बेरोज़गारी
युवा राह अब ताक रहे,
डिगिरियाँ लेकर झांक रहे,
चेहरे पर पड़ रही लकीरे,
अब उम्र ढलती जाती सारी,
है बड़ी लाचारी, बेरोजगारी।
कहीं लूट डाका कहीं पड़ता,
कहीं नयन मेघ बन झड़ता,
अपनों को अपना लूट रहा,
मानवता पर लटकी आरी,
है बड़ी लाचारी, बेरोजगारी।
पैसा सांच को नाप रहा,
रोजी बिन युवा हाँफ़ रहा,
ठिठुरन में है तन काँपता,
पेट हो रहा नेकी पर भारी,
है बड़ी लाचारी, बेरोजगारी।
Sudhanshu pabdey
01-Feb-2022 12:02 PM
Nice
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Swati chourasia
01-Feb-2022 07:20 AM
Very beautiful 👌
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Zakirhusain Abbas Chougule
01-Feb-2022 02:03 AM
Nice
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