Sarfaraz

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क़व्वाली

🌹🌹🌹क़व्वाली 🌹🌹🌹

उन'की    जलवागरी   'हो   गई  है।
शाम   फिर   सुरमई   हो   गई   है।
इक  झलक  उनकी  पाते'ही देखो। 
तीरगी  ,   रौशनी    हो     गई    है।

रंग   फूलों   का  'निखरा  हुआ  है।
नूर'  सा  'हर  सू  बिखरा  हुआ  है।
उन  के  मेंहदी  लगे  पाँव  छू  कर।
घास   भी   मख़मली   हो  गई  'है।

उनकी    जलवागरी   ................
शाम   फिर   सुरमई   ................

कितना मायूस था दिल'का मन्ज़र।
तीरगी   बन   चुकी    थी   मुक़द्दर।
उनके 'आते  ही  दिल  के  नगर में।
रौशनी    -   रौशनी   हो    गई   है।

उनकी     जलवागरी    ..............
शाम    फिर   सुरमई    ..............

क्या' ख़ुशी क्या है ग़म छोड़िए भी।
वाइ़ज़ -'ए - मोहतरम  'छोड़िए भी।
जाम  छलके  हैं  आँखों 'से उनकी।
मयकशी   'लाज़मी    हो   'गई   है।

उनकी   जलवागरी    ................
शाम  फिर   सुरमई    ................

उन   से  पहले  के  मन्ज़र 'न पूछो।
बाग़   लगते   थे   बन्जर   न  पूछो।
जब   से   देखीं  'हैं  उनकी  अदाएँ।
हर    कली    मनचली   हो  गई  है।

उनकी   जलवागरी    ................
शाम   फिर   सुरमई   ................ 

मुस्कुराए     कभी    रो   दिए   हम।
हो  न  पाए  मगर  ग़म  कभी  कम।
उनके जलवों के सदक़े फ़राज़ अब।
हर    ख़ुशी    सर्मदी    हो   'गई  है।

उन  'की  जलवागरी   'हो   गई   है।
शाम    फिर   'सुर्मई   हो    गई   है।
इक  झलक  उनकी  पाते 'ही देखो।
तीरगी    ,   रौशनी    'हो    गई   है।

सरफ़राज़ हुसैन फ़राज़ मुरादाबाद।

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2 Comments

Seema Priyadarshini sahay

10-Feb-2022 05:00 PM

बहुत खूबसूरत

Reply

Sarfaraz

08-Feb-2022 10:24 PM

शुक्रिया

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