बसंत ???

समरभूमि में छिटका गर्म लहू ; योद्धाओं के शव से छूटता जीवन पूछ रहा ...
कब आयेगा यहाँ बसंत ? कौन लायेगा यहाँ बसंत ?

सालों बाद जेल से छूटा एक निर्दोष क़ैदी ; छोड़ आया सलाखों के पीछे कहीं अपना बसंत ...
अब कौन लायेगा साल दर साल पीछे खड़े उसके बसंत ?

वो लड़की जिसकी देह को कल ही था नोचा गया ...
उधड़ी देह – उधड़ी रूह पर कैसे तुरपेगा अब बसंत ?

फुटपाथ पे सोये आदमी के फटे कंबल के नीचे; जब ठंड रोज रात ठिठुरती होगी ...
तो पूछती होगी ख़ुदसे ही ; कौन लायेगा मुट्ठीभर गर्म बसंत ?

सूखे गुलमोहर सी स्मृतियाँ शेष हैं हृदयालय के कानन में ...
पूछ रहा है प्रेम मेरा ; क्या फिर वापिस मुड़के आयेगा बसंत?

🌻लेखिका ✍️©®शिवांगी शर्मा
🌻©®Shivangi Sharma - शब्दों के शिखर
🌻स्वरचित व सर्वाधिकार सुरक्षित

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2 Comments

🤫

01-Feb-2022 10:41 PM

Bahut hi sundar, sundar chaynit shabdo me aapne kafi gahri bat kah di.

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Thank you so much 🙏🙏🙏💐💐💐

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