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बता उसको क्या कहें?






जो तेरे लिए हर ज़ख्म सह रहा, बता उसको क्या कहें?
जो न होकर भी तेरा, तेरा रह रहा, बता उसको क्या कहें?

हर गम का इलाज, मिलता नहीं, ज़हर दें या दवा दें
जो ज़हर-ए-गम हँसकर पिये, बता उसको क्या कहें?

यूं खामोशियाँ कुछ बयाँ करती नहीं, फिर भी खामोश है
जो कहकर भी कभी कुछ ना कहे, बता उसको क्या कहें?

नसीबों में होते नहीं है अक्सर, चाहें जिसे ज़्यादा जाँ से
जाँ से दूर होकर भी जिंदा रहे, बता उसको क्या  कहें?

हजारों-लाखों की भीड़ में रहकर, तन्हा सा जीता है जो
गैर दुनिया से होकर बस तेरा रहे, बता उसको क्या कहें?

ख़्वाब लाखों सजेती हैं, ये पगली अखियां बिन बोले-सुने
जिसके हर ख्वाब में सिर्फ तुम हो, बता उसको क्या कहें?

तरसती है दुनिया जिसे पाने को, अपना बनाने के लिए
हुआ न किसी का जो बाद तेरे, बता उसको क्या कहें?

है इश्क़ अधूरा और बातें अधूरी, मुक्कमल है खुद में ये दास्ताँ 
जिसके हर फ़साने में तुम्हीं, सिर्फ तुम हो, बता उसे क्या कहें।



#MJ
©मनोज कुमार "MJ"

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6 Comments

🤫

07-Jun-2021 07:55 PM

कुछ अल्फाज निगाहों से भी बयां हो सकते है जुबां को उठाने की ज़हमत न कर..... खुबसूरत ..!

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बहुत शुक्रिया

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Aman Mishra

07-Jun-2021 07:54 PM

Waah bhai😊

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शुक्रिया

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Ravi Goyal

07-Jun-2021 07:48 PM

बेहद खूबसूरत ग़ज़ल 👌👌

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Bahut shukriya

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