अपूर्ण स्वप्न
सपने सच कहाँ होते हैं
कुछ सपने पूरे होते हैं ,कुछ अधूरे रहते हैं ।
पूरी ना होने की कसक जिंदगी भर देते हैं।
सपने पलते मन में कुछ और पर,
हकीकत में कुछ और मिलता है।
यही तो इस जिंदगी का दौर है ।
यही तो इस जिंदगी का दौर है ।।
ख्वाब सजाए आंखों में सुनहरे ,
रंगीली जीवन की पुष्पित बगिया हो।
कोई प्रेमी पागल भ्रमर सा हो,
मुझपर जान छिड़कता साजन हो।
पर सपने सच कहाँ होते हैं।
सपने तो सपने ही होते हैं ।
सपने तो सपने होते हैं।
जीवन में कुछ कर गुजर जाने का सपना ,
सबको अपना बना लेने का सपना।
दुनिया को सुंदरतम देखने का सपना ।
सर्वे भवंतु सुखिन का सपना,
सर्वे संतु निरामया का सपना ।
पर यह केवल सपने बनकर रह जाते हैं ।
उन्हें पूरा होते देख नहीं पाते हैं।
सपने जब सिसक सिसक रह जाते हैं।
आखों के सामने उन्हें दम तोड़ते देखते रह जाते हैं।
पर सपनों पर किसका काबू है,
ये तो अपनी प्यारी आरज़ू है
इसे साथ लेकर चलो ,
पूरी होगी या नहीं ये रब पर छोड़ दो।
ये रब पर छोड़ दो।
स्नेहलता पाण्डेय 'स्नेह'
नई दिल्ली
Satendra Nath Choubey
07-Jun-2021 11:15 PM
अच्छी है कविता
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Shilpa modi
07-Jun-2021 06:14 PM
बहुत सुंंदर रचना
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Sneh lata pandey
07-Jun-2021 06:19 PM
Thanks dear
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Kumawat Meenakshi Meera
07-Jun-2021 06:14 PM
Nice ...badhiya
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Sneh lata pandey
07-Jun-2021 06:18 PM
Thanks dear
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