कस्तूरबा गांधी
कस्तूरबा गाँधी
देश की नारियों को कर जागृत,
फैलायी नव चेतना की आँधी थी।
सबकी थी प्यारी सी बा वह,
ओजस्वी कस्तूरबा गाँधी थी।
बाल विवाह हुआ था उनका,
पतिव्रत धर्म मन से निभाया।
कदम मिलाकर साथ चलीं,
पत्नी का हर कर्तव्य निभाया।
निरक्षर थीं बा बेशक ही पर,
ज्ञान की अपार संजोए थाती।
आजादी के लिए लड़ी देश की,
जैसे तेज वायु से लड़ती बाती।
होता अत्याचार अफ्रीका में,
भीषण भारतीयों के ऊपर।
बा ने था आवाज उठाया,
सर्वप्रथम तनिक न डरकर।
भेजा गया जेल में उनको,
तनिक न वह घबराई थीं।
लौह महिला बनकर निकली,
तेजस्वी कस्तूरबा गांधी थीं।
सेवा का ले लिया व्रत महान।
साबरमती आश्रम में रहतीं।
त्याग और देशसेवा करने में,
बापू से किसी तरह न कम थीं।
बा का मतलब माँ होता है।
वो देशवासियों की माँ थीं।
प्रेम , दया ,ममता की देवी,
सहनशीलता की पर्याय बा थीं।
जर्जर हो चुका था शरीर उनका,
अल्पमात्रा में निरंतर भोजन लेने से।
उन्नीस सौ चौवालिस में छोड़ गईं,
गंभीर दिल का दौरा पड़ने से।
स्नेहलता पाण्डेय 'स्नेह'
Punam verma
23-Jan-2022 03:19 AM
बहुत खूब
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Seema Priyadarshini sahay
23-Jan-2022 01:01 AM
बहुत खूबसूरत
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Zakirhusain Abbas Chougule
22-Jan-2022 11:58 PM
Nice
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