जननी
जननी
एक जननी से मत पूछो उसकी प्रसव पीड़ा।
मार्तव भाव से भरा , सब उस प्रभु की लीला।
जब ताकत उसकी पहचानी।
कोख दी नारी को ,दे दिया उसको ये बीज उत्पत्ति बीड़ा।
कोई नही इसके समान।
जो यह दर्द सह सकता है।
नारी जीवन हो गया धन्य।
जब भगवान से मिला यह आशीर्वाद।
सहनशील बनाया उसको।
धरती माँ के जैसे।
हर तकलीफ सह जाए।
अपनी औलाद की खातिर, पत्थर दिल कर जाए।
युवावस्था मे कदम रखते ही।
हर महीने की शुरुआत।
धीरे धीरे दर्द की आदि हो जाती।
सुनकर भी लोगो की कटाक्ष बात।
जननी जीवन जन्नत बनाती।
इस धरा पर अंकुर खिलाती।
अपनी कोख से देकर जन्म।
पिता पुरुष को धन्य बनाती।
नीलम गुप्ता नजरिया दिल्ली
Swati chourasia
18-Jan-2022 04:57 PM
Very beautiful 👌
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