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मुक्तक

दो मुक्तक

यातनाएं     गर      मिले     मंदाकिनी   से।
चैन मत मांंगो  प्रिय    इस   यामिनी    से।
जिस धवल की आश में है व्योम तमकत।
आप उसको    मांग     लेना    दामिनि  से।

सौम्यता  के   शीर्ष  पर      है  सादगी    मृगलोचनी।
हैं नयन  दिनकर  तुम्हारे    शब्द  अमृत    पोषिणी।
मन  से  सुंदर  तन  से  कोमल रूप मनहर हैै   तेरी।
हो सरस शीतल कमल हित हर्षिका मधु स्वामिनी।

दीपक झा रुद्रा

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1 Comments

Swati chourasia

31-Jan-2022 02:06 PM

बहुत खूब 👌

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