फूल
🌺फूल 🌺(भाग-४)
नैना खुश थी ..! आखिर मौसी का संसार कौन सा था उसे देखना चाहती थी ..वह ।
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अब आगे --
बहुत सुहानी समुद्री हवा बह रही थी तापमान लगभग २७° c खुश्क । किनारों पर आकर जोर से हिलोरें मचाती । जैसे बचपन ..जवानी और बुढ़ापा .. फिर एकदम शांत .!
पास में जुहू बीच का नजारा विकेंड पर छुट्टी मनाने वालों की चहल-पहल । परिवारों के परिवार ..!
भेल-पुरी का आनंद लेते हुए ..सी कॉस्ट पर सेल्फी प्वाइंट ..हर रंग बिखरे हुए थे ..यादों में समेट रहे दर्शक ..!
तभी ---
गुब्बारे वाला नैना को दिखा ..!
नैना ने इशारा किया ,"---पापा मुझे बलून (गुब्बारा ) लेना है..!"
श्रेय गुब्बारे वाले के पास गया और चिल्लाया ,"--- नैना ..गुड्डू किस कलर का ?"
नैना श्रेय के पास पहुंची ऊपर उंगली का इशारा किया ,"---ब्लू एंड वाइट ...डॉरे मॉन वाला !"
"___ऑके बेटा ..!!"
गुब्बारे वाले ने एक मनपसंद गुब्बारा नैना की ओर बढ़ा दिया ।
श्रेय ने उसको रूपए दिए बाकी के लौटाने लगा श्रेय ने उसको वापस रखने को कहा ।
बोला --" भैया यह काम कबसे करते हो ..?"
गुब्बारे वाला बोला --"साहब बचपन से ही !"
श्रेय__" अच्छा ..! पढ़ें लिखे हो क्या ?"
"___बाबूजी आजकल.. पढ़ें लिखे से मतलब नहीं गुब्बारे हैं हाथ में गुब्बारे बेच रहा हूं ...और जिनके हाथों देश है वो देश ..को !"
शब्द -शब्द उसके कानों में गूंज रहे थे ..! उसने सोचा --"सच ही है अनुभव से बढ़ी पाठशाला नहीं ।"
नैना और गिट्टू जुहू बीच मस्ती कर रहे थे ।
इधर ग्रेसी और श्रेय बैठे समुद्री लहरों को पैरों के पोरों से गुजरते हुए देख रहे थे ।
ग्रेसी ने तिंद्रा भंग की ---" सुनो देखो बिट्टू के लिए भी कोई लड़का .... रिश्ते में आपके बुआ का लड़का ,वह कैसा रहेगा ?"
श्रेय बोला --" अंकुर ..!! ठीक है पर उसे भी अपने प्रॉफेशन ( नौकरी )के हिसाब से लड़की चाहिए और गिट्टू ...!"
--"जी जानती हूं पर कोई कमी नहीं उसमें ..! परिवार को समझने वाली है,वहां डिग्री का क्या काम ?"
श्रेय ने हल्के से अंदाज में कहा__" फिर दूसरी बात ये कि, बुआ नहीं चाहती परिवार में एक जगह से दो रिश्ते हों !"
अब इसके आगे ग्रेसी बात नहीं बढ़ाना चाहती थी वह अपने में सिमट गई ..!
खूब उत्पात मचाया गिट्टू और नैना में कभी भागा- दौड़ी, कभी रेत में लोटना,कभी लहरों में खड़े होकर छूने की कोशिश करना ..!
नैना आज सिंड्रेला के किरदार के फ्रेम में उसपार से देख रही थी ।
जहां उसकी पार्टी के खत्म होने के लिए कुछ वक्त बचा था । यही कोई तीन घंटे ..।
शाम पांच बजे ---
धीरे धीरे आवाजाही मध्यम होने लगी ..!
समुद्र पर सूर्य की किरणों का बिंब ....निखर रहा था चर्म में ..!
इतने में गिट्टू और नैना आ गए ।
गिट्टू ने शरारत भरे लहजे में कहा ---" हो गई रूमानी- रूहानी बातें ..यादें .. गपशप ...पूरी ..??!!"
ग्रेसी मुस्कराई ,"-----जी जी ...आपका ही इंतजार था ..हम कहां जी...बहन ?"
गिट्टू हंसते हुए बालों का जूड़ा खोलते हुए बोली---" चलें अब ..लेफ्ट .राइट कदम कदम मेरे साथ ..!"
रेत से गुजरते चार जोड़ीदार पैर बाहर की ओर निकले..! गाड़ी में बैठे ..। चल दिए एक कॉटेज की ओर ---
घने हरे- भरे पेड़ों के झुरमुट के बीच गाड़ी रूकी ..।
अंदर एक दिलकश कॉटेज ...। बाहर सुंदर नेम प्लेट उसमें लिखा ---" आसरा "..!
सुंदर वृक्षों के तले ,सैकड़ों गमले और खूबसूरत बागवानी के बीच झूला ..!
लॉन में हरी घास के ऊपर कुर्सी और टेबल और एक बड़ी छत्री बीचोबीच ..।
गाड़ी से उतरे घंटी बजाई..! एक चौकीदार आया और गेट खोल दिया ..!
गिट्टू ने रौब से कहा--" बहादुर..!! है कोई अंदर ...?"
__"जी हां कल के लिए व्यस्त कार्यक्रम है ..! कल से शुरू है ..! नई लोकेशन के साथ ! तैयारी में हैं डायरेक्टर शाब और पूरी यूनिट ..!"
उसने इशारे से कहा --"आइए शाब जी आइए .. यहां पर बैठिए ..आप शबके लिए पानी लेकर आता हूं...!"
कहते हुए लॉन की कुर्सियों पर इशारे से बैठने को कहा..।
नैना कॉटेज में रखी हुई सभी चीजों को इतनी नजरें गड़ाए देख रही थी क्योंकि उसने इससे पहले कभी नहीं देखी थीं ..! किसी चीज को हाथ लगाने की उसकी हिम्मत नहीं थी ...पर सहेलियों के आगे डींगें मारना.. उस उम्र में आम सी बात है ..!
चौकीदार पानी और अन्य ड्रिंक्स लाया ..सबको अपने पीछे आने को कहा ..!
फिर---
जहां वह ले गया वहां नैना ने कभी सोचा भी नहीं था ...!
वहां एक फिल्म का सेट तैयार किया जा रहा था ..! सभी यूनिट अपने व्यस्त कार्य में लगी हुई थी..! शूटिंग के कैमरे ,रेल्स,ट्रोलियां और एक बड़ा सा सेट ..!
श्रेय ,ग्रेसी ,नैना को गिट्टू ने वही कुर्सियां मंगवा दीं और बैठने को कहा ---
नैना और मौसी की दुनिया बीच में हल्की सी रेखा भी आज मिट गई ।
नैना समझ गई मौसी क्या करती हैं ..!!!
उसके मुंह से निकल पड़ा.."मासी आप यहां ... क्या करती हैं ? मूवी में ...एक्टर हैं ओ ..ब्यूटिफुल सो ..वन्डरफुल..!!!(सुंदर अति सुन्दर)
गिट्टू के मुंह से अनायास ही निकला ..." बेटा टैलेंट तो तेरी मौसी में कम नहीं है , लेकिन , तुमको क्या पता स्ट्रगलर , फैलियर ,सक्सेस और नेपोटिज्म ???..कुत नहीं हूं बस एक स्ट्रगलर ही हूं ! पर हां बनूंगी एक दिन जरूर !"( कलाकार किन किन बातों से जूझते हैं : असफलता -सफलता के बीच और ऐसे कलाकारों के साथ जिनके मां-बाप पहले से ही फिल्मों से जुड़े हैं )
ग्रेसी बोली.."ऐसा नहीं है तुम बहुत बड़ी अदाकारा हो क्यों श्रेय ?"
श्रेय बोला --" हां हां जी ग्रेसी तुम सही हो .. आखिर है तो मेरी साली ही ना ..! !"
सभी जोर -जोर हंस पड़े ..!
नैना को गिट्टू मौसी की बातें समझ में नहीं आई .. केवल मौसी की दुनिया -चमक के
बीच उन ख़्वाबों को हकीकत में ढालने की कोशिश कर रही थी ...। बुन रही थी कुछ- कुछ अपने लिए भी जिसमें भविष्य की अनिश्चित रेखाएं थीं ..!
उधर ध्यान टूटा ..!
मौसी बोली ---" ओ ..नैना उधर फाउंटेन ही देखती रहोगी ..या घर भी चलोगी ?"
नैना बोली "__आई मौसी चलें ..!"
सभी गाड़ी में बैठ गए..! घर को चल दिए !
नैना सोचने लगी --" कल मंडे ... संडे कितनी जल्दी जाता और देर से आता है । कल बोरिंग स्कूल..." उंगलियों में गिनने लगी ,"आठ दिन ..! उफ़ .!"
गिट्टू छोड़ कर जाने लगी.. उसका मन उदास हो चला ..!
बच्चों के मासूम ख्याल फूलों की तरह होते हैं .. ना धूप की तपिश ही अच्छी और ना तेज हवा का रुख ही .!!
जिंदगी के उतार- चढ़ाव के बीच सोमवार भी आ गया ..!
सुनंदा ☺️
क्रमशः
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03-Feb-2022 05:16 PM
Wah.... Bahut achchi kahani ja rahi h ma'am
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