धोखा
"अब हमने सब कुछ पा लिया है।"
पूनम बोली- "अब तुम्हारा इरादा ज़िन्दगी को किस तरह गुज़ारने का है?"
-"तुम बताओ तुम्हारी क्या मर्ज़ी है?"
"शिवम..." पूनम उसकी आँखों को चूमते हुए बोली - "मुझसे मत पूछो मेरे राजा, मेरे क्या क्या ख्याल बने हैं।"
मैंने तो कल्पना की है हम दोनों शादी करेंगे, हमारे पास ढेर सारी दौलत होगी ,हम दोनों एक बंगले में रहेंगे, हमारे छोटे छोटे बच्चे होंगे.... आगे पीछे दर्जनों नौकर चाकर होंगे हम हमारी कार में घूमने जाया करेंगे ।
"हम अपने सुनहरे संसार के राजा रानी -तुम मुझे प्यार से अपनी बांहों में समेट लिया करोगे,मैं तुमसे लिपट जाया करूँगी ।
"पूनम !"..... भावावेश में होकर शिवम बोला - " आज मुझे पता चला कि सच्चा प्यार क्या होता है। प्यार करने वाले कहा करते थे कि एक समय मे प्यार करने दो दिलों में एक ही विचार आते हैं,सच पूनम तुमने मेरे दिल की बात कही है।"
"मैं भी यही सोच रहा था...अकेले रहते रहते ज़िन्दगी से ऊब चुका हूं,अब तो ज़िन्दगी नीरस सी लगती है।"
मेरे पास दौलत है,तुम हो,फिर क्यों न अपना घर बसा लूं?"
"मेरे राजा!" पूनम के मुंह से निकला और वह बुरी तरह शिवम से लिपट गई ।
बोली- " तुम कितने अच्छे हो! लेकिन...
पूनम जान बूझ कर अपनी बात को अधूरी ही छोड़ दी ।
"लेकिन क्या?" शिवम बेहद संजीदा होते हुए पूनम से पूछा ।
पूनम भी अपने चेहरे पर दुनियां भर की मासूमियत और दर्द लाती हुई बोली - " छोड़ो न शिवम ,जो बात तुम्हारे दिल को दुखी करे,वो बात मैं अपने होंठों पर नही लाना चाहती ।"
अब शिवम बुरी तरह से खीज गया था,बोला - "वो कौन सी बात है जो मेरी पूनम को अंदर ही अंदर खाए जा रही है?"
"कुछ बात नही है शिवम है,तुम नाहक ही परेशान हो रहे हो!"
शिवम अब पूनम के हाथ को अपने छाती के पास धड़कते हुए दिल के करीब रखता हुआ, बोला - "पूनम बात क्या है ,खुलकर बोलो!"
पूनम थोड़ा घबराते हुए बोली -"दरअसल पिछले कुछ दिनों से तुम्हारे दोस्त की नीयत कुछ ठीक नही लग रही!"
"पूनम....!" बुरी तरह चीख कर उठा था शिवम
वो मेरा दोस्त है,मेरे बचपन का यार है वो !"
"दोस्त..!" पूनम ने दोहराया
"अगर मैं तुम्हे असली बात बता दूं शिवम, तो तुम्हे पता लगे वह तुम्हारा कैसा दोस्त है ! सच कह रही हूं शिवम-तुम्हारी कसम,उसने जो किया है,अगर तुम्हें पता लग जाए तो पता नहीं तुम क्या कर दो,मैं तुम्हारी दोस्ती पर दरार पैदा नही करना चाहती थी शिवम,इसीलिए मैंने तुम्हें कुछ नही बताया,तुम वो सब मत सुनो शिवम,तुम पता नही क्या कर दोगे.... तुम्हारा गुस्सा बहुत भयानक है ।"
"क्या.." बुरी तरह चौंका शिवम बोला - "क्या किया अनुज ने?"
"कुछ नही शिवम रहने दो उस बात को।"
नही..शिवम बोला - "पुनम मुझे बताओ,तुम्हें मेरी कसम ।"
नही शिवम नही...कसम नही दो,पूनम तड़प कर बोली "तुम्हारी कसम मैं नही तोड़ सकती...और अगर मैंने तुम्हें सच सच साब कुछ बता दिया तो तुम पता नही क्या कर दो! मुझे तुम्हारे गुस्से से बहुत डर लगता है।"
पर शिवम नही माना... "दौलत" के बाद "औरत" ही दुनियां की सबसे बुरी शै है ।
दौलत के जाल में तो शिवम पहले ही फंसा हुआ था,यहां औरत के जाल में भी वो उलझता चला गया,उसने जब जिद नही छोड़ी तो पूनम बताने लगी ।"
"तुमने मुझे कसम दे दी इसीलिए.... तुम्हे सब कुछ बताने के लिए मैं मजबूर हूँ... मुझे तो बताते हुए भी शर्म आती है शिवम, जिस अनुज को तुम अपना दोस्त मानते हो ,उसकी इतनी इज्जत करते हो...उसी अनुज की नज़र आज तुम्हारी इज़्ज़त पर है।"
कल जब मैं अकेली थी और बाथरूम में नहा रही थी तब वो तुम्हारी गैरहाजिरी में पाइप के सहारे उपर छत के रास्ते अंदर दाखिल हो गया और फिर बाथरूम में मेरे साथ.... छी।" इतना कहते हुए पूनम फफक फफक कर रो पड़ी ।
बड़ी मुश्किल से मैंने तुम्हारी अमानत को उससे बचाया है शिवम...और फिर से पूनम फफक पड़ी ।
"नही...ऐसा नही हो सकता।" एक दम गुर्रा उठा शिवम "अनुज इतना जलील नही है!"
"तुम्हारी कसम खा कर मैं झूठ नही बोलूंगी शिवम।" कहती कहती पूनम ने अपना आखिरी हथियार भी शिवम पर चला दिया...उसकी आँखों से आंसू मोतियों के शक्ल में टपकने लगे ।"
"पत्थर से पत्थर दिल इंसान भी सदियों से औरत इस हथियार की धार पर दुनिया को उलट पलट कर चुके हैं ,बेचारे शिवम की क्या बिसात थी ।"
एक तरफ पूनम के आंसू थे..दूसरी तरफ उसे यह भी विश्वास था पूनम उसकी झूठी कसम कभी नही खा सकती ।
उसने पूनम का हसीन मुखड़ा बांहों में लिया और बोला "मैं अभी अनुज से बात करता हूँ,अगर यह बात सच हुई तो मैं उसे जिंदा नही छोडूंगा।"
चेहरे पर दुनिया भर की कठोरता लाते हुए बोला था शिवम ।
"नही शिवम नहीं.... पूनम रोती हुई एकदम उसका हाथ पकड़कर रोकती हुई बोली "मैं नही चाहती कि तुम दोनों दोस्तों में फूट पड़े।"
"और इस तरह पूनम ने शिवम को एक बार फिर कसम की बेड़ियों में जकड़ लिया,शिवम उसकी बात मानने के लिए विवश हो गया ।"
"पूनम शिवम के दिल मे अनुज के प्रति ज़हर घोलती रही और और फिर शिवम को वहां डुबो दिया जहां किसी भी जोड़े को शादी से पहले डूबने की इजाज़त नही देता,वहां डूब कर शिवम सब कुछ भूल गया। उसे केवल याद थी पूनम और पूनम का प्यार ।"
"कुछ देर बाद वह तूफान थम गया..दोनो थक कर एक दूसरे के उपर निढाल से पड़े रह गए,शिवम के चेहरे पर जहां दुनियां भर की सुकून थी तो वहीं पूनम के होंठो पर एक कुटिल मुस्कान थिरक रही थी "
★★★★
शाम के ठीक साढ़े सात बजे शिवम के घर की बेल बजी ,शिवम खुद दरवाजा खोल कर अपने बचपन के यार अनुज को अंदर ले आया।
अंदर आते ही अनुज बोला- " क्या बात है यार आज क्लब की जगह यहीं पर पार्टी मनाना है क्या ,जो तू मुझे इधर बुला लिया?"
"हाँ यार अनुज, आज मन भी कुछ थका थका सा लग रहा तो सोचा क्यों न घर पे ही बैठा जाए,वैसे भी जहां तू साथ रहे अपनी महफ़िल वही जवां हो जाती है।" बड़े ही प्यार से बोला था शिवम ।
रात ग्यारह बजे तक शिवम अनुज को इतना पिला चुका था कि अनुज अपने होश खो चुका था।
"अनुज...।" शिवम अपनी ग्लास से एक घूंट शराब अपने हलक से नीचे उतारते हुए बोला "मैं तुमसे कुछ कहना चाहता हूँ।"
"बोल...!"
"पूनम से मैं शादी करने का फैसला कर चुका हूं!"
"अबे तो इसमें कहने वाली कौन सी बात है?"
"जब फैसला कर चुका है तो फौरन बना डाल शादी...ये तो बहुत ही खुशी की बात है!"
"नाटक बन्द कर हरामज़ादे!" पूनम मुझे सब कुछ बता चुकी है ।
"और फिर शिवम का एक जोरदार घूंसा अनुज के चेहरे पर पड़ा....और अनुज लहराकर वहीं फर्श में गिर गया।"
"अबे तुझे ज्यादा चढ़ गई है क्या... ये क्या बक रहा है ,और क्या बता दिया है पूनम ने तुझे?"
"शिवम के दिमाग मे चिंगारियां फुट रही थी वो अनुज की किसी भी बात को समझने की स्थिति में नही था।"
"घूंसा इतना ज़ोरदार था कि अनुज का जबड़ा हिल कर रह गया था"
अनुज का सारा नशा उड़ चुका था, बोला - "शिवम पागल मत बन,मुझे नही पता पूनम ने तुझे क्या पट्टी पढ़ाई है ,पर मेरी बात को समझने की कोशिश कर वरना तू बहुत पछतायेगा ।
कल की आई एक लौंडिया के लिए तू अपने बचपन के दोस्त को मारने पर उतर गया,छि शिवम धिक्कार है तुझ पर और तेरी दोस्ती पर ।
जुबान को लगाम दे अनुज...शिवम गुर्राया - मेरी और पूनम की शादी होने वाली है ।
"अब तेरी जलालत मेरे सामने आ चुकी है...तेरी नज़र मेरी पूनम पर है इसीलिए कल तू मेरी गैरहाजिरी में पाइप के सहारे मेरे घर मे घुस गया और पूनम के साथ वाहियात हरकत की।"
हैरानी से अनुज की आँखे चौड़ी होती चली गई "शिवम तू एक दो टके की लौंडिया के चक्कर में आकर अपने दोस्त को धोखा दे रहा है?"
"लौंडिया नही अनुज...भाभी बोल भाभी ।
अगर मैं तेरी पत्नी के साथ ऐसी नीच और जलील हरकत करता तो बोल क्या तू मुझे छोड़ता,इसीलिए अब तेरा मर जाना ही ठीक है ।"
काजल भाभी के बारे में तो सोचा होता रे अनुज... उनकी आत्मा भी आज खून के आंसू रो रही होगी....कितना गिर गया रे अनुज तू,तुझे तो अपना दोस्त कहते हुए बहु शर्म आती है अब!'
नही शिवम नही... चीख पड़ा अनुज - "काजल और पूनम में बहुत अंतर है।
ये तेरी पत्नी बनेगी ,ये कुतिया सारी दौलत हड़पने के ख्वाब देख रही है...ये हरामजादी तुझे धोखा दे रही है शिवम...।"
बिजली की गति से शिवम का हाथ चला...एक पल के लिए शिवम के हाथ ने चाकू चमका और अगले ही पल खचाक, चाकू का पूरा फलका अनुज के पेट में धंस गया,अनुज के कंठ से एक चीख निकली,उसकी आंखे फैल गई ।
"हरामज़ादे,पूनम को कुतिया कहता है।" शिवम चीखा,अनुज की आंखे बंद होती चली गई ।
अनुज के खून के फव्वारे ने शिवम के कपड़े तर कर दिये, चाकू अब भी अनुज के पेट मे धंसा हुआ था....वह लहराया और धड़ाम से फर्श पर गिर गया।
खूनी आंखों से शिवम ,अनुज की लाश को देखता रहा ।
हा....हा....हा....हा.....हा.....हा.....हा.....हा !'
"एक खनखनाता हुआ कहकहा कमरे में गूंजा.....फुर्ती से शिवम पलटा,सामने देखते ही वो बुरी तरह उछल पड़ा ।
सामने पूनम खड़ी थी...उसके हाथ मे रिवाल्वर था और उस रिवाल्वर का रुख शिवम की ओर ही था ,वो अब भी ठहाके लगा कर हंसे जा रही थी जब कि शवम की आंखे आश्चर्य से फैलती चली जा रही थी ।"
"उसके चेहरे पर हज़ारों भाव आते चले गए। एक पल को तो उसकी समझ मे ही नही आया ये सब क्या हो रहा है ।
यह त्रियाचरित्र है मेरे राजा...इसके आगे बड़े बड़े बादशाह भी रंक हुए हैं।
गुस्से से भून भुना उठा शिवम, उसका समूचा जिस्म कांप रहा था।
वह गुर्राया- "इसका मतलब यह हुआ कमीनी ,कुतिया तू धोखेबाज है?"
"मौके का फायदा उठाने वाले को धोखा नही कहते शिवम डार्लिंग।"
शिवम को कवर करती हुई अनुज के लाश और शिवम के बीच मे आ गई - " तुम जैसे बागड़बिल्ले से भला मैंशादी करूँगी?"
आज मेरी दो बातों में आकर तुमने अपने बचपन के दोस्त को मार दिया ,कल किसी और कि बातों में आकर तुम मेरे भी उपर चाकू लेकर चढ़ जाओगे ।
ये सारा खेल तेरे इस दौलत के लिए था शिवम और मुझे सबसे ज्यादा खतरा इस अनुज से ही था...इसीलिए मैंने तेरे ही हाथों अनुज का कत्ल करा दिया ।
और अब तू भी मरेगा...और इस दौलत पर राज करूँगी मैं...।"
तभी कमरे में एक और ठहाका गुंजा...."ये क्या कह रही हो विशाखा डार्लिंग,कहीं मुझे भी तो रास्ते से हटाने का प्लान नही बना लिया ?"
"विशाखा...??" बुरी तरह चौंका था शिवम
जबकि पूनम उर्फ विशाखा के होंठो पर अब एक क़ातिल एवं ज़हरीली मुस्कान थी
"नही विक्टर...तुम्हे कैसे रास्ते से हटा सकती हूं, ये पूरा खेल तुम्हारा ही तो रचा हुआ है!"
शिवम के पास अब कोई रास्ता नही था.....विक्टर, उसका ड्राइवर ।
श"िवम के दिमाग मे पूरा खेल समझ आ गया....जबरदस्त धोखा खाया था शिवम और अपना सब कुछ गंवा दिया था ।"
वो अनुज के लाश के पास घुटने के बल बैठ गया और फुट फुट कर रोने लगा...."अनुज...मेरे यार मुझे माफ़ कर दे दोएत मैं तेरा गुनहगार हूँ!'
"धाँय.... से एक गोली चली और शिवम की दाईं कनपट्टी में में एक सुराख बनाती हुई बायीं कनपट्टी से बाहर निकल गई।"
दो पल बाद ही भलभला कर खून का फव्वारा फुट पड़ा.... और शिवम वहीं अनुज के सीने पर लुढ़क गया ।"
Seema Priyadarshini sahay
24-Jan-2022 09:22 PM
बहुत खूब
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Rakash
24-Jan-2022 01:03 PM
Nice
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Arjun kumar
24-Jan-2022 12:41 PM
Nice
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