Jahnavi Sharma

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आई नो... यू नो..! (भाग-6)

पुलिस स्टेशन 

सुबह के 11 बजे.... 


सजल की मौत को लगभग तीन-चार दिन हो चुके थे। लेकिन पुलिस के हाथ अभी तक कोई ठोस सबूत नहीं लगा था। सजल के एक बड़ी एक्ट्रेस होने की वजह से फैंस में भी पुलिस के प्रति गुस्सा बढ़ता जा रहा था। उधर पुलिस को सजल के बारे में कुछ खास जानकारी प्राप्त नहीं हो पा रही थी। इन सबके बीच सजल की पोस्टमार्टम रिपोर्ट आना एक खुशखबरी की तरह था। 
पुलिस स्टेशन में इस केस से जुड़ी मीटिंग हो रही थी। तभी डॉक्टर नंदिता सजल की पोस्टमार्टम रिपोर्ट लेकर पुलिस स्टेशन में दाखिल हुई। 

"थैंक्यू डॉक्टर नंदिता! आप आई तो सही... हम लोग कब से आपका इंतजार कर रहे थे। अब इस रिपोर्ट में जो भी है, प्लीज आप जल्दी से सब को पढ़कर सुना दीजिए", इंस्पेक्टर शर्मा नंदिता को आता देख इंस्पेक्टर शर्मा बेसब्री से बोले। 

"हैव सम पेशेंस इंस्पेक्टर शर्मा.... पहले मुझे एनवेलप तो ओपन करने दीजिए" नंदिता ने लिफाफे को खोलते हुए कहा। 

"इस केस में मर्डर वेपन से लेकर सजल की मौत में कौन-कौन इंवॉल्व हो सकता है... इन सबका रहस्य अंधेरे की तरह गहराता जा रहा है। जैसे ही एक दरवाजा पार करते हैं सामने एक और बंद दरवाजा मिल जाता है, "सब इंस्पेक्टर दत्ता ने कहा। 

"ओके फिर देखते हैं कि रिपोर्ट में क्या हो सकता है", नंदिता ने रिपोर्ट पढ़ते हुए कहा,"हो सकता है रिपोर्ट सुनकर आप सब लोगों को धक्का लगे क्योंकि सजल की बॉडी से रिलेटेड बहुत से ऐसे राज सबके सामने आने वाले हैं, जिसके बारे मे किसी ने सोचा भी नही होगा। अगर हम मर्डर वेपन की बात करें, तो सजल का खून किसी धारदार हथियार से हुआ था। और वह हथियार बर्फ का बना हुआ था क्योंकि घाव के अंदर पानी भर चुका था। तो यह हमारे लिए एक बैड न्यूज़ से कम नहीं है। "

"हमें लगा था कि सजल की रिपोर्ट आने से हमें कुछ तो हेल्प मिलेगी। अगर सजल की मौत में नॉर्मल हथियार का यूज किया जाता, तो हम फिंगरप्रिंट के जरिए कुछ तो पता लगाने की कोशिश करते। लेकिन यहां तो एक अंधे कुएँ जैसी सिचुएशन हो गई है। खुनी बहुत ही चालाक व्यक्ति है। उसने जानबूझकर कत्ल के लिए बर्फ के हथियार का इस्तेमाल किया ताकि जान भी चली जाए और उसके खिलाफ कोई सबूत भी ना मिले", इस्पेक्टर शर्मा ने मायूस होकर कहा। 

"मुझे नहीं लगता अब इस रिपोर्ट में और कुछ भी जानने लायक होगा डॉक्टर" सब इंस्पेक्टर दत्ता ने पूछा। 

"नहीं सर .... आई थिंक इतनी जल्दी हिम्मत हारना बेवकूफी होगी। भले ही हम मर्डर वेपन तक ना पहुंच पाए, लेकिन उसके अलावा भी हमारे पास ऐसे बहुत से लीड है... जिससे हम कातिल तक पहुंच सकते हैं। सजल 8 वीक्स प्रेगनेंट थी। हमने उसके फीटल (भ्रूण) के अवशेषों को सुरक्षित रख दिया है। हम अपने सस्पेक्ट की डीएनए रिपोर्ट उस फीटल से मैच करके पता लगा सकते हैं कि वह किसका बच्चा था।" नंदिता की बातों ने उन सबको उम्मीद की नई किरण दी। 

"लेकिन किसी भी सस्पेक्ट की डीएनए रिपोर्ट की परमिशन मिलना इतना आसान नहीं। सर आप अच्छे से जानते हो कि हमारे सस्पेक्ट सिंघानिया फैमिली से हैं। उन्हें तो हम जल्दी से अरेस्ट भी नहीं कर सकते, डीएनए करवाना तो बहुत दूर की बात है।" दत्ता ने चिंता जताते हुए कहा, " यह एक केस हाई प्रोफाइल होने के कारण पूरे दिन बस किसी न किसी का कॉल आते रहते है। और बस एक ही दबाव... कि केस को जल्दी से जल्दी सॉल्व किया जाए"

दत्ता  के बात खत्म करते ही नंदिता बोली,"वैसे सजल की डेड बॉडी से एक और शॉकिंग न्यूज़ पता चली है। सजल की बॉडी के इंटिमेट एरिया इंजर्ड थे।"

नंदिता की बात सुनकर वह सारे लोग हैरान होकर एक दूसरे की तरफ देखने लगे। 

इंस्पेक्टर शर्मा ने नंदिता से पूछा, "तो क्या इसका मतलब सजल का रेप हुआ था? लेकिन प्रेगनेंसी और रेप एक साथ? मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा। डॉक्टर नंदिता आप क्लीयरली सब कुछ बताएंगी। 

"हा इंस्पेक्टर!, नंदिता ने इंस्पेक्टर शर्मा की बातों का जवाब देते हुए कहा, "किसी ने सजल के साथ जबरदस्ती शारीरिक संबंध बनाने की कोशिश की थी। लेकिन जरूरी नहीं कि वह बच्चा उसी का हो। सजल की प्रेगनेंसी लगभग 8 हफ्ते की थी... जबकि उसके इंटिमेट एरिया में लगी चोटों के हिसाब से उसके साथ दो या 3 दिन पहले ही रेप किया गया था। अब यह कहना मुश्किल है कि सजल के बच्चे का बाप ही वह रेपिस्ट है या नही। अब चूंकि जब रेप दो या 3 दिन पहले हुआ था, तो हम रेपिस्ट का डीएनए सैंपल भी नहीं कलेक्ट कर पाए।" 

"अगर सजल के साथ रेप हुआ था, तो उसने पुलिस कंप्लेंट क्यों नहीं की ? जबकि वह तो एक जानी-मानी एक्ट्रेस थी और यह बात भी नहीं थी कि उसकी बात सुनी नहीं जाती। फिर चुप रहने का रीजन? यह गुत्थी तो सुलझने के बजाय दिन-ब-दिन और उलझती जा रही है,"सब इंस्पेक्टर दत्ता ने सवालो की झड़ी सी लगा दी। 

"सजल का रेपिस्ट जो भी था.. वह उसे अच्छे से जानती थी। क्योंकि हमें इंटिमेट एरिया के अलावा और कहीं जबरदस्ती के कोई निशान नहीं मिले।" नंदिता ने रिपोर्ट पढ़ते हुए कहा.. "एंड वन मोर थिंग सजल के ब्लड में ड्रग्स और ऐल्कोहॉल के ट्रेशेस भी मिले थे। "

"ब्लड मे ऐल्कोहॉल और ड्रग्स के ट्रेशेस होना... कोई चौकाने वाली बात नही है। बॉलीवुड में यह सब चीजें आम है। यह भी हो सकता है सजल के साथ जबरदस्ती नशे की हालत मे की गयी हो। तभी इंटीमेट एरिया के अलावा और कही कोई चोट के निशान नही। उस समय शायद वो इस हालत मे ही ना हो कि खुद को बचाने की कोशिश भी कर पाए" शर्मा ने नंदिता की बात को आगे बढ़ाते हुए कहा। 

" इन सब मे राम सिंघानिया का भी हाथ हो सकता है। जब सजल को होश आया होगा, तो उसे सब याद आ गया होगा। फिर उसने राम सिंघानिया को कॉल करके होटल बुलाया होगा। तभी होटल में वह उसका गला दबा रहे थे। सजल राम सिंघानिया को पुलिस में जाने की धमकी दे रही होगी,"सब बस एक के बाद एक अंदाजे लगाए जा रहे थे। 

"हम अभी रिपोर्ट को पब्लिक भी नहीं कर सकते... जबकि मीडिया सुबह से घात लगाए बैठी है कि सजल की पोस्टमार्टम रिपोर्ट की जानकारी जनता तक पहुंचाई जाए"...शर्मा ने कहा। 

"हम सजल की मौत के मर्डर वेपन के बारे में तो बता ही सकते हैं। बाकी की रिपोर्ट को कॉन्फिडेंशल रखा जाए, तो मेरे हिसाब से बेहतर होगा सर", दत्ता ने सुझाव दिया। 


"यह सब बाद की बातें हैं... उससे पहले हमें कल कोर्ट में होने वाली पहली सुनवाई पर ध्यान देना होगा। अब जब सजल की पोस्टमार्टम रिपोर्ट आज आ गयी है। तो हमें रिपोर्ट बनाने में और भी आसानी होगी। चारों तरफ से बहुत दबाव आ रहा है मुझे इसी बात का डर है कि कहीं कोर्ट यह केस सीबीआई को ना सौंप दे। उन्होंने याचिका सीधे हाई कोर्ट मे दर्ज की है। ", इंस्पेक्टर शर्मा के शब्दों में उनकी चिंता साफ जाहिर हो रही थी। उनके मन में अभी भी यही चल रहा था कि विराट ही सजल का कातिल था। 

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अगले दिन 
बॉम्बे हाई कोर्ट, मुंबई
सुबह के 11 बजे... 


मुंबई हाई कोर्ट के आसपास की सुरक्षा बढ़ा दी गई थी। जबकि मीडिया सजल से जुड़ी हर एक न्यूज़ कवर करने की पूरी कोशिश कर रहा था। चूंकि विराट सिंघानिया और राम सिंघानिया इस केस के सस्पेक्ट थे, तो कोर्ट की तरफ से उन्हें भी समन जारी हुआ था। दोनों ही पिता - पुत्र  कोर्ट जाने के समर्थन में नहीं थे, लेकिन पाखी के कहने पर वह दोनों कोर्ट में हाजिर हुए। वही इंस्पेक्टर शर्मा, सब इंस्पेक्टर दत्ता के साथ केस की अब तक की प्रोग्रेस लेकर कोर्ट में पहुंच चुके थे। दूसरी तरफ सजल के माता - पिता, उसके बड़े भाई और उनके वकील के साथ कोर्ट में आए थे। उन लोगों की पूरी कोशिश थी कि इस केस को सीबीआई को सौंपा जाए। 


सभी कोर्ट रूम में उपस्थित हो चुके थे। केस की शुरू हो चुकी थी। जज साहब ने केस की प्रोग्रेस रिपोर्ट फाइल को पढ़ा। 

जज मिस्टर लालवानी ने सधे हुए लहजे मे कहा, "पब्लिक प्रॉसिक्यूटर और डिफेंस इस मामले से जुड़े अपने- अपने सबूत और रिपोर्ट पेश करें। 

पब्लिक प्रॉसिक्यूटर मिसेस खत्री जो कि सरकारी वकील होने के साथ - साथ एक समाज सेविका भी थी, उनके द्वारा स्टेट की तरफ से इस केस को प्रस्तुत किया जा रहा था। जबकि सजल की तरफ मुंबई के ही जाने - माने वकील मिस्टर देसाई ये केस लड़ रहे थे। 

"योर ऑनर! जैसा कि सबको पता है कि 15 जून की सुबह होटल मीनाज में सजल अली की लाश मिली थी। पुलिस की प्रोग्रेस रिपोर्ट कोर्ट में सबमिट की जा चुकी है। फिर भी डिफेंस चाहता है कि यह केस सीबीआई को दिया जाए। क्या मुंबई पुलिस पर इतना भी भरोसा नहीं है कि किसी भी केस को बिना उनकी पूरी जांच पड़ताल किए ही सीबीआई को सौंप दिया जाए। फिर तो कोई भी आकर खड़ा हो जाएगा और बोलेगा कि हमें सीबीआई से जांच करवानी है", मिसेस खत्री ने अपना पक्ष रखा। 

"और डिफेंस इस मामले में क्या कहना चाहता है" जज साहब ने पूछा। 

"सर डिफेन्स चाहता है कि यह केस सीबीआई को सौंपा जाए... सजल के माता पिता उसकी मौत से बहुत दुखी है। जब तक सजल का कातिल खुली हवा में सांस लेगा, उनका  दर्द कभी कम नही होगा। आप पुलिस की प्रोग्रेस रिपोर्ट देख चुके हैं। जो इन 4 दिनों मे जो नही हुआ, वो आगे भी नही होने वाला। सजल के कातिलों को जल्द से जल्द सजा मिले। इसके लिए जरूरी है कि यह के सीबीआई को दे दिया जाए। डिफेंस की बस इतनी सी मांग है। हम किसी को नीचा नही दिखाना चाहते... लेकिन सजल को भी जल्द ही इंसाफ मिलना चाहिए। " देसाई पूरी कोशिश कर रहा था कि एक ही सुनवाई में यह केस सीबीआई के पास चला जाए। 

"आई ऑब्जेक्ट माय लॉर्ड .... इंस्पेक्टर शर्मा को केस में बहुत से सबूत मिले थे और कुछ सस्पेक्ट्स भी। लेकिन उन्होंने अपने पैसों के दम पर गिरफ्तार होने से पहले ही जमानत ले ली थी। यहां तक कि वह पूछताछ के लिए एक बार भी पुलिस स्टेशन में नहीं आये। अगर सस्पेक्ट कॉर्पोरेट नहीं करेगा, तो फिर पुलिस कैसे आगे बढ़ सकती है। इंस्पेक्टर शर्मा की मेहनत का क्या? वो पिछले चार दिनों से दिन-रात इस केस को सुलझाने के पीछे लगे हैं" मिसेज खत्री ने कहा। 

"जज साहब इंस्पेक्टर शर्मा इतने ही इस केस में इंवॉल्व है, तो उन्हें भी सीबीआई की जांच के लिए गठित टीम में शामिल करने की इजाजत दे दी जाए। मुझे मुंबई पुलिस पर पूरा भरोसा है। आई रिपीट योर ओनर ...मैं यहां किसी को नीचा नहीं दिखाना चाहता.. लेकिन मेरी बस इतनी ही मांग है कि सजल के कातिलों को जल्द से जल्द सजा मिले। देट्स ऑल योर ऑनर।" देसाई ने अपनी बात खत्म करते हुए कहा। 

"दोनों पक्षों की दलील सुनने के बाद अदालत एक 20 मिनट के ब्रेक के बाद इस मामले पर अपना फैसला सुनाएगी कि केस सीबीआई को सौंपा जायेगा या नही। तब तक के लिए यह सुनवाई स्थगित की जाती है" इसी के साथ जज साहब  20 मिनट के ब्रेक का फैसला सुनाकर अपने चैंबर मे चले गए। 


बाहर सभी जज साहब के फैसले के इंतज़ार मे खड़े थे
जहां इंस्पेक्टर शर्मा पहले यह चाहते थे कि यह केस पुलिस के पास ही रहे, तो दूसरी तरफ अब उन्हें इस बात की भी खुशी महसूस हो रही थी कि अगर यह केस सीबीआई के पास भी गया, तो उन्हें उस टीम में शामिल होने का मौका मिल सकेगा। लेकिन आखिरी फैसला तो जज साहब का ही होने वाला था, तो सभी उस 20 मिनट के खत्म होने का इंतजार कर रहे थे। 

★★★★★★★★

20 मिनिट बाद.. 

20 मिनट पूरे होते ही सभी कोर्ट रूम के अंदर वापस दाखिल हो गए। जज साहब ने अपना अंतिम निर्णय सुनाते हुए कहा, "सजल अली का मर्डर केस सीबीआई को ट्रांसफर किया जाता है। लेकिन इसी के साथ सीबीआई को इंस्पेक्टर मोहित शर्मा को भी इस केस में शामिल करना होगा। इस केस के जांच अधिकारी कौन होंगे... इसका गठन सीबीआई द्वारा ही किया जाएगा। इस केस से जुड़े सभी सस्पेक्ट को देश छोड़कर जाने की इजाजत नहीं है। सीबीआई चाहे तो उन्हें अरेस्ट करके उनसे पूछताछ कर सकती है, चाहे वह जमानत पर बाहर ही क्यों ना हो। सीबीआई के पास केस ट्रांसफर होने के बाद उन्हे हर 15 दिन के बाद इस केस की प्रोग्रेस रिपोर्ट कोर्ट में जमा करवानी होगी। इसी के साथ यह अदालत अगली सुनवाई तक मुलत्वी की जाती है।"

अपना फैसला सुना कर जज साहब कोर्ट रूम से बाहर चले गए। वही सजल अली का केस सीबीआई के पास ट्रांसफर होने की वजह से सजल के घर वालों सहित इंस्पेक्टर शर्मा ने भी राहत की सांस ली। मीडिया भी अपने- अपने तरीके से इस खबर को दिखाने की कोशिश कर रहा था। सब अपनी-अपनी प्रतिक्रिया जाहिर कर रहे थे.... लेकिन इन सबके बीच एक इंसान की नींदे उड़ चुकी थी और वह था सजल का असली कातिल। 

क्रमशः.... 


★★★★★★

Note : वैसे तो किसी भी केस की सुनवाई सबसे पहले निचली अदालत में की जाती है, लेकिन अगर याचिका निचली अदालत के बजाय हाईकोर्ट में लगाई जाए तो केस की सुनवाई सबसे पहले हाईकोर्ट में ही होती है।  किसी भी केस की पहली सुनवाई घटना के होने के 5 दिन के भीतर की जाती है... जिसमें पुलिस को उनकी प्रोग्रेस रिपोर्ट सबमिट करनी होती है। 


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1 Comments

Pamela

02-Feb-2022 01:02 AM

Bahut badhiya kahaani

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