Sonia Jadhav

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हम तुम- भाग 12

भाग 12
आदित्य अपने नए ऑफिस में व्यस्त हो जाता है। कई दिनों तक उसे अदिति को फोन करने का वक़्त नहीं मिल पाता। इधर अदिति सोच रही होती है…."कहा था बात नहीं करूँगा लेकिन फोन ज़रूर करूँगा", लेकिन हफ्ता बीत गया है एक फोन तक नहीं किया। आखिर उतर ही गया आदित्य के सिर से प्यार का बुखार।

दिसम्बर का महीना था, सर्दी के दिन थे। उन दिनों फोन पर बात करना बहुत महँगा हुआ करता था। व्हाट्सअप जैसा कुछ नहीं था।

रात 10 बजे करीब अदिति कम्बल में दुबकी सोने की तैयारी कर रही होती है तभी उसका फोन बजता है। उसे लगता है शायद आदित्य का फोन होगा लेकिन अंजान नंबर देखकर उसका मन उदास हो जाता है और वो फोन नहीं उठाती है। दूसरी बार घँटी  बजने पर वो फोन उठाती है। मैं आदित्य बोल रहा हूँ पी. सी. ओ से। तुमने मन किया था बात करने के लिए लेकिन मुझसे रहा नहीं गया।
अदिति का चेहरा खिल उठता है आदित्य की आवाज़ सुनकर लेकिन वो कुछ बोलती नहीं है, सिर्फ सुनती रहती है।

आदित्य….तुम्हें पता है इतनी ठंड में, मैं बाहर फोन करने आया हूँ। अपने फोन से बात करता तो बहुत बिल आ जाता। अगले महीने जब सैलरी मिलेगी तो अच्छा सा कोई कालिंग प्लान ले लूँगा। आज पहली बार किसी को पी. सी. ओ से फोन करने रात को बाहर आया हूँ। ठण्ड भी लग रही है बहुत।

वैसे अच्छा है तुम चुप हो, तुम्हारी ख़ामोशी भी मुझे आज अच्छी लग रही है। नया ऑफिस बहुत अच्छा है, काम करने में मज़ा आ रहा है। मैं रात को सोते हुए रोज़ एक गाना सुनता हूँ….अदनान सामी का "तेरा चेहरा जब नज़र आए"। याद है तुम्हें, पुराने ऑफिस में कितना सुनता था मैं यह गाना। इस गाने को सुनता था और तुम्हारी तरफ देखता था। तुम्हें मेरी याद आये तो तुम भी यह गाना सुनना, मेरा चश्मे वाला चेहरा अपने करीब पाओगी….हा-हा। उधर अदिति भी हँसने लग जाती है लेकिन कुछ कहती नहीं।

आदित्य….अच्छा फोन रखता हूँ, मम्मी सोच रही होगी पता नहीं इतनी ठंड में कहाँ निकल गया। अपना ख्याल रखना।
आदित्य फोन रख देता है लेकिन अदिति अभी भी फोन को सीने से लगाए होती है। उसे लगा था आदित्य का फोन अब कभी नहीं आयेगा लेकिन आदित्य के फोन ने, उसकी बातों ने उसे उसके और भी करीब कर दिया था।

अदिति ने झट से टेप रिकॉर्डर ऑन किया और "तेरा चेहरा" गाना सुनने लगी। ऐसा लग रहा था जैसे गाना अदनान सामी नहीं आदित्य गा रहा हो। अदिति को अपनी सोच पर हंसी आने लगी और बस आदित्य के प्यार को ओढ़े हुए वो कब सोयी कि पता ही नहीं चला।

हर दिन अदिति को आदित्य के फोन का इंतज़ार रहता था लेकिन आदित्य भी कम नहीं था। वो जानबूझकर अदिति को रोज़ फोन नहीं करता था। वो चाहता था अदिति भी उसके इंतज़ार में वैसे ही बेचैन हो जैसे वो रहता है।

ऐसे ही एक दिन अदिति ऑफिस में होती है और आदित्य का फोन आता है। इस बार आदित्य कुछ कहता नहीं….सिर्फ गाने का कुछ हिस्सा चला देता है
"चैन मुझे अब आये ना, तेरे बिना जिया जाए ना
सिली-सिली प्यासी रैना, आके भीगा दे नैना"

आदित्य धीरे से कहता है…..अभी ऑफिस में हूँ। गाना क्यों सुनाया, कुछ समझी?
जवाब तो दोगी नहीं, ना बोलने की जिद किए बैठी हो। अच्छा कम से कम इतना तो कह दो कि तुम्हें मेरी याद आती है। 2 बार खांसोगी तो हाँ और एक बार मतलब ना।
तभी अदिति दो बार खांसती है और आदित्य समझ जाता है कि उसकी अदिति भी उसे उतना ही याद करती है जितना कि वो।

महीना खत्म होने में सिर्फ 10 दिन बचते हैं और आदित्य का फोन आना बंद हो जाता है। जब भी अदिति के फोन की घँटी बजती, उसे लगता आदित्य का फोन होगा। लेकिन हर बारी निराशा हाथ लगती। अदिति को लगा शायद इस बार फिर आदित्य ने उसकी उम्मीदें तोड़ दी हैं पहले की तरह।

अदिति ने अपने मन को आदित्य से हटाकर काम में लगा लिया था। दिन तो काम में गुज़र जाता था लेकिन रात को वो "तेरा चेहरा" गाना सुने बिना सो नहीं पाती थी। जब भी यह गाना सुनती थी, उसे लगता था आदित्य उसके पास है। इसी तरह यह 10 दिन भी बीत जाते हैं। अदिति को आदित्य से कोई उम्मीद नहीं होती, उसने पहले भी कई बार अदिति की उम्मीदों को तोड़ा था।

आज महीने की पहली तारीख थी। पूरा दिन बीत गया था और आदित्य का कहीं नामोनिशान नहीं था। शाम को घर जाते हुए बस स्टॉप पर भी नहीं दिखा। बार-बार चारों तरफ देख रही थी कि शायद कहीं छिप कर बैठा होगा और अचानक से सामने आकर उसे हैरान कर देगा। लेकिन कहीं भी कुछ नहीं था।

अदिति बुझे मन से जाकर बस में बैठ जाती है और खिड़की से बाहर देखने लगती है। तभी उसकी सीट पर आकर कोई उसके साथ आकर बैठ जाता है। वो ध्यान नहीं देती, दिल और दिमाग आदित्य के ख्यालों में उलझा हुआ होता है। अचानक से उसके कानों में आवाज़ आती है….अदिति


अदिति हड़बड़ा कर देखती है तो आदित्य उसके साथ बैठा मुस्करा रहा होता है। अदिति की आँखों से आँसू  छलकने लगते हैं और वो इतनी ज़ोर से आदित्य को चिकोटी मारती है कि आदित्य के मुँह से आह निकल जाती है।


आदित्य कहता है वाह अजीब हो तुम भी, आँखों में गुस्सा भी और आँसू भी।


अदिति आदित्य का हाथ पकड़कर कहती है चलो उठो अगले स्टॉप पर उतरते हैं, कुछ बात करनी है तुमसे।


बस स्टॉप से उतरते ही दोनों एक फ़ूड जॉइंट पर बैठ जाते हैं।

अदिति गुस्से से रोते हुए कहती है 15 दिनों से कहाँ थे तुम, जानते हो कितना इंतज़ार किया मैंने? मुझे लगा अब तुम कभी नहीं आओगे, तुम्हारी सब बातें झूठी निकली।

आदित्य अदिति की आँखों से चश्मा उतारता है और कहता है…..पहले ही आंखें छोटी हैं, रोओगी तो और छोटी हो जाएंगी। मैं आ गया ना हूँ अब हमेशा के लिए, रोने की ज़रूरत नहीं है। बहुत जोर की चिकोटी काटती हो, शादी के बाद गुस्सा आयेगा तो ऐसे ही चिकोटी कटोगी क्या मुझे?
अदिति मुस्कुराते हुए कहती है….ऐसे ही परेशान किया तो हाँ और दोनों हँसने लगते हैं।

आदित्य अदिति को बताता है उसने जानबूझकर अदिति को फोन नहीं किया क्योंकि वो उसे सरप्राइज देना चाहता था और साथ ही खुशखबरी देता है बड़े भाई आकाश की शादी की।


वो उसे बताता है कि ठीक 2 महीने बाद भैया की शादी है और उसके बाद फिर वो घर में अदिति और अपनी बात करेगा। यह सुनकर अदिति खुश भी हो जाती है और उदास भी। वो आदित्य से कहती है अगर तुम्हारे घरवाले ना माने तो, कहीं फिर से तुम मुझे….आदित्य अदिति को चुप रहने का इशारा करता है और कहता है….मैं हूँ ना, तुम चिंता मत करो। पहाड़ी लोग एक बार जो फैसला कर ले उससे पीछे नहीं हटते हैं। तुम्हें तो अपनी ब्योली बनाकर रहूँगा मैं, यह एक पहाड़ी का वादा है।

अदिति….मेरे पहाड़ी बाबू अब ये ब्योली का मतलब क्या होता है, बताओगे मुझे?
आदित्य अदिति को चश्मा वापिस पहनाते हुए कहता है….ब्योली मतलब दुल्हन। आदि की दुल्हन अदिति। कुछ समझी की नहीं मेरी होने वाली पहाड़न।
आदित्य और अदिति आज बहुत खुश होते हैं, मुश्किलों से ही सही लेकिन प्यार की गाड़ी पटरी पर चलना शुरू हो जाती है।

❤सोनिया जाधव

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