सांवरी–११
सांवरी – ११
गतांक से आगे –
भंवरलाल की बायोप्सी (छोटे ऑपरेशन) के लिए दो दिन बाद का समय दिया गया, ताकि सारे टेस्ट पहले पूरे कर लिए जाएं। भंवरलाल के एक बार फिर से बहुत सारे टेस्ट किए गए जिसमे खून, मल, मूत्र की जांच, ct scan, ECG इत्यादि टेस्ट मुख्य डॉक्टर ने उनकी हॉस्पिटल के रिकॉर्ड में दर्ज कर दिए थे।
हर एक या दो घंटे में उसका रक्तचाप और तापमान इत्यादि भी देख कर अंकित किया जा रहा था।
भंवरलाल और कजरी के पास करने को कुछ नही था, इसलिए दोनो खूब बतियाते और सांवरी के बचपन को याद करते और सोच सोच कर खुश होते की उनकी बेटी उनसे कितना प्यार करती है।
अगले दिन शाम को सांवरी और धीरू नियत समय पर कुंवर साहब की हवेली पर पहुंच गए, नाश्ते इत्यादि से निपट कर सभी हाल के अंदर उस बड़ी सी हाथी दांत वाली मेज के इर्द गिर्द बैठ गए।
और दिनो की अपेक्षा सुरक्षा कर्मी आज वहां पर मौजूद नहीं थे, हाल में सांवरी, धीरू, कुंवर साहब, कुंवरानी के अलावा एक काले कोट वाले अधेड़ उम्र के व्यक्ति और पहलवान ड्राइवर ही अब मौजूद थे।
कुंवर साहब धैर्य से नौकरों द्वारा वहां से सब सामान हटाने का इंतजार कर रहे थे। एक बार जब उन ६ लोगों के अलावा हाल से सब चले गए और हर दरवाजा बंद हो गया तब कुंवर साहब ने गला साफ करके सबका ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया।
हां तो सांवरी और धीरू, अब क्योंकि आप दोनो ने हमारा प्रस्ताव स्वीकार कर लिया है तो मैं आप दोनो को हमारे करार के बारे में बाकी की जो जानकारी है वो भी दे देता हूं।
सांवरी आप अपनी खुद की इच्छा से, हमारे बच्चे को जन्म देने के लिए तैयार हो ना, कुंवर साहब ने एक बार फिर पूछा।
जी हुकुम, सांवरी बोली।
और धीरू तुम भी इस काम के लिए राजी हो ना, कुंवर साहब ने धीरू से पूछा।
जी हां हुकुम, हम बंजारे सै, एक बार जुबान दे दी तो फिर न मुकरते अपनी जुबान से, धीरू बोला।
ठीक है, सबसे पहले, आप दोनो वचन दो कि ये बात हमारे जीते जी किसी को नही बताओगे, की हमारी संतान सांवरी की कोख में जन्म ले रही है, और न ही कभी तुम उस पर अपना कोई हक जताओगे, बोलो मंजूर, कुंवर साहब ने दोनो से पूछा।
हम कसम खा के कहते आपके सामने कभी ऐसी बात नहीं आवेगी, दोनो ने एक साथ कहा।
सांवरी, सबसे पहले तुम्हारी डॉक्टरी जांच होगी, की क्या तुम हर तरह से संतान पैदा करने के लिए तैयार हो, तभी
आगे की सारी कारवाही होगी, कुंवर साहब बोले।
जी हुकुम, समझ रही, सांवरी सर हिलाते हुए बोली।
जैसे ही डॉक्टर ये कह देंगे की तुम पूरी तरह तैयार हो, हमारे और तुम्हारे बीच एक कानूनी करारनामा होगा।
आप दोनो को इस काम के बदले हम 25 लाख रुपए देंगे, जिसमे से 10 लाख आपको पेशगी मिल जायेगा और बाकी बच्चे के जन्म के बाद, ठीक है।
25 लाख.......सांवरी और धीरू को अपने कानों पर विश्वास नहीं हो रहा था। जी... जी.... जी..... हुकुम, जैसा आप बोलो, दोनो की जुबान तालू से चिपक सी गई थी, इतनी बड़ी रकम..... जीवन में कभी न देखी न सुनी।
आप दोनो को बच्चे के जन्म होने तक, हमारी देखरेख व निगरानी में ही रहना होगा।
इस दौरान आप दोनो शाहपुरा स्तिथ हमारी ही एक कोठी में रहोगे, और हमारी इजाजत के बिना आप को कहीं जाने की इजाजत नहीं होगी।
सांवरी, तुम्हारे पिता का इलाज इस करार का हिस्सा नहीं है, इसलिए डॉक्टर की रिपोर्ट जो भी आए, तुम्हारे पिता जी का इलाज हम करवाएंगे, पर एक बात का ध्यान रहे करार होने के बाद तुम अपने माता पिता से बात तो कर सकती हो, पर उन से मिलने नही जाओगी, ऐसा करना तुम्हारे और हमारे दोनो के लिए ही अच्छा रहेगा।
गर्भ के दौरान तुम्हारे खाने पीने और दूसरे खर्चों का सारा जिम्मा हमारा ही होगा, पर हां तुमको भी डॉक्टर की देखरेख में अपने खानपान का ध्यान रखना होगा। हम नही चाहेंगे की हमारी होने वाली संतान पर किसी भी तरह का कोई भी बुरा असर पड़े।
आप दोनो की हर जरूरत का ख्याल रखने के लिए हमारे खास विश्वस्त श्री भान सिंह जी हर वक्त आपके साथ रहेंगे, कुंवर साहब ने पहलवान ड्राइवर की तरफ इशारा करते हुए कहा। आप दोनो को जब भी हमारी या किसी चीज की जरूरत पड़े बेहिचक भान सिंह को बता देना, मिल जाएगी। साथ ही ये भी ध्यान रखना अगर आप दोनो में से किसी ने भी करार की शर्तों को तोड़ने की सोची भी तो सबसे पहले भान सिंह से ही निबटना होगा।
समय समय पर डॉक्टर आपका निरीक्षण करते रहेंगे, एक नर्स और खाना बनानेवाला भी आपका ख्याल रखेगा, साथ ही एक अध्यापक आप दोनो की पढ़ाई लिखाई भी करवाएंगे, ताकि इस समय में आप कुछ सीखें साथ ही एक डांस मास्टर सांवरी को ट्रेनिंग भी देंगे।
ताकि बच्चा होने के बाद हम आपके मां और पिताजी से कही अपनी बात का मान भी रख सकें।
वरना लोगों की नजर में हमारी बात झूठी हो जायेगी।
कल डॉक्टर सांवरी का निरीक्षण करेंगे फिर हमारे वकील साहब हमारी कही सारी बातों का कानूनी करारनामा बना कर हम सभी के उस पर हस्ताक्षर करवा लेंगे ताकि बाद में कोई ऐसी बात न हो जिस से किसी तरह का कोई भी विवाद हो। इतना कह कर, कुंवर साहब ने दोनो से पूछा, क्या आपको हमारी सब शर्ते मंजूर हैं या आपको भी कोई बात रखनी है।
ना हुकुम, धीरू गंभीरता से बोला, हुकुम हम तो सीधे सादे लोग सै, यो कानून की भासा ना जाने, हम तो यो जाने कि जुबान की कीमत होवे।
हम यो वी समझे आप घने खरे इंसान हो, हमको तो थारी बात ही कानून सी लागे, बिना कुछ लिए ही सांवरी के बापू का इलाज करवा रहे, यो ही म्हारे लिए बड़ी बात सै।
सांवरी और मैं थम ने वचन दे रिए, म्हारी तरफ से आपको सिकायात का मौका को नी मिले। फेर वी आपकी तसल्ली खातर आप जिधर बोलोगे हम अंगूठा लगा देंगे, क्यों सांवरी....... धीरू बोला।
जी हुकुम, सांवरी ने एक बार जो जुबान भर दी, वा जिंदगी भर चलेगी। वैसे भी थारी लुगाई ने म्हारे को बैन बोला तो उनका मान तो रखना ही पड़ेगा ना।
आपने म्हारे वास्ते इतना बड़ा काम किया, म्हारे बापू का इलाज करवा रहे, वो काफी हमारे वास्ते, फिर भी आप अपनी तसल्ली कर लो, सांवरी बोली।
ठीक है फिर, कल सुबह गाड़ी तुमको डॉक्टर के पास ले जाएगी और जैसे ही डॉक्टर ने हां बोली हम आगे का काम शुरू कर देंगे। कुंवर साहब बोले, रात होने आई, आप दोनो अपने डेरे जाओ और कल सुबह तैयार रहना।
जी हुकुम, इब हमने इजाजत दो आप दोनो, खम्मा घणी।
थोड़ी देर में काली गाड़ी धीरू और सांवरी को डेरे की तरफ ले कर चली जा रही थी।
आज की रात सभी के लिए बहुत खुशनुमा थी।
कजरी और भंवरलाल खुश थे की भंवरलाल का इलाज शुरू हो चुका था।
सांवरी और धीरू खुश थे उनके सपने पूरे होने का समय आ रहा था।
कुंवरानी और कुंवर जी खुश थे उनकी संतान और वंश को आगे बढ़ाने की उम्मीद अब पुख्ता होती जा रही थी।
जयपुर की गुलाबी शाम बहुत सारे ख्वाबों को एक साथ पूरा होते देख रही थी। मौसम बहुत ही खुशगवार हो गया था।
क्रमश:
आभार – नवीन पहल – २१.०१.२०२२ ❤️🙏🏻🌹👍
# लेखनी उपन्यास प्रतियोगिता हेतु
Inayat
21-Jan-2022 11:41 PM
Intresting
Reply
Punam verma
21-Jan-2022 09:00 PM
Nice
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