Sonia Jadhav

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गुलाब और मोगरा

मैं गुलाब थी
वो मुझसे मोगरा होने की, 
 जिद करता रहा।
मेरे काँटो को वो ,
मेरी कमी कहकर,
मेरे व्यक्तित्व को तार-तार करता रहा।

सृष्टि ने रचा था मुझे इस तरह,
समझ नहीं पायी, इसमें मेरा क्या दोष था?
गुलाब में काँटो का होना तो स्वभाविक ही था।

अंत में मैं समझ गयी,
कमी मुझमें नहीं थी, उसमें थी।
आँखें होते हुए भी वो,
गुलाब में मोगरा ढूंढता रहा।

❤सोनिया जाधव
#लेखनी प्रतियोगिता





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9 Comments

Shrishti pandey

28-Jan-2022 04:26 PM

Nice

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Punam verma

28-Jan-2022 04:19 PM

Very nice

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Sudhanshu pabdey

28-Jan-2022 12:24 PM

Very nice 👌

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