सांवरी–१०

सांवरी १०


गतांक से आगे–
डेरे पर पहुंच कर सांवरी सीधे भंवरलाल के गले से लिपट गई। बापू बापू आज मैं घणी खुस हूं, वो लगभग भंवरलाल के गले में झूलती हुई बोली....
होया के छोरी, मने वी तो बता...... कजरी हाथ का काम छोड़ कर बाप बेटी के पास आ गई।
अम्मा तू सुनेगी तो तू भी नाचने लगेगी.... खबर ही ऐसी सै......
हुआ के, हवेली वालों ने घणा सारा इनाम दे दिया के, भंवरलाल बोला।
ना बापू ना, म्हारी तो लाटरी लाग गई सै..... सांवरी झूमते हुए बोली।
लाटरी, कितने की लाटरी...... छोरी कुछ बोलेगी वी या यूं ही बावलों सी नाचती रवेगी।
सुन बापू, सुन अम्मा, आज ना गए थे हवेली पे बड़े कुंवर साब की....…
हां तो के हुआ, हवेली मा पिरोग्राम करणा सै के.... कजरी उतावली होके बोली, कितना पेसगी दिया हवेली वालों ने....
इत्ता..... सांवरी ने दोनो हाथ फैला के बताया.....
यो छोरी बावरी हो गई सै....सांवरी के बापू इब इसका लगन पक्का कर दो... कजरी हंसते हुए बोली।
न न न.... अम्मा इब्बी लगन का टैम न सै, इब तो थारी छोरी पूरे देस मा और परदेस मा जावेगी....
के मतबल थारा.... भंवरलाल बोला।
सुन बापू, कुंवर साब बोले हैं के थारी बेटी गजब नाचे सै, सो मैं और धीरू इब उनके साथ में काम करेंगे और पूरे देस और परदेस मा म्हारा डांस होगा, बदले में वो हमने भरपूर पीसो देंगे, इतना जो थम ने कभी न देखा न सुना होगा।
और बापू, थारा इलाज भी इब वो ही करवावें, वो भी बड़े पिराइवेट हस्पताल मा।
इब हमने सरकारी हस्पताल मा चक्कर लगान की जरूरत न सै.....
पर बेटा, इन बड़े लोगों का कुछ पता न होता, कल को पीसो ना दियो फेर के होवेगा..... कजरी अचानक शंकित होते हुए बोली।
ना री अम्मा ऐसा कुछ न है, कुंवर साब और उनकी लुगाई घने चोखे इंसान सै.....
छोरी तू ना जाने दुनिया को इब्बी.... भंवरलाल बोल पड़ा।
बापू तने म्हारे पे भरोसा ना सै, धीरू ते पूछियो, कुंवर साब घने बढ़िया आदमी सै एक दम देवता समान। अच्छा देखियो तू 2 दिन मा थारा इलाज बड़े हस्पताल में सुरु होवेगा, तब कुंवर साब और उनकी लुगाई भी आवेंगे थम खुद ही पूछ लियो उनते।
इब मने घणी नींद आ री सै मैं चली सोने.....
ओर रोटी न खावेगी....... कजरी ने पूछा, न मां कुंवर जी की हवेली मा बहुत खा लिया मने और धीरू ने।
कह कर सांवरी सीधा अपनी खाट पर जा कर लेट गई। उसकी खुशी संभल नहीं रही थी, बापू का इलाज होवेगा ये सोच कर उसका मन खुशी से झूम रहा था।
अगले दिन तक पूरे कबीले को खबर हो चुकी थी की सांवरी को एक बड़े कुंवर साहब ने अपने साथ काम करने का मौका दिया है और अब वो बड़े बड़े शहरों में जा कर डांस पिरोगराम करेगी और कबीले का नाम रोशन करेगी।
कबीले के मुखिया भी इस बात को सुन कर बहुत प्रसन्न थे की उनके दोस्त का इलाज अब किसी बड़े अस्पताल में हो सकेगा।
खबर मिलते ही वो भंवरलाल और सांवरी को बधाई देने आ पहुंचे, जुग जुग जिवेगी बेटा तू, अपने बापू और अम्मा का नाम रोसन कर दिया तने, साथ ही म्हारे कबीले का भी, वो सांवरी को ढेरों आशीष देते हुए बोले।
भंवरलाल और कजरी का सीना भी गर्व से चौड़ा हो रहा था। हर किसी की जुबान पर बस सांवरी का ही नाम था। कोई उसकी कला की प्रशंसा कर रहा था तो कोई कोई पीठ पीछे उस से जल भी रहा था। पर सामने सब ही उसे बधाई देने में जुटे हुए थे।
वादे के मुताबिक ठीक दूसरे ही दिन काली गाड़ी और पहलवान ड्राइवर डेरे के सामने आकर सुबह ही खड़ा हो गया, उसने धीरू को पहले ही मोबाइल पर बता दिया था की सांवरी और उसके पिता को तैयार रखे, ताकि समय से अस्पताल पहुंच सकें।
डेरे के सामने इतनी बड़ी गाड़ी को खड़ी देख पूरे कबीले की आंखें चुंधिया रही थी, कबीले के बच्चे कुछ दूरी पर झुंड बना कर खड़े थे और बड़े विस्मय से गाड़ी की तरफ देख रहे थे। वहीं पूरे कबीले के लोग आपस में बातें कर रहे थे जिसका विषय सिर्फ सांवरी, उसका बापू और वो लंबी गाड़ी वाले कुंवर जी थे।
जितने मुंह उतनी बातें, कोई सांवरी को दुआएं दे रहा था, तो कोई भंवरलाल की अच्छी किस्मत की बात कर रहा था, ऐसे में कुछ लोग सांवरी और कुंवर जी को लेकर अटकलें भी लगा रहे थे, लोगों को अभी भी ये बात हजम नहीं हो रही थी कि सड़कों पे नाचने वाली सांवरी सिर्फ अपनी नृत्य कला के बल पर ये कर पाई होगी।
कुछ कबीले की औरतें तो यहां तक कह रहीं थी, देख लिजो यो सांवरी कुंवर का बिस्तर गरम करेगी, ऐसी भी कोई खास ना नाचे जो इसको इतने सारा पीसा मिल रिया। फिर हमने तो सुना यो कुछ दिन उसके साथ रवेगी, अरे यो रईसों के शौक सै, हवेली मा रख लेंगे रखैल बना के, फिर कुछ दिन मा दिल भर जावेगा तो वापस छोड़ देंगे। हमने तो धीरू की किस्मत पे तरस आवे, अपनी होन वाली लुगाई ने खुद पीसो खातर बेच रियो।
अरे कुंवर डाल देगा धीरू के आगे भी थोड़े पीसे, बोलती बंद रवेगी उसकी भी। पीसे में घणा दम होवे। किसी और ने अपनी राय जाहिर की।
चल री, हमने के, सांवरी जाने और धीरू।
कुछ देर में धीरू, सांवरी, भंवरलाल और कजरी को लेकर लंबी काली गाड़ी, फोर्टिस अस्पताल की तरफ दौड़ी जा रही थी। भंवरलाल और कजरी जीवन में पहली बार किसी गाड़ी में बैठे थे, उनकी आंखें खुद ही खुद पर भरोसा नहीं कर पा रही थी, ऐसी दुनिया तो जिंदगी में देखी ही न थी।
अस्पताल पहुंचते ही सारे इंतजाम हो चुके थे, शीघ्र ही भंवरलाल को अस्पताल के हरे गाउन में एक प्राइवेट वार्ड में दाखिल कर दिया गया, और उसे एक साफ सुथरे बिस्तर पर लिटा दिया गया, नर्स आकार उसकी प्राथमिक जांच करने लगी, वहीं एक डॉक्टर उसके पुराने टेस्ट की रिपोर्ट देखने लगा। कुछ ही देर में एक नई टेस्ट की लिस्ट तैयार हो गई और साथ ही भंवरलाल को क्या करना है और क्या नहीं इसकी ताकीद भी कर दी गई।
क्योंकि ये प्राइवेट वार्ड था तो कजरी, धीरू और सांवरी वहीं बैठ कर आश्चर्य से देख रहे थे।
अस्पताल क्या था पूरा महल था, साफ सुथरा, ना कोई भीड़ न कोई धक्का मुक्की, कमरे में खिड़की बंद थी फिर भी ठंडी हवा आ रही थी सामने दीवार पे एक बड़ा सा रंगीन टेलीविजन चल रहा था। कमरे के साथ ही एक बड़ा सा गुसलखाना भी था, कजरी और भंवरलाल को समझ ही नही आ रहा था कि ये सब सच है या सपना। ये कमरा ही उनके डेरे से कितना बड़ा था, और साथ में अंग्रेजी गुसलखाना, जिसमे गर्म ठंडा पानी आ रहा था। जंगल पानी के लिए भी बाहर जाने की जरूरत न थी।
कुंवर साहब का पहलवान जैसा ड्राइवर, हर चीज बारीकी से समझा रहा था। उसने भंवरलाल को बता दिया था की वो उसका नंबर अपने मोबाइल में भर ले और अगर कुछ भी चाहिए तो उसे फोन कर दे।
अभी वो लोग ये सब समझ ही रहें थे की पहलवान ड्राइवर ने आकर बताया, कुंवर साब और कुंवरानी पधार रहे हैं।
कुंवर साब ने आते ही भंवरलाल का हाल पूछा और ये भी की उसको कोई तकलीफ तो नही अस्पताल में।
कजरी और भंवरलाल ने तो कुंवर सा के पांव ही पकड़ लिए, हुकुम, थारी मेहरबानी सै, हम गरीबों को तो सपने में भी ऐसा हस्पताल न मिलता, हम को तो समझ ही ना आरा कैसे आपको धन्यवाद करें। थम तो म्हारे लिए भगवान बन के आ गिया।
अरे.... अरे ऐसा कुछ नहीं, ये सब आपकी बेटी का कमाल है, मैने आपकी बेटी को अपनी बहन माना है, इस नाते आप के लिए कुछ हमारा भी फर्ज है, कुंवरानी जी बोली।
वैसे भी आपकी बेटी इतना सुंदर नृत्य करती है, तो हम चाहते हैं की इसकी कला को देश विदेश के लोग देखें, इसमें हमारा और हमारे देश का मान बढ़ेगा और इसकी कला को देखने दूर दूर से लोग आएंगे।
आपकी बेटी सचमुच हीरा है, ईश्वर सबको ऐसी बेटी दे।
अब हम को आपसे इजाजत चाहिए ताकि हम जल्दी से सांवरी के नृत्य को लोगों के बीच लेज़ा सकें।
पर इसके लिए आपको भी थोड़ा बलिदान करना होगा, अगले कुछ महीने आप सांवरी को देख नही पाएंगे, कुंवर साहब बोले।
जो हुकुम कुंवर सा, आज से हमारी बेटी आपके साथ काम करेगी, वैसे तो इसके बिना म्हारा एक दिन भी दिल न लागे पर इसकी अच्छी जिंदगी की खातर हम इसकी जुदाई को भी झेल लेंगे..... कहते कहते भंवर लाल और कजरी दोनो की आंखों से आंसू की धारा बहने लगी।
अरे अरे...... आप की बेटी सिर्फ कुछ दिनों के लिए ही हमारे साथ है..... देखिएगा ये आपका नाम रौशन करेगी.... और इस दौरान आपका इलाज भी हो जाएगा, कुंवर साहब ने आश्वासन दिया।
सांवरी समय समय पर आप से बात करती रहेगी, आप दोनो की कुशल भी जानती रहेगी, विश्वास रखिए।
अच्छा अब हम को इजाजत दीजिए, हम चलेंगे।
सांवरी और धीरू, तुम्हारे बाबा के इलाज का हमने पूरा बंदोबस्त कर दिया है। कल ही बड़े डॉक्टर साहब इनका एक छोटा सा ऑपरेशन करेंगे और उसकी रिपोर्ट आते ही आगे का इलाज भी सुनिश्चित करेंगे।
आप लोग कल शाम को हवेली पर आ जाना, शमशेर आपको ले आएगा, आगे के बारे में सलाह और कुछ कानूनी बातें तय करनी हैं, ठीक है.... ये कह कर कुंवर साब और कुंवरानी कमरे से बाहर की तरफ चल पड़े।
धीरू और सांवरी ने उनको प्रणाम किया, और वापस कमरे में दाखिल हो गए।
इब ठीक सै ना अम्मा बापू, थम ने क्या लगा, कैसे हैं कुंवर साब और उनकी लुगाई, सांवरी बोली।
घणे चोखे इंसान लाग रे मने तो.... साखछात देव के अवतार लगे मने, बिना किसी मतबल के देखो कितने बढ़िया हस्पताल में मने भर्ती भी करा दिया। प्रभु उनका भला करे, रे छोरी, वो जैसा हुकुम करें पूरा करियो, उनको सिकायत का मौका को ना दियो, भंवरलाल बोला।
हम बंजारों में जुबान की घणी कीमत होवे, अपने वचन ते फिरियो ना तू, कुल देवता सब भली करेंगे, जुग जुग जियो थम म्हारे बच्चों, कजरी ने आगे बढ़ कर धीरू और सांवरी को अपने सीने से लगा लिया और भावतीरेक तीनों ही एक दूसरे से लिपट कर रोने लगे......

क्रमश:

आभार – नवीन पहल – २०.०१.२०२२ ❤️🌹👍🙏🏻

# लेखनी उपन्यास प्रतियोगिता हेतु


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2 Comments

Seema Priyadarshini sahay

31-Jan-2022 09:02 PM

बहुत बढ़िया

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Simran Bhagat

20-Jan-2022 04:20 PM

Nyc 😍

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