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नज़राना इश्क़ का (भाग : 33)



नर्स निमय की ओर बढ़ी, तब तक निमय ने अपना फोन साइड में सरका दिया था। वह नर्स की ओर थकी हुई निगाहों से देख रहा तज, मानो उसे उसके यहां से जाने का बेसब्री से इंतज़ार हो। नर्स ग्लुकोज़ की बॉटल चेक करने लगी, तभी उसे ऐसा लगा कि ग्लूकोज़ का लेवल काफी टाइम से उतना ही है, उसका ध्यान निमय की ओर गया, उसका वह हाथ जिसमें ड्रिप लगी हुई थी वह चादर से ढका हुआ था। चादर हटाते ही हैरानी से उसकी आँखें फट गई। निमय का हाथ बुरी तरह से सूज चुका था,नर्स को यह देखकर आश्चर्य हुआ कि इतने सूजन के बाद भी किसी ने उन्हें ड्रिप चेंज करने को नहीं कहा। वह निमय को घूरने लगी कि कैसे ये लड़का इतना दर्द सह गया, उसे ऐसे घूरते देख निमय सकपका गया। नर्स तुरंत ही चेंज करने लगी।

"ये क्या कर रही हो आप..?" निमय सकपकाते हुए पूछा। वह नर्स के जल्दी जाने की दुआ कर रहा था, उससे अब एक पल भी सब्र नहीं हो पा रहा था, वह फरी का रिप्लाई करना चाहता था, अब तक दो तीन और मैसेजस आ चुके थे।

"तुम्हारा हाथ इतने बुरी तरह सूज गया है तुम्हें कुछ पता भी है? कैसे कैसे लोग होते दुनिया में..!" उसके हाथों से ड्रिप निकालते हुए बोली। "ज्यादा देर तक ड्रिप लगे रहने के कारण कभी कभी ब्लॉक्स आ जाते हैं, जिस कारण से ड्रिप चेंज करना जरूरी हो जाता है। तुम्हारा ये पूरा हाथ तो सूज चुका है, अब दूसरे हाथ में ही लगाना होगा।" नर्स ने कहा।

निमय कुछ कहना चाहता था पर कह न सका, उसने मरे मन से अपना हाथ पसार दिया, इस वक़्त उसे ऐसा लग रहा था मानो उससे उसका कुछ छीना जा रहा हो, पहले वह बस नर्स के जल्दी जाने की जल्दी थी पर अब वह खुद को लाचार महसूस कर रहा था। नर्स थोड़ी ही देर में दूसरे हाथ मे ड्रिप लगाकर, उसे ध्यान रखने की बात कहकर चली गयी।

'धत्त तेरी की…! अब तो साला किस्मत भी मेरी बैंड बजाने पर तुली हुई हैं..!' निमय का बुरी तरह मुँह बन गया था। एक हाथ सूजन के कारण उठा पाना तक मुश्किल हो रहा था, वहीं दूसरे में ड्रिप लगने के कारण उठा नहीं सकता था। वह बेबस निगाहों से अपने फोन की ओर ताक रहा था। तभी एक और मैसेज का नोटिफिकेशन आया, निमय का उतावलापन और बढ़ गया, उसने किसी तरह करवट बदलने की कोशिश करते हुए अपने सूजे हुए हाथ से फ़ोन पकड़कर दूसरी ओर किया और बड़ी मुश्किल से अपना लॉक स्क्रीन अनलॉक किया। फरी के अब तक चार पाँच मैसेज आ चुके थे।

"हेलो निमय जी! कैसे हो आप? अब तबियत कैसी है आपकी? पैन कैसा है अभी..!"

"कहाँ हो आप? अभी जागे नहीं क्या?"

"इतनी देर से जवाब नहीं दे रहे, क्या हुआ?"

"फ़ोन आपके पास नहीं है क्या?"

"मैं भी पागल हूँ, पता नहीं क्या क्या बोले जा रही!"

"आराम करिये आप अच्छे से, अपना ख्याल रखिये।"

"जल्दी हो जाइए!"

निमय, फरी के मैसेजस को पढ़ ही रहा था तभी एक और मैसेज आया।

"ख्याल रखियेगा अपना..!"

निमय को ऐसा एहसास हुआ जैसे उससे उसकी दुनिया लूटी जा रही हो, उसे नर्स और अपने आप पर बेहद गुस्सा आया, उसको साफ पता चला रहा था कि जवाब न मिलने से फरी का दिल दुखा जरूर था।

"हे …!" निमय ने कैसे भी करके इतना मैसेज टाइप किया। और आगे कुछ लिखने के लिए टाइप करने लगा, उसे इस हालत में टाइप करने में बहुत परेशानी हो रही थी।

"कैसे हो आप? कहाँ थे?" थोड़ी ही देर बाद फरी का जवाब आया।

"वो सॉरी न! नर्स आ गयी थी इसलिए रिप्लाई नहीं दे पाया।" निमय ने अपना मैसेज टाइप करके भेजा।

"कोई बात नहीं, आप बस अपना ख्याल रखो और ठीक हो जाओ जल्दी..!"

"क्या यार, कितना ख्याल रखूं! हाँ हो जाऊंगा जल्दी ठीक..!" निमय ने किसी तरह टाइप कर जवाब दिया। उसे टाइपिंग में बहुत तकलीफ हो रही थी मगर वह बस उससे बात करना चाहता था।

"हाँ, अब आराम करो, रेस्ट करना जरूरी है। ज्यादा बात न करो अभी आप!" अगले ही मिनट फरी का मैसेज आया। "टाइम से दवाई ले लेना, और रेस्ट करना बस!"

"जी!" निमय ने जवाब देकर, काफी देर तक अपने मोबाइल की स्क्रीन को घूरता रहा, काफी देर तक जब मैसेज नहीं आया तो उसने खुद से उसे मैसेज किया, मगर फिर जब काफी देर तक जवाब न आया तो उसने मोबाइल को साइड रख दिया।

उसके फोन रखने के थोड़ी ही देर जाह्नवी आ गयी, उसने उसके खाने के लिए कुछ फल और नाश्ता लाई हुई थी। निमय अभी थोड़ा उदास नजर आ रहा था, मगर जाह्नवी को देखकर वह हौले से मुस्कुराया।

"क्या हुआ?" जाह्नवी ने उसे इस तरह देख के पूछा।

"कुछ नहीं!" निमय ने जबड़े भींचते हुए कहा।

"देख अब तू सड़क पर चलती कार के सामने सुपरमैन बनकर खड़ा होगा तो इतना दर्द तो झेलना पड़ेगा न मेरे भाई?" जाह्नवी उसके पास बैठते हुए आँखे तरेरकर बोली। "वैसे एक बात बता उस कार की तो हालत खराब हो गयी होगी न? मतलब वो भी किसी हॉस्पिटल में एडमिट होगी? है कि नहीं?" जाह्नवी ने मुस्कुराते हुए पलके झपकाकर कहा।

"गधी…! कार हॉस्पिटल नहीं गेराज में जाती है।" निमय ने मुँह बनाकर कहा।

"मगर तुझ जैसे गधे से टकराकर तो कोई भी हॉस्पिटल ही जायेगा न! चाहे वो भले कार ही क्यों न हों!" जाह्नवी ने कंधे उचकाकर अपनी पलकों को झपकाते हुए कहा।

"हुँह…!" निमय ने मुँह बनाया, चोट से ज्यादा तो उसे फरी से बात न कर पाने का दुख था। आज उसके कान जैसे मैसेज के नोटिफिकेशन को तरस गए थे।

"अबे ये क्या हुआ गधे? हाथ इतना सूज गया और तूने इसे ढककर रखा है? बता देता तो क्या चला जाता?" जाह्नवी ने जब दूसरे हाथ में ड्रिप लगी देखा तो उसने चादर हटा दिया, निमय के सूजे हुए लाल पड़े हाथ को देखकर उसे बहुत गुस्सा आने लगा।

"अरे ठीक हो जाएगा वो, नर्स ने कहा कि हो जाता है ऐसा..!" निमय ने सफेद झूठ बोलने की कोशिश की।

"कौन थी वो नर्स? मार मार के मुँह न सूजा दूं मैं उसका? ऐसे कैसे हो जाता है ऐसा?" जाह्नवी गुस्से से चिल्लाई।

"अरे कोई नहीं! ये ठीक हो जाएगा पागल! रात में इसपर ध्यान नहीं दिया न तो शायद कुछ ब्लॉक हो गया, ऐसा बोला नर्स ने..!" निमय उसको शांत करने की कोशिश करते हुए बड़े प्यार से समझाया।

"ऐसे कैसे हो जाता है? मेरे भाई को हो रहा है, तुम क्या जानो..!" जाह्नवी ने गुस्से से निमय पर बरसते हुए कहा। "मैं भी कितनी गधी हूँ, पता है बस दिखने में ऊँट हुआ है, है तो अभी दो महीने का बच्चा ही, मैं ये देखना कैसे भूल गयी..! मैं तो सच में गधी हूँ!" बोलते बोलते जाह्नवी का चेहरा उतर सा गया, उसकी आँखों से आंसू उतरकर गालो पर लुढ़कने लगे।

"ओये पागल! सुन न? मान ली मैंने मेरी गलती, पर अब से ध्यान रखूंगा! पक्का…!" निमय उसे भावुक होते देख खुद भी बेहद भावुक हो गया।

"सारी मेरी गलती है भाई! जब मुझे कुछ होता है तू मेरा पूरा ध्यान रखता है, पर मैं ही नहीं रख पाई तेरा..!" जाह्नवी ने रोंदू स्वर में कहा, उसकी आँखों से आंसू छलकते ही जा रहे थे।

"ओये! बस हो गया न? तू यहां पर रोने आयी है कि मुझे खाना खिलाने? अब जल्दी से खिलाओ मुझे, दवाई भी तो खानी है ना?" निमय भावुक होने के बाद भी जबरदस्ती हंसते हुए बोला, यह सुनकर जाह्नवी भी बरबस ही मुस्कुरा उठी। वह निमय को अपने हाथों से खिलाने लगी, खाना खिलाने के बाद दवाई खिलाया और फिर उसके पास ही में बैठ गयी।

"ये मेरी खुशनसीबी है कि मेरे पास तू है जानू! तू दुनिया की बेस्ट बहन है। मैं पागल हूँ, गुस्सैल भी हूँ, सनकी और बेपरवाह भी, पर जब तू साथ होती है सब नार्मल होता है। मैं दुनिया का सबसे लकी पर्सन हूँ कि मेरे पास तुझ जैसी बहन है। देखना मैं जल्दी से ठीक हो जाऊंगा, फिर हम दोनों खूब मस्ती करेंगे।" निमय ने जाह्नवी के हाथ पर हाथ रखते हुए मुस्कुराकर बोला। जाह्नवी ने निमय के हाथ के ऊपर हाथ रखा और मुस्कुराने लगी।

"दोनो नहीं चारो, अब दो के घर में सेंध लग गयी है, वहां चार रहते हैं अब! वो भी जाह्नवी मैडम जी की परमिशन से…!" विक्रम उनके पास आते हुए बोला।

"अब तुम ये मैडम और जी कब से बोलने लगे? लगता है बहन का असर हो रहा है भाई पर..!" जाह्नवी ने मुँह बनाकर जबड़े भींचते हुए कहा।

"हाँ तो..! आपकी अनुमति के बिना उस 'दोनो के घर' में कोई आ नहीं सकता था न, इसलिए विद योर फुल परमिशन, हमने घर में सेंध लगा ली है।" विक्रम हंसते हुए बोला।

"ओ तो मतलब जनाब को कुछ करने के लिए हमारी परमिशन चाहिए… वाह!" जाह्नवी ने ताना मारते हुए कहा।

"और नहीं तो क्या?" विक्रम मुस्कुराते हुए बोला। "अब कैसा है निम्मी?" उसने निमय से पूछा।

"ठीक हूँ..!" निमय ने धीरे से जवाब दिया। उसकी निगाह विक्रम के पीछे खड़ी फरी पर टिकी हुई थी जो चुपचाप बस उसे देख रही थी, निमय ने एक नजर उसकी ओर देखा फिर दोनों की नजरें झुक गयीं।

क्रमशः…!!


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3 Comments

अफसाना

20-Feb-2022 04:37 PM

निम्मी तो बढ़िया है मजे में

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Pamela

15-Feb-2022 01:25 PM

बहुत अच्छा स्टोरी

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Thank You

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