Rekha mishra

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लेखनी कहानी -24-Jan-2022

            एक श्राप

       भाग - 2 
नील उस घर में जाकर ठीक उसी कमरे में चला जाता हैं जहां से जंगल निकलने का रास्ता होता है। घर में माँ रो रो कर बुरे हाल में थी। क्यूँ शादी से पहले नहीं बताया ये होता है तुम्हारे खानदान में, मेरा बच्चा तुम लोगों की बनाई सूली चढ गया, एक माँ का दिल दुखाना ठीक नहीं, मेरा फूल सा बच्चा भेड़िया बन गया, है प्रभु कुछ तो रास्ता सुझाए। बड़बड़ाते जा रही है। पिता आँखों में आंसू लिए सुनो तुम मैं कुछ ना कुछ जरूर ढूँढ निकालूँगा जिससे नील इस श्राप से मुक्त हो। घर में ना किसी को खाना अच्छा लगता है ना बोलना, वहां धीरज लड़के का चाचा ईश्वर से प्रार्थना कर रहा होता है भगवान उसे ज्यादा दर्द मत देना बच्चा है। अचानक घड़ी की सुई बिल्कुल बारह बार बारह बज गए और नील के बदन में सरसराहट चालू, उसका कराहना चालू हो गया  धीरे-धीरे आवाजें भी तेज होने लगी वो चिल्ला रहा था चाचा आधी बच्चे की तो आधी किसी जानवर की आवाज। अचानक आवाज बंद यानी नील भेड़िया बन चुका है और शांत होकर लेटा होगा लेकिन यहाँ तो उल्टा भेड़िये को आदमी की खुशबू दूर से भी सूंघाइ आजाती है। पता नहीं कैसे पर चाचा को वहां रुकना ठीक नहीं लगा वो वहां से भाग गया नील तोड़ फोड़ करता हुआ बाहर आया लेकिन कोई नहीं फिर थोड़ा घुमा और  वही लेट गया, थोड़ी देर बाद पीछे के कमरे से जंगल की ओर निकल पड़ा ।रास्ते मे छोटे मोटे जानवर मार गिराए। अब जैसे जैसे 4 बजने वाले थे नील को यह होश आरहा था के घर जाना है वो भागता हुआ घर में घुसा और दर्द से कराह उठा। और बिना किसी कपड़े के फर्श पर वापस मानव शरीर में आ चुका था लेकिन दर्द की वज़ह से सो गया। सुबह चाचा पापा दोनों वहाँ आए बिना कपड़े बेहोश पड़े बच्चे को देख बिलख बिलख कर रोने लगे। क्या होगया हमारे बच्चे के साथ कुछ कर यार धीरज मेरे से मेरे बच्चे की हालत देखी नहीं जा रही धीरज बोला उसके सामने नहीं रोना टूट जाएगा, Tu उसकी हिम्मत बंधा आज ही जाता हूँ पास के गांव कोई तो मिलेगा जो इस बारे में कुछ जानता होगा, और सुन नील तेरा अकेले का नहीं मेरा भी बच्चा है। जान लगा दूँगा पर अब इस श्राप से छुटकारा चाहिए। कहता हुआ वहां से निकल गया नील के पापा ने उसे कंबल से ढका और बाहर हॉल में आकर लेट गए। नील हल्के हल्के होश में आया। और मुह पर लगे खून को देख घ्रणा सी हुई किस मासूम को मारा कल मैने फिर कपड़े पहनते हुए बाहर आया और पिता से लिपट कर रोने लगा।पापा आप सब ने ये साहा है हाँ बेटा। पर तू चिंता मत कर कुछ तो उपाय होगा सुन तू तो कम्पुटर के बारे में काफी जानता हैं ना तू सर्च कर गूगल पर कौन था कैसा था कुछ तो हिस्ट्री पता चलेगी, नील बोला जरूर। फिर दोनों घर निकल जाते हैं।माँ फिर लिपट कर रोने लग जाती है। माँ तो माँ है कैसे बच्चे को तकलीफ में देखे आखिर उसके शरीर का हिस्सा तकलीफ में और वो ठीक हो नहीं हो सकता कभी भी नहीं। वहाँ धीरज गांव के बड़े बुजुर्गों से मिल रहा है राजे महाराजा के कुल का होने के कारण गांव में इनके परिवार की बड़ी इज़्ज़त है दूर से ही देख लोग हुकुम करके झुक जाते हैं। तो वहां एक सबसे बुढ़ा आदमी से मिलता है। बाबा ये  भेड़िये के श्राप के बारे में कुछ जानते हो, वो बुढ़ा हड़बड़ी में वहाँ से भाग जाता है, नहीं भाया नहीं भाया मने कुछ नहीं पतों, धीरज लंबी सास भरता हुआ, जरूर यहाँ कुछ ना कुछ तो पता जरूर चलेगा। ये नहीं कोई और बतायेगा। अब वो वहाँ के सरपंच के पास जाता है और बोलता है एक किताब लिख रहा हूँ सरपंच जी जो भी जानकारी दे सके अच्छा पैसा दूँगा, खबर फैला दीजिए, और आज और कल में ही आए, में ज्यादा दिन यहाँ नहीं रुक सकता। गांव में हर कोई यही बात कर रहा था तभी एक बुढ़िया जिसका मानसिक संतुलन कुछ ठीक नहीं था भागती हुई  सरपंच के घर आ पहुंची सरपंच जी मैं सब जानू बोली के जाननो है। धीरज जल्दी से बाहर आता है।

आगे क्या हुआ जानने के लिए तीसरे भाग को पढना होगा।

धन्यवाद

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3 Comments

Rekha mishra

25-Jan-2022 09:43 PM

Ohh

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Pamela

25-Jan-2022 07:06 PM

Waiting next

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Rekha mishra

25-Jan-2022 10:49 PM

Madam ur 3 rd part is on lekhny.com

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