लेखनी कहानी -03-Feb-2022
*अकाल*
अकाल का आधार अंधकार बनकर लील जाता है,
और बाज़ से भी तेज़ चाल चलकर ज़िन्दगी मिटा जाता है।
धीरे-धीरे जकडता जाता है विनाशकारी बनकर,
और लोगों, पशु, पक्षीयो के बीच भेद मिटा जाता है।
धुंध के तरह अपना फैलाव चारों तरफ़ बिखरा देता है,
और कितने सपनों को लूटकर भी गर्दिश में बदल जाता है।
अकाल जब भी आता है रोग, व्याधियों संग फैलकर,
और लोगों के मन में आवेश के वेग का अर्थ सफ़र कर जाता है।
कितने काँटों का आधार बनकर चुभ जाता है,
और ज़िन्दगी में अकाल का अभिशाप मृत्यु का कारण भी बन जाता है।
Miss Lipsa
03-Feb-2022 10:05 PM
Amazing mam
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Sudhanshu pabdey
03-Feb-2022 09:21 PM
Very nice
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Swati chourasia
03-Feb-2022 08:54 PM
Very beautiful 👌
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