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एक मुलाक़ात....❣️( भाग - 10 )

अनीशा का रूम 




सुबह (10:00 am)



अनु मिशा अपने कपड़े रख रही थी नील आरव के घर पर था अनु बार बार नील को कॉल कर रही थी लेकिन नील कॉल पीक नहीं कर रहा था! जिससे अनु का पारा बड़ रहा था क्यों कि 10 बज चुके थे और 12बजे की ट्रेन थी पर अभी तक टिकट का कोई अतापता नही था। 



अनु झल्लाते हुए फोन को देखते हुए बोली - "यर इन दोनों को न कुछ बोलना  हि नही चाहिए था खुद हि कर लेती तो ठीक था इन दोना का कोई भरोसा नहीं है पता नही टिकट्स निकलवाई भी है की नहीं बस लम्बी लम्बी फैंकी है कि हम कर लेंगे तुम टैंशन मत लो हम है न.... हुँह" 



मिशा एपल खाते हुए शांति से बोली - " जस्ट चिल स्वीटहार्ट तु क्यो इतनी टैन्शन ले रही है फालतू में...अरे टिकट्स की बुकिंग नॉटिफिकेशन और पीक है न तो क्या तू उन कागज के टुकडो के लिए परेशान है आ जाएगा ले कर क्या पता उसके पास हो"   


दोनों अपने में लगी हि थी कि तभी वहां सांची काव्या आ जाती है सांची 2 कोफी अनु और मिशा को देती है खुद भी  ले कर बैठ जाती है फिर अनु का चहरा देकर बोलती है , "क्या हुआ मेरी प्यारी नंनद को इतनी परेशान और चिड़ चिडीसी क्यों हो रखी है.....तुम्हे तो खुश होना चाहिए फाइनली तुम अकेले देहरादून जा रही हो अपने दोस्तों के साथ पर तुम तो हिटलर बनी खड़ी हो " ।।    



मिशा कॉफी को शिप लेते हुए बोली - "अरे भाभी आपको तो पता है मैडम का पारा चोबिसो घंटे चड़ा रहता है....तो बस वही थोडा सा बड़ा हुआ है मैडम का गुस्सा.....क्योंकि इन के पास टिकट् का प्रीन्ट आऊट  नहीं आया और वैसे भी मुझे पता है ये तो बहाना है असल मे  इसे आरव से लड़ना है क्योंकि कल पूरा दिन लडी नहीं है न उससे '' उसकी इस बात पर अनु तक्कीया खीचकर उसे मरती है और मीशा उस तकिये को पकड़ लेती है ।।


सांची और काव्या दोनों ही एक साथ बोली "ये आरव कौन है ?? और ये किसकी बात कर रही हो ??       


मिशा दोनों को समझाते हुए बोली = "अरे या भाभी आरव वही जो अनाया की शादी में मिला था और जिसकी अनु से बिल्कुल नही बनी थी  बार बार टकराते थे और यहां भी दोनो मिले फिर से लेकिन यहां भी एक दूसरे के जानी दुश्मन बने पड़े है 🤔 क्यों आपको इसने कुछ नही बताया ...... चलो कोई ना में बताती हूँ '' फिर वो कॉलेज के पहले दिन से लेकर अबतक का सारा खिसा बताती है काव्या सांची ये सून कर खूब हंसती है 



उन्हें हंसाता देकर अनु चिडते हुए मिशा को घूरते हुए बडबड़ाती है , "कैसी कंजर दोस्त दी है भगवान ये  सारे इज्जत का फालूदा कर दिया"।     


काव्या अपनी हसी केंद्रोल करते हुए बोली - "मतलब दिदू कोई तो मिला आपको आपकी टक्कर का एकदम प्रफेक्ट है खुब जमेगी आप दोनो कि जोड़ी और वैसे भी दिदू मैंने सुना है प्यार की शुरुआत लडाई से होती है '' काव्य की इस बात पर अनु उसे मारने के लिए दोड़ती है दोनो तीनो ऐसे लड़ाई और मस्ती करते हुए तैयारी करती है।           






आरव का घर     


  


आरव विवान आपनी पैकिंग कर रहे थे या ये कहो पैकिंग कम और कपड़े फैला ज्यादा रहे थे.....नील पबजी खेल रहा था तभी उसकी नजर अनु की मिस्टकॉल पर गई वो झट के से उठा और अनु को कॉल बैंक किया कॉल पिक होते ही अनु फट पड़ी , "अबे कंजर कहा है तू 10:३० बज रहे हैं। 12:00 बजे कि ट्रेन हैं एक घंटे में निकलना है और अभी तक टिकट का कोई अतापता नहीं है.....पता नहीं तुमने बुक भी किया है कि नही अभी देख अगर लास्ट मूवमेंट में मुझे ऐसा कुछ पता चला और कोई दिक्कत हुई.....मुझे मेरे मोमोस की कसम तुम दोनो को उसी चलती ट्रेन से बाहर फैक दूंगी देख लेना....अब कुछ बोलेगा भी '' 
      


नील जो फोन को कान से दूर करके अनु की खड़ीखोटी सुन रहा था वो फोन को कान पर लगा कर बोला - "अरे मेरी फिमेल हिटलर तु कुछ बोलने देखी तब हि तो बोलगा तु तो अपनी मधुर वाणी में मुझे संगीत सुना रही थी  और रही बात टिकट की तो तु उसकी टैंशन  मत ले.....तु तो बस पैकिंग कर बाकी हम पर छोड़ दे हम बस अंधे घड़े में आते है तुम दोनो रेडी रहना बस चल जा बाय '' और वो फोन रखकर एक लंबी साँस खींचता है वो रूम में आता है और आरव को बताया



आरव कुछ याद आता है तो वो बोलता है , "ओ शीट  हम भूल कैसे गए अगर उस हिटलर को पता चला न तो तेरा तो पता नही लेकिन मेंरी बाॅडी का एक भी हिस्सा नही छोड़ेगी ''  फिर विवान से जाने को  बोलता है 



विवान मुँह बना के बोलता है  - " चल बे में नही जा रहा जा कर अपना काम स्वम करे मैं नहीं जाने वाला कही "।।    


आरव उसे बेह्लाते हुए बोला  - "देख अगर तु में मेरा काम कर देगा न तो पक्का मिशा के लिए तेरा कुछ सोचेंगे अब तेरी शक्ल को देखकर वो ना बोल दे वो अलग बात है (ये सुन कर नील की हसी छूट गई विवान ने उसे घुरा नील कान पकडकर सॉरी बोला) 


विवान उसे घुरते हुए बोला  = "अबे साले एक बात बता तू मेरी मदद कर रहा है या मेरी बेज्जती कर रहा है"।।   


आरव उसे बेहलाते हुए बोला  = "अरे मेरे सस्ती फिल्म के कार्तिक आर्यन......मैं तो तेरी मदद कर रहा हूँ अब तू ये सब छोड़ और जाकर टिकट ले आ....फिर हम पक्का मिशा के दिल में तेरे नाम की घंटी बजावा देंगे '' बहुत बेहलाने फुसलाने के बाद उसने आखिर विवान को मख्खन लगा कर भेज हि दिया फिर एक लंब सांस ली और कपड़े लेकर बथरूम में चला गया । 



नील बालकनी में आकर काऊन पर बैठ गया  तभी अवनी आरव को खोजते हुए उसके कमरे मे आई लेकिन उसे आरव नही दिखा तो वो बालकनी में देखने आई.....वहां नील बैठा दिखा उसकी पीठ अवनी के तरफ थी तो अवनि को लगा वो आरव है वो उसके पास जाकर पीछे से गले लग गई और खुश होते हुए बोलती है , "भाई....भाई.....आप न वल्ड्र के बेस्ट भाई हो आपने वो ड्रेस खरीद ली थी मेरे लिए और मुझे बताया भी नही सिर्फ मुझे नाराज करने के लिए.....पर अभी जब मैंने अपनी अलमेरा में वो र्डेस देखी तो बहुत खुश हुई.....थैक यू भाई.....आई लव यू सो वेरी मच"



नील जो अब तक बस बर्फ सा खड़ा हुआ  था अवनी के स्पर्श से उसके दिल की धडकने बुलेट ट्रेन से भी तेज हो गई थी वो खुद को सम्हालते हुए बोला , " मैं नील हुँ अवनी आरव बाथरूम में है " 



नील नाम सुनते हि अवनी ने झटके से नील से अलग हो जाती है अभी वो इतनी खुश दिख रही थी पर अब उसके चहरे पर कोई भी भाव नहीं थे नील की तरफ नजर उठा कर भी नही देखती और मुडकर जाने लगती है पर नील से अब और बेरुखी बर्दाश नहीं हुई उसके अवनी का हाथ पकडकर उसे रोक लिया! उसका स्पर्श पाते हि अवनी ने अपनी आंखे बिंच ली और अनायास हि आंसू की एक बूंद निकल कर उसके गालो पर आ गई! फिर हिम्मत करके उससे नील से कहा , "हाथ छोड़ीए मेरा मिस्टर नील खुरान्ना आपकी हिम्मत भी कैसे हुई मेरा हाथ पकड़ने की.... जा कर उसका हाथ थामिए जहां आपको सुकून मिलता है ..... सो प्लीस लीव माई हैंड" 


नील को अब बिल्कुल बदार्श के बाहर हो गया उसने खींच के अवनी को अपनी करीब किया अवनी की पीठ नील के सीने से लगी थी  उसने उसके कान मै एक गुस्से बरे लहजे में कहा, "मैंने हज़ार बार बोल दिया कि तुमने उस समय जो देखा वो वैसे नहीं था जैसा तुम समझ कर बैठी हो वो सिर्फ़ एक गलतफहमी थी बस "  


अवनी बोलने को हुई तब तक बाथरूम का गेट खुलने की आवाज आई नील ने अवनी को खुद से दूर किया अवनी बहां से सीधा अपने रुम में चली गई नील नॅर्मल हो कर काऊच पर बैठ गया ......



आरव नहा कर आया सीक्स पैक ऐप्स बिखरे बाल और उससे टपकती हुई पानी की बुंदे (उफ्फफ कितना हॉट लग रहा था वो अगर अनु देख लेती तो फिदा ही हो जाती )आज तो एकदम कहर ढा रहा था वो....उसने ब्लू जींस ,वाईट टि शर्ट के ऊपर डेनिम की जैकेट वो खुद को आइने में देकर बोला , "अरे वा आरव आज तो तू बड़ा स्मार्ट लग रहा बस ये उससे भी दिखे ताकि दिल के तार उसके भी झंझनाए " थोड़ी देर बाद नील विवान के साथ निकल गया  ।



अनु के घर के बाहर उन दोनो का वैट करने लगे तभी सामने से  अनु आई..... उसे देख कर आरव के चेहरे पर स्माइल आ गई और आंखे झपकना ही बुल गई ( आज अनु ने भी वाइट क्रोप टोप के ऊपर डेनिम की जैकिट और सील्वर फूल लेंथ स्क्राट्र पहनी थी बालो का हाई बन बनाया हुआ था )


दोनो आई और सब निकल दिए अपने सफर पर स्टेशन पहुंच कर सब ट्रेन में चढ़ गए सब अपनी अपनी सीट पर पसर गए अपने अपने समान रखे और बैठ गए दोनो लडकियो ने खिडकी की सीट पहले हि हडप थी ली ।।


अंधे घंटे का सफर कट गया तो मिशा को बोरियता होने लगी तो वो बोली , "यार चलो न कुछ खेलते है "


"क्या खेलेगी छिपकली " नील ने कहा तो मिशा छोड़ गई और उसे मारते हुए बोली , "चल बे छेन्गुर मैं किस एंगल से छिपकली दिखती हु " नील उसके बाल खींचते हुए बोला  "हर एंगल से '' 



मिशा मुँह बना के बोली - "अच्छा जी अभी पूछवाती हूँ '' फिर उसने अनु को देखा तो वो सर खिड़की से टिका कर बैठी थी तो उसने उसे नही कुछ नहीं कहा उसने आरव को देखा तो आरव भी काॅल पर था....तो वो विवान से बोली , "विवान जी" (मिशा इतने प्यार से बोली की विवान के हाथ से फोन गिरते गिरते बच गया)



विवान सम्हलते हुए बोला - "ज्....जी....जी बोलिए " ।।


मिशा मासूम  सा चहरा बना के बोली - "क्या मैं आपको छिपकली दिखती हूँ " 


विवान उसे देखा प्यार से बोला - "जी बिल्कुल नही ....किस गधे में बोला ऐसे आप को ......आप तो बला की खुबसुरत है "  मिशा शर्मा गई विवान उसे देखने लगा और नील ये देख कर सर पीट लिया 





 कुछ देर बाद मिशा बोली , "गाइस चला ट्रुथ एन डेयर खेलते है '' कोई सुना नही तो उसने सबके फोन उनसे छीन लिया अब सबका ध्यान सिर्फ मिशा पर था उसने मुस्कुराते हुए उसने बॉटल घुमाई सबसे  पहले विवान का मंबर आया ।।    



नील मे विवान से पूछा कि वो ट्रुथ लेगा या डेयर तो विवान ने कहा कि वो ट्रुथ लेगा फिर नील ने उससे कहा , "आके तो बता तेरी अभी तक कोई गर्लफ्रेस बनी है हां तो कितनी"  


   
विवान = "तुझे पता है साले एक भी नही है......बट अब शायद बन जाए (उसने मिशा को देखते हुए कहा मिशा ने सुन कर अपनी पलके झकाली ) 


उसके बाद नील की टन आई उसने भी ट्ररुथ चुना मिशा ने कहा , " हां तो बता कि तुने किसी लडकी को ड्रेट किया है और किया है तो कितनी " 



नील चहरे पर चमक लाते हुए बोला , " हाँ! किया है पर सिर्फ एक ही है जो इस दिल में आई उसके अलावा किसी को जगह नहीं दि " मिशा मे जब नाम पूछा यों नील ने बहाना बना दिया मिशा फिर उससे ज्यादा जोर जबरदस्ती नहीं कि फिर आई आरव की बारी उसने ड्रेयर चुना । 



उसको डेयर मिशा ने दिया वो उससे बोली .... " तो आरव बाबू खतरो से खेलने का शोक है न आपको तो चलो आपका डेयर ये है कि आपको अनु का हाथ पकड के उसकी आंखो में आंखे डाल के एक रोमेंटिक गाना गाना होगा बोलो मंजूर है '' 
  
उसकी बात सुन कर अनु बस मिशा को घुरने लगी वहीं आरव की तो हालत खराब हो गई ये सुन मे पर उसने हिम्मत करके "हा" बोला और अनु को आंखो हि आंखों मे बोलने लगा , "इज्जत का सवाल है .... प्लीस " अनु ने "ना" में गर्दन हिला दि आरव उदास हो गया । उसे ऐसे देख अनु थोडा मुस्कुराई और बोली "ओके" उसकी आवाज़ सुन आरव के चहर पर ये सुन मुस्कान आ गई उस ने अपना हाथ अनु के सामने किया अनु ने झिझकते हुए अपना हाथ उसके हाथ में रखा आरव मे अनु के हाथ हल्का सा पकडा और उसकी आंखो में देखते हुए गाना शुरू किया ........



चल दिया....दिल तेरे पीछे पीछे....देखता मैं रह गया 
कुछ तो है तेरे मेरे दरमियाँ....जो अनकहा सा रह गया
मैं जो कभी कह ना सका....आज कहता हूँ पहली दफा 
दिल में हो तूम आँखों में तुम....पहली नज़र से ही यारा 
दिल में हो तुम आँखों में तुम....पहली नज़र से ही यारा 
ये इश्क की है साजिशें....लो आ मिले हम दोबारा
दिल में हो तूम आँखों में तुम....पहली नज़र से ही यारा 



अनु आरव की आवाज़ और उसकी उन गहरी काली आंखों मे खो गईं थी .......दोनों ऐसे एक दुसरे मे खोए थे .......और बाकी तीनो (मिशा नील विवान ) कभी अनु को तो कभी आरव को देख रहे थे ..... 



नील ने आरव को हिलाया तो दोना होश में आए अनु ने आरव के हाथ से अपने हाथ खिचा और खिडकी से बाहर देखने लगी आरव कॉल का बोलके वहां से चला गया उन दोनों की हरकत देख कर तीनो की हसी छूट गई  । करीब 4-5घंटे बाद ट्रेन देहरदून पहुँच गई.....!











सब देहरादून पहुँच गए.... सब अपना समान लेकर बाहर आए ! 



वहां का नजारा देखकर पांचो की ही आंखे चमक उठी होटो पर एक प्यारी सी मुस्कान आ गई! वहां का मौसम इस समय इतना सुहाना हो रखा था कि देखने वाला अपना दिल हार जाए! बड़े बड़े पहाड़ जो बर्फ से ढका हुआ था चारो तरफ पेड पोधे उस पर भी हल्की बर्फ थी.... शाम का समय और मौसम खराब होने से आसमान में काले बादल छाए थे हल्की हल्की बारिश भी हो रही थी कप कपाती ठंड चारों तरफ छाई धुंध और सडको की स्ट्रीट लाइट में देहरदूत और भी खुबसूरत लग रहा था



पांचो वहां के वातावरण में खोए थे .....तभी उन के गाइड टीचर उनके पास आए और वो थोडे से परेशान थे वो बोले , " बच्चो एक प्रोब्लम हो गई है ......जिस साइड हमारा होटल है वहां लैंड स्लाइड हो गया तो रास्ता ब्लॉक है ......आज जाना प्रोसिब्ल नही है और हमें कोई होटल में रूम भी नहीं मिल रहा । 



" तो सर अब हम क्या करेंगे  कहां जाएंगे और  रात भी  होने वाली है '' अनिशा सर कि बात को सुन परेशान हो के बोली 


सर नम स्वर में बोले - "हम ट्राए कर रहे है बच्चे बट कोई हल नहीं निकल रहा मौसम भी खराब है"       


आरव कुछ सोचते हुए बोला - "सर मेरे पास एक रास्ता है ___यहां मेरा फार्म हाउस है ____आप लोग बोलो तो मैं बाबा सा से वहां का ऐड्रेस लू ___क्योंकि मौसम भी बहुत खराब है ____रात भी होने वाली है तो कोई और रास्ता नही है "।।


सबने इस पर सहमती जताई कोई ओर चॉइस भी नहीं थी आरव ने रघुवीर जी से फार्म हाउस का ऐड्रेस लिया जो कि होटल के अपोजिट ड्रेक्शन में था और अंधे घंटे का रास्ता था सबने एक बस बुक की और चल दिए । करीब 30-45 मिनट में वो लोग एक बहुत ही सुन्दर से फार्महाउस के सामने थे । उसके पीछे लबे लबे पेड एक सुन्दर सा गार्डन  पूरा घर बराऊन बूडन और स्टोन से बना था और वो woodhouse बहुत ही खूबसूरत  था  । 
                                                     


"यार आरव  तुम्हारा फार्महाऊस तो बहुत सुन्दर है '' मिशा ने घर को देखते हुए कहा उसकी बात सुन कर आरव हल्का सा मुस्कुराया और सबको लेकर अंदर आ गया घर अंदर से भी बहुत सुन्दर था उसका इंटीरिय पूरा बूडन का था । 
                                                                  


सब अंदर आए घर देख कर सब बहुत ज्यादा खुश थे और तारिफ भी कर रहे थे आरव ने सबको उनके रूम बताए और सब फ्रेश होने चले गए फ्रेश हो के सब खाना खा कर आराम करने चले गए । सफर की थकान से सब जल्दी हि सो गए सिर्फ़ आरव को छोड़ कर.....वो यहां आ कर वो थोड़ा उदास हो गया था वो बाहर बेकयार्ड मे बोनफायर के पास बैठा था .....



वहीं अनु को भी नींद नही आ रही थी वो बालकनी में घूम रही थी तभी उसकी नजर आरव पर पड़ी उसे देख कर अनु बस उसे देखती रेह गई..... आग की लपटो के बीच से दिख रहा आरव का चमका तेज से बरा चेहरा उसके बिखरे बाल लाल हो चुकी आंखे वो एकटक सामने देख रहा था उसकी लाल आखे देख अनु बैचेन हो उठी वो वहां से सीधा नीचे चली आई ......


अनु आरव के पास जाकर उसके कंधे पर हाथ रखते हुए बोली - "क्या में यहां बैठ सकती हूँ " 


अनु की आवाज सुन आरव ने उसको बिना देखे "हा" में सर हिला दिया 


अनु आकर उसके बगल मे बैठ गई और उसकी तरफ मुंह करके बोली - "तुम रो क्यों रहे हो"..... ये सुन आरव हैरान नजरो से उसे देखने लगा ।।


अनु बिना भाव के सामने जल्दी आग को देखते हुए बोली , "ऐसे मत देखो .... मुझे कैसे पता चला यही सोच रहे हो न ..... तो तुम्हारी ये लाल और नम आखे बता रही है .... कि तुम रो रहे थे ..... हर मुस्कुराते चहरे के पीछे कोई न कोई दर्द जरूर छुपा होता है अगर कोई दर्द या कोई बात है तो तुम मुझसे शैयर कर सकते हो दिल हल्का हो जाएगा ''   


आरव बस उसे एकटक देखा जा रहा था फिर वो बोला "क्या तुम मुझे झपी दे सकती हो " अनु हैरानी से बोली "क्या"  


आरव मासूम सा फेस बना के बोला - "मां सा कहती थी कि जब भी उदार हो तो एक झपी पा लेना सुकून मिलेगा .... तो क्या तुम मुझे एक झपी दोगी प्लीज '' वो इतनी प्यार से बोला की अनु का दिल भी पिघल गया और उसने मुस्कुराते हुए आरव को एक टाइड हग कर लिया आरव को बहुत सुकून मिला ।


आरव उसके गले लगे हुए नम आवाज़ मे बोला - "पता है मैं यहां कभी नही आया ..... ये फार्म हाऊस माँ सा ने बनवाया था ..... यहां कि एक एक चीज उन्होंने खुद बनवाई थी ..... आज यहां आकर मां सा की यादे ताजा हो गई ......बस इसलिए खुद को रोक नही पाया"    


अनु उसकि पीठ को प्यार से सेह्लाते हुए बोली - "तुम्हारी माँसा जहाँ भी होंगी क्या उन्हें आपने बच्चे को उनकी वजह से रोता देख अच्छा लगेगा अगर तुम ऐसे रोते रहोगे तो उन्हें भी बुरा लगेगा न तो चुप हो जाओ और वैसे भी तुम मुझसे लड़ते हुए और मुझे परेशान करते हुए अच्छे लगते हो ..... ऐसे रोतलु से नही 'ऑके' तो चलो अब नॉर्मल हो और जा कर सो जाओ '' 



आरव उससे अलग हो के बोला - "थैंक्यू मेरा दिल हल्का करने के लिए और इस इपी के लिए भी"।।


अनु हल्का मुस्कुरा के बोली - " इट्स ऑके अब तुम भी  दोस्त हो तो इतना तो कर सकती हूँ  न "


आरव आंखे बड़ी करके बोला - " क्या.....क्या  कहा तुम ने दोस्त ....मतलब तुमने मेरी दोस्ती एक्सेप्ट करली " ।


 "हम्म "   अनु ने बिना किसी भाव के धीरे से कहा आरव खुश हो गया दोनो ने एक दूसरे को "गुड नाइट" बोला और सोने चले गए । 


आज तो आरव को बहुत अच्छी नींद आने वाली थी क्योकि आज उसका दिल थोडा हल्का हुआ और दूसरा आज अनू से दोस्ती भी हो गई यही सोचये हुए वो नींद कि आगोश में चला गया ।।



दूसरी तरफ अनु रूम में लेटी यही सोच रही थी की ये जो भी उसने किया आरव को पेम्पर करना क्यो किया ऐसा उसने ..... क्यों उसके आंसू बैचेन कर गए उसे ...... लेकिन उसके चेहर पर सुकून देख कर उसे अच्छा लगा ...... वो ऐसे सोचते हुए मुस्कुराने लगी (वो ऐसा सोचना नही चाह रही थी फिर भी ये बाते उसके दिमाग में आ रही थी) ___इन्ही सब में उलझी अनु भी नींद की आगोश में चली गई ।।








कीप स्पॉटिंग .... कीप रीडिंग ☺️☺️


_________________________________🖤TO BE CONTINUE🖤 ______________________________



✍✍ सुधा यादव

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2 Comments

Seema Priyadarshini sahay

16-Feb-2022 04:10 PM

बहुत बेहतरीन रचना

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Pamela

25-Jan-2022 07:20 PM

Very very good story 👌👌👌👌👌

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