लेखनी प्रतियोगिता -29-Jan-2022
"एक गलतफहमी और सब कुछ खत्म"
इश्क़ की गलियों में गुमनाम हुए है,
तेरे नाम से बदनाम हुए है,
हो सके तो पलट कर देख लेना,
हम आज भी वही पर तन्हा खड़े हुए है।
बिन मौसम बारिश की तरह, आज भी तेरे घर के सामने आ जाया करती हु,
कुछ काम ना होते हुए भी,उस सामने वाले प्रोविजन स्टोर से कुछ ना कुछ खरीद लिया करती हूं।
तेरी खिड़की के सामने देख थोड़ा सा सुकून महसूस कर लिया करती हूं,
तेरी वो पसंदीदा चॉकलेट खाकर, आज भी खुश हो जाया करती हूं।
वो आखरी मुलाकात थी, हमारी उस दिन उस पार्क में,
उसके बाद मैंने आज तक कभी नही देखा तुझे उस मार्ग में,
ऐसी क्या गलती थी मेरी, जो अभी भी तुझमे राज़ है?
हो सके तो बता देना, की क्या मेरी गलती की सिर्फ एक यही सजा है?
मेरी जो भी गलती थी,वो यकीनन तेरी कोई गलतफहमी थी,
बरसो पुराना तेरा भरोसा में तोड़ू, ऐसी में कोई नासमझ लडकी नही थी,
खैर कहने को अब कुछ बचा ही नहीं, क्योंकि अब वो विश्वास हम दोनो के बीच रहा ही नहीं,
कुछ इस तरह हुआ हमारे रिश्ते का अंत, "एक गलतफहमी औऱ सब कुछ खतम"...
Sudhanshu pabdey
30-Jan-2022 10:43 AM
Very nice 👌
Reply
Swati chourasia
30-Jan-2022 08:18 AM
Very nice 👌
Reply
Abhinav ji
29-Jan-2022 10:22 PM
Nice
Reply