा ठीक हो जाओगे, रिपोट मा के आयो.....?
भंवरलाल ने उस से नजरें चुराते हुए खिसयानी सी हंसी हंसते हुए बोला, अरे दम तो ले लेन दे, मुखिया को चा पानी की ना पूछेगी, आते ही गोलियां सी दागे है।
कजरी भी सकपका के बोली, माफ करियो मुखिया जी और झटपट दो गिलास में पानी ला के दिया, फिर बोली थम आराम ते विराजो, मैं इब्बी चा बना के ला री, साथ मा रोटी भी लियाऊं, कुछ खाया तो होगा ना।
मुखिया ज्यादा देर वहां रुकना नही चाहता था, ताकि उसे कजरी के सवालों का जवाब न देना पड़े, इसलिए बोला, ना री बहु रैन दे, काफी देर हो ली, अपने डेरे जा के देखूं लुगाई भी परेशान हो री होगी। इतना कह कर वो जल्दी जल्दी भंवरलाल के डेरे से निकल गया।
कजरी ने पीछे से आवाज भी लगाई, पर मुखिया उसे अनसुना करता हुआ लंबे लंबे डग भरता अपने डेरे की तरफ चलता गया।
यो मुखिया जी इतने जल्दी क्यों चले गए, कजरी ने भंवरलाल से पूछा।
अरे होगा कोई काम उनका, इब सारा दिन म्हारी चाकरी थोड़ी करेगा, भलमानुस, उसका भी तो घर बार सै कि ना, कह कर भंवरलाल बोला, अच्छा तू मने रोटी चा दे दे, थक रिया सारा दिन हस्पताल के चक्कर काट काट के, सो जाऊंगा जल्दी।
पर डागदर बोला के, कजरी ने फिर पूछा।
अरी कुछ न बोला दवा खाओ सब कुछ चंगा सै, कह कर भंवरलाल ने उसे टाल दिया।
यो अंग्रेजी डागदर भी लोगों का बुद्धू बनाते फिरे हैं, जब दवा से ही ठीक होना था तो इतने चक्कर क्यों लगवाए, काम धंधा छोड़ के हस्पताल के चक्कर लगाओ.... कजरी काम करते करते बड़बड़ाती जा रही थी।
भंवरलाल मन ही मन सोच रहा था कजरी को तो उसने जैसे तैसे टाल दिया पर सांवरी तो खोद खोद के सवाल पूछेगी, और उसको झूठ बोलना मतलब फंसना, इसलिए बेहतर होगा थकान का बहाना कर के सो जाए फिर सुबह तक कुछ सोच कर बता देगा।
उसे मालूम था उसकी हालत जान कर कजरी और सांवरी बहुत परेशान हो जायेंगे, इसलिए उस ने मुखिया को भी कुछ कहने से मना कर दिया था।
सरकारी इलाज की उम्मीद दिख नही रही थी और पिराइवेट तो उसके पुरखों के भी बस का ना था, 4 लाख, अरे उसे तो ये भी ना पता था कितने जीरो होवे 4 लाख में। पूरा कबीला भी इकट्ठा करे तो मुस्किल से 10/12 हजार इकट्ठे होवेंगे। 4 लाख, सपना ही है हम गरीबों के वास्ते। चलो मरण तो है ही बस जल्दी से सांवरी और धीरू का लगन हो जावे फेर चाहे इस्वर हमने उठा ले। फेर कोई परेशानी न सै।
ओ सांवरी के बापू, के सोच रए हो...… कजरी सामने खड़ी पूछ रही थी।
लो चा पी लो और रोटी खा लो.... घने थक गिये के।
अरे कुछ न सांवरी की सोच रिया,.... लगन जोगी हो ली छोरी, उसका लगन धीरू ते करवा दूं तो गंगा नहावें हम भी....… सोच रिया कल धीरू के बापू से बात करूं।
हां जी इब तो बात कर ही लो थम, कब तक जवान छोरी घर मा बैठेगी......
यूंही बातें करते करते भंवरलाल ने चाय रोटी खा ली, और फिर कुल्ला करके सोने चल दिया। वैसे भी शाम गहराने लगी थी, सांवरी किसी भी समय घर आ सकती थी। अपनी खाट पर लेट कर भंवरलाल ने चादर तान ली और सोने का बहाना करके बिस्तर पर लेट गया।
कुछ ही देर बाद सांवरी और धीरू भी काम से वापस आ गए, सांवरी उतावली हो रही थी की डॉक्टर ने भंवरलाल को क्या कहा होगा, ये देख कर की बापू सो गया है, उसने बापू को जगाना सही ना समझा सोचा सुबह पूछ लेगी।
कजरी ने भी बता दिया कि डागदर साहब ने दवा दे दी है ठीक हो जायेगा।
उस रात, देर रात में सांवरी की नींद खुली, ऐसा लगा की बापू खांस रहा है। दिनभर की थकी कजरी पास की खाट पर बेसुध सो रही थी।
बापू खाट पे बैठा मुंह पे गमछा रख के खांस रहा था, वो तुरंत उठी और बापू के पास आकर कमर सहलाने लगी, खांसी से बेदम भंवरलाल ने बड़ी कातर नजरों से सांवरी को देखा, चांद की रोशनी में गमछे पर पड़ा खून का बड़ा सा धब्बा खुद अपनी कहानी कह रहा था।
सांवरी बहुत देर तक भंवरलाल की पीठ सहलाती रही, तब कहीं जाकर उसे थोड़ा चैन मिला।
बापू, क्या कहा बड़े डॉक्टर ने, सांवरी का सवाल अचानक भंवरलाल को निरूतर कर गया।
खोखली सी हंसी में वो बोला, कुछ न बेटा, दवा से कुछ दिन मा ठीक हो लेगी, उसे मालूम था उसका झूठ पकड़ा गया है। अच्छा सो जा सवेरे काम पे ना जाना है के.... वो बोला।
बापू, मेरे सर की कसम खा के बोल, के कहा डॉक्टर ने।
अरे बावली होरी के, मैं कोई कसम न खारा, बताया तो जो बोला डागदर साब ने, ठीक हो जाना मने कुछ दिन मा।
बापू, झूठ न बोल, मेरे ते, मैं जानू जब तू झूठ बोले ना तू नज़रे दूसरी तरफ कर ले....
सच सच बोल, के हुआ सै तने.....…
बेटा, वो मने....... बोलते बोलते भंवरलाल की आवाज भर्रा गई..... और उसके सब्र और हिम्मत का बांध टूट गया..... और वो फूट फूट के रो पड़ा, अपने पिता को रोता देख सांवरी भी खुद पर काबू न रख पाई और वो भी रोने लगी।
बहुत देर तक बाप बेटी रोते रहे, बीच बीच में भंवरलाल डॉक्टर श्रीवास्तव से मुलाकात से लेकर, ऑपरेशन की तारीख तक का सारा वृतांत उसे बताता रहा।
सांवरी सुनती जा रही थी, उसके आंसू थम चूके थे और वो मन ही मन कुछ सोच रही थी।
उसने एक कठिन निर्णय ले लिया था, अब देखना ये था कि क्या धीरू उसके निर्णय में उसके साथ खड़ा होगा या नहीं.............?????
क्रमश:

आभार – नवीन पहल – १७.०१.२०२२ 🌹🙏🏻❤️👍

अगले भाग में जानिए, क्या धीरू भंवरलाल को बचाने में सांवरी का साथ देगा या नहीं.....

# लेखनी उपन्यास प्रतियोगिता हेतु 

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7 Comments

Seema Priyadarshini sahay

17-Jan-2022 05:45 PM

बहुत ही शानदार प्रस्तुति

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Inayat

17-Jan-2022 04:27 PM

Very nice written

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Thank you ji

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Pratikhya

17-Jan-2022 02:44 PM

Wow

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