नज़राना इश्क़ का (भाग : 30)
श्रीराम जी उसी डॉक्टर से बात कर रहे थे। जाह्नवी और विक्रम को अब निमय के कमरे से बाहर निकलना पड़ा था। उधर फरी भी जानकी जी को लेकर प्रतीक्षालय में जाकर बैठ गयी, निमय के होश में आने की खबर सुनकर सभी के मुरझाए चेहरे खिल उठे थे। श्रीराम और वह डॉक्टर अभी बातें कर रहे थे।
"आपके बेटे का इतने गहरे चोट के बाद भी होश में आना किसी चमत्कार से कम नहीं है। उसके पैरों पर भी काफी चोट लगी है, अभी चेकअप के बाद उसकी सर्जरी की जाएगी।" डॉक्टर ने श्रीराम से कहा।
"आप कैसे भी करके उसे पूरी तरह ठीक कर दीजिए डॉक्टर साहब….!" श्रीराम ने अपने हाथ जोड़ते हुए कहा।
"देखिए शर्मा जी, हम डॉक्टर लोग तो बस अपना काम करते हैं, बाकी काम तो उस बांसुरी वाले का है, उसने एक चमत्कार तो कर दिया अब आगे भी सब उसी के हवाले है।" डॉक्टर ने मुस्कुराते हुए कहा, यह सुनकर श्रीराम मौन रह गए।
"डॉक्टर तरुण! यहां आइये..!" एक नर्स ने डॉक्टर को आवाज लगाते हुए कहा।
"आप लोग चिंता न कीजिये, बस ईश्वर से प्रार्थना करें कि वह हमारे कार्य को सफल बनायें!" डॉक्टर दूसरी ओर जाता हुआ बोला। श्रीराम को यह सुनकर थोड़ी राहत मिली, वे भी जाकर सभी के साथ वेटिंग रूम में बैठ गए।
"यस सिस्टर…!" डॉक्टर ने नर्स के हाथ में थमा रिपोर्ट कार्ड लेते हुए कहा।
"सर ये बड़े कमाल की बात है, पेशेंट मानसिक रूप से इतना स्ट्रांग है कि लगभग आधी बेहोशी में भी बोल लिया।" डॉक्टर के सामने खड़ा नवयुवक बोला, वह भी शायद कोई जूनियर डॉक्टर था।
"इंटरेस्टिंग…!" डॉक्टर तरुण रिपोर्ट कार्ड पड़ते हुए बुदबुदाया। "इसकी चेतना अर्द्धसुप्त होने पर भी खुद को जगाए रखने की लगातार कोशिश कर रही है। अगर टक्कर थोड़ी तेज और होती तो ऑन द स्पॉट डेथ होने के चान्सेस थे। मैंने उन्हें केवल ब्लॉक्स के बारे में इसलिए बताया ताकि वो ज्यादा पैनिक न हो.. पर इसका आधा दिमाग गंभीर रूप से चोटिल है।"
"मगर सर.. अगर इसका ऑपरेशन अभी नहीं किया गया तो शायद इसका यह प्रतिरोध भी बंद हो जाये..!" जूनियर डॉक्टर ने अपनी चिंता व्यक्त की।
"ऐसा नहीं होगा..! थोड़ी देर पहले तक यह बिल्कुल भी रेस्पॉन्स नहीं कर रहा था, जबकि अब इसके दिमाग ने पूरी तरह सामान्य होने के लिए अपनी सारी कोशिशें झोंक दी है।" डॉक्टर तरुण उठकर खड़ा होते हुए बोले।
"यह सिद्धार्थ मल्होत्रा का करीबी है, उनका लड़का भी इसके साथ आया हुआ है।" उस जूनियर डॉक्टर ने कहा।
"हम यहां अमीर गरीब देखकर किसी की जान बचाने नहीं आते वरदान! हम यहां अपनी ड्यूटी करते हैं..। हमने आज तक यही किया है और आगे भी यही करेंगे..!" डॉक्टर तरुण उसपर बिफरते हुए बोला। "जल्दी ऑपरेशन की तैयारी करो..!" कहते हुए तरुण खुद भी सर्जरी के लिए तैयार होने लगा।
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शाम को…
"तुमने ऐसा क्यों किया राजा?" शिक्षा बेहद गुस्से में चिल्लाते हुए बोली।
"उसने तुम्हें हर्ट किया.. मैं उसे कैसे छोड़ देता..!" राजा भीगी बिल्ली बना हुआ था।
"हु द हेल आर यू? तुम्हें मतलब क्या है कोई मुझे कुछ भी करे…!" शिक्षा उसके कॉलर को पकड़कर झंझोड़ते हुए बोली।
"शिक्षा… मेरी बात सुनो..!" राजा उसे शान्त करने की कोशिश करता हुआ बोला।
"व्हाट शिक्षा..! नौकर हो, नौकर रहो मिस्टर राजा..! मेरे हँसने रोने की फिक्र तू न ही करे तो बेहतर है।" शिक्षा जोर जोर से चिल्लाकर बोली।
"उसने तुम्हें हर्ट किया, फिर किसी और के साथ जाकर घूम रहा है, और तुम्हें लगता है मैं शांत बैठूं? नहीं देख सकता मैं तुझे इस हालत में…!" राजा उसके हाथ को पकड़कर अपने कॉलर से हटाता हुआ बोला।
"मैंने कहा था अब प्यार हो गया है मुझे उससे…! इसलिए मारा है न तूने उसे? बोल…!" शिक्षा की आँखों से आँसुओ की बरसात हो गयी। उसका चेहरा गुस्से से लाल हुआ पड़ा था।
"तुम गलत समझ रही हो शिक्षा! एक बार अपनी हालात तो देखो.. क्या से क्या बन गयी हो तुम? तुम्हें कभी होश भी रहता है कि तुम क्या कर रही हो? और तुम ये चाहती हो कि मैं तुम्हारी इन हालत के जिम्मेदार को छोड़ दूं। वो तो उसकी किस्मत अच्छी थी जो बच गया वरना आज तो उसके खून से होली खेली गई होती।" राजा का चेहरा तमतमा गया, उसकी आंखें सुर्ख लाल हो गयी। वह एक एक शब्द को चबा चबाकर बोला।
"मैं चाहे मेरे साथ जो करूँ, तू कौन होता है बे मुझे नसीहत देने वाला। जब मैं मेरे बाप के पैसे पर जी रही हूँ तो तेरी इतनी क्यों जल रही है?" शिक्षा फिर से उसका कॉलर पकड़ते हुए बोली। इस वक़्त वह बेहद नशे में लग रही थी।
"मैं कोई नहीं हूँ तुम्हारा, पर तुम मेरी सबकुछ हो..! बचपन में जब कोई नहीं था तब तुम्हारा साथ पाया, तुमने मुझे सड़क से उठाकर इस महल में बिठाया, तुम्हारी जिद के कारण मुझे पढ़ाया गया, मैं आज तक जो कुछ भी किया सिर्फ तुम्हारी खुशी के लिए किया है। और मुझे इससे कोई फर्क नहीं पड़ता चाहे किसी की जान ही क्यों न लेनी पड़े…! मुझे तुम्हारी खुशी चाहिए… बस..!" राजा लगभग रो पड़ा था, वह जोर से चीखते हुए बोला।
"और तुम्हें लगता है शिक्षा इससे खुश होगी? शिक्षा मनमौजी है, जो चाह लेती है उसे हासिल करके दम लेती है, शिक्षा सबकुछ करती है मगर किसी की जान नहीं लेती, उसकी तो बिल्कुल नहीं जिससे उसे बेइंतहा मोहब्बत हो गयी है..!" शिक्षा बुरी तरह चीखते हुए बोली। उसके लहजें में व्यंग्य था।
"मैंने वही किया है जो मुझे सही लगा, और इसका मुझे कोई अफसोस नहीं है, न ही कभी होगा..!" राजा उसकी आँखों में आँखे डाले बोली।
"माफ करना गलती हो गयी मुझसे…!" शिक्षा गुस्से से चिल्लाती हुई बोली, उसकी आँखों से आँसुओ की बारिश होने लगी थी।
"कोई बात नहीं..!" राजा उसे प्यार से सहलाते हुए बोला।
"दूर हटो तुम मुझसे..!" शिक्षा ने राजा को जोरदार धक्का दिया, असावधान होने के कारण वह जमीन पर जा गिरा। "मुझसे गलती उस दिन हुई जब मैंने तुम्हें अपने साथ अपने घर में लाया और रोटी के बजाय जगह दे दिया। तुमने तो मुझे अपने बाप की जागीर समझ लिया है…!" शिक्षा गुस्से से बिफरते हुए बोली, यह सुनकर राजा शॉक्ड रह गया।
"शिक्षा…"
"म..मत लो मेरा नाम तुम…! कौन हो बे तुम? मुझे क्या करना है क्या नहीं करना है ये तू डिसाइड करेगा? निकल जाए मेरी नजरों से दूर.. फिर कभी सामने मत आना..!" शिक्षा बुरी तरह चिल्लाते हुए बोली, राजा को यह समझ नहीं आ रहा था कि वह उसे क्या जवाब दे। उसे यह तक पता न था कि शिक्षा को यह खबर किसने दी, मगर आज शिक्षा के बर्ताव से वह बेहद दुखी हुआ था।
"ये सब तेरे कारण हुआ है निमय शर्मा! मेरी शिक्षा तेरे कारण ऐसा बनी है। इस बार तो तेरी किस्मत अच्छी थी लेकिन अगली बार तुझे ऐसी मौत मिलेगी की तू सपने भी सोच नहीं सकेगा। अच्छा होता जो तू आज ही मर जाता… ये जहर मेरे सीने से तभी उतरेगा जब तेरे सीने में दिल धड़कना छोड़ देगा…!" शिक्षा के विपरीत दिशा में जाते हुए राजा अचानक पागलों की तरह वहसी हँसी हँसते हुए बोला। "तुमने मुझसे मेरी खुशी छीनी है निमय… मैं तुझसे तेरी ज़िंदगी छीन लूंगा…!" जोर जोर से अट्ठहास करता हुआ राजा अंधियारे में ओझल हो गया। जबकि शिक्षा वहीं बैठकर सिगरेट सुलगाकर कश लगा रही थी।
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शाम हो चुकी थी, सभी हॉस्पिटल में बेसब्री से बैठे हुए थे। इस बीच जानकी और जाह्नवी ने विक्रम और फरी को कई बार घर जाने के लिए कहा था मगर उन दोनों ने साफ कह दिया था कि जब तक क्लियर रिपोर्ट नहीं आ जाती, वे अपने दोस्त को सही सलामत नहीं देख लेते तब तक वहां से हिलेंगे नहीं। उनकी जिद के आगे सभी को हार माननी पड़ी। अब तक शाम बीतने को आई थी। तभी एक नर्स उनकी तरफ तेजी से बढ़ते हुए आयी।
"मिस्टर श्रीराम शर्मा…!" उसने आवाज दिया।
"जी…!" श्रीराम ने उत्तर दिया।
"यह जाकर आपको पेमेंट करना होगा!" उसने श्रीराम को एक पर्चा थमाते हुए कहा।
"जी..!" श्रीराम ने पर्चा पकड़ते हुए कहा।
"एक मिनट सिस्टर! मेरा भाई कैसा है?" जाह्नवी ने उसे रोकते हुए पूछा।
"व...वो ठीक है, उनकी सर्जरी लगभग पूरी हो चुकी होगी।" नर्स ने उत्तर दिया।
"तो जब तक उसके होश में आने की खबर नहीं मिलती, हम बाकी का कैश जमा नहीं करेंगे। फिफ्टी परसेंट आलरेडी ऑपरेशन से पहले ही जमा किया जा चुका है।" विक्रम ने पर्चा श्रीराम के हाथों से लेते हुए नर्स से कहा। "अंकल आप यही रुकिए मैं आता हूँ!"
"बेटा तुमने पहले ही बहुत मदद की है, ये हम पेमेंट कर लेंगे!" श्रीराम ने विक्रम को बिठाते हुए कहा।
"कोई बात नहीं अंकल..! वो आपका बेटा है तो मेरा भी तो दोस्त है न! और रही पैसे के बात तो आप इसे उधार मान के चलिए न, क्योंकि फ्री में तो ये चव्वन्नी भी न लेने वाली।" विक्रम, जाह्नवी की तरफ देखकर मुँह बनाता है बोला, यह सुन कर जाह्नवी उसे काट खाने वाली नजरों से घूरती रही।
"ठीक है बेटा…!" जानकी ने धीमे स्वर में कहा।
"आपके बेटे का ऑपरेशन सक्सेसफुल रहा सर, वह थोड़ी ही देर में होश में आ जायेगा।" एक दूसरी नर्स उनके पास आकर खुशी से बोली।
"धन्यवाद बाँसुरी वाले!" श्रीराम ने मन ही मन ईश्वर को धन्यवाद किया।
"मैम क्या मैं अपने भाई को देख सकती हूँ!" जाह्नवी आने भाई को देखने के लिए बेचैन हो रही थी।
"सॉरी मैम! वे अभी आई सी यू में हैं और अभी उन्हें होश में नहीं आया है, ऐसे में हम किसी को उनके पास जाने नहीं दे सकते।" नर्स ने कहा। यह सुनते ही जाह्नवी का चेहरा उतर गया।
"उन्हें आने दो, पेशेंट को होश आया गया है!" डॉक्टर तरुण बाहर आते हुए बोले।
"थैंक यू! थैंक यू सो मच डॉक्टर…!" कहते हुए जाह्नवी
निमय के वार्ड की तरफ भागी।
"यकीन नहीं होता, लड़के के अंदर कमाल की प्रतिरोधक क्षमता है। एक दो दिन के भीतर आप उसे घर ले जा सकेंगे!" तरुण ने मुस्कुराकर कहा। यह सुनते ही सभी के चेहरे खिल उठे, फरी और विक्रम उठकर कैश काउंटर की तरफ भागे। थोड़ी ही देर में वे दोनों खाने का कुछ सामान लेकर वापिस लौटे।
क्रमशः….
🤫
02-Mar-2022 09:08 PM
बेहद इंटरेस्टिंग मोड़ पर है कहानी। पढ़ कर अच्छा लगा।
Reply
Pamela
15-Feb-2022 09:30 AM
बहुत बढ़िया कहानी है आपकी।
Reply
मनोज कुमार "MJ"
20-Feb-2022 03:34 PM
Dhanyawad
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