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गीत

गीत

जो सोए अरमानों को जगाता है
शोषितों की आवाज़ बन जाता है
गरीब की व्यथा हमें समझाता है
साथी हाथ बढ़ाना पाठ पढ़ाता है
वास्तविक गीत वही कहलाता है।

जो दिलों में देशभक्ति जगाता है 
क्रांति बिगुल समाज में बजाता है
भिक्षुक, विधवा की दशा दर्शाता है
लोगों में संवेदना का भाव जगाता है
सच्चे मायनों में गीत वही कहलाता है।

 जो विरहिणी की वेदना को बढ़ाता है
 मधुर मिलन का गवाह बन जाता है
 नारी के अनेक रूप, गुण दर्शाता है
 मनोभावों की प्रतिमूर्ति बन जाता है
 वास्तविक गीत वही कहलाता है।

जो भ्रमर के गुंजन में बस जाता है
कोयल की कू-कू से हमें हर्षाता है 
हवा व लहरों के संग हमें बुलाता है
पायल की झंकार से हमें लुभाता है
सच्चे मायनों में गीत वही कहलाता है।

डॉ. अर्पिता अग्रवाल
नोएडा, उत्तरप्रदेश

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8 Comments

Sudhanshu pabdey

29-Jan-2022 12:04 PM

Very beautiful 👌

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Shrishti pandey

29-Jan-2022 08:27 AM

Nice one

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Punam verma

28-Jan-2022 11:42 PM

Nice

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