*8368323740* *बाली पहलवान*
विधाः पद्य
शीर्षकः रवि तुम रब हमारे
(रवि- सूर्य)
रवि तुम ही तो रब हो हमारे ,
होता दिवस जब तुम पधारे ।
खो जाता है दिवस उजियारा ,
जब तू अस्तांचल को सिधारे ।।
कर आभास बाँग देता मुर्गा ,
होते ही भोर यह हमें जगाता ।
पक्षी भी कलरव करते हैं सारे ,
शशि ज्योति धूमिल हो जाता ।।
छिप जाते ये टिमटिमाते तारे ,
मिल जाते जब तेरे नेक इशारे ।
सुनहली किरणें ही तेरी पाकर ,
जाग उठते सब प्राणी हैं सारे ।।
तुम्हीं धरा का भाग्य चमकाते ,
वसुंधरा का तुम शोभा बढ़ाते ।
बिखेरते जब स्वर्णिम किरणें ,
शीतों को मोती सा चमकाते ।।
तुम्हीं से हमारा भाग्य चमकता ,
पेड़ पौधे झुम खुशी में हैं गाते ।
फसलें हमारी मंद मंद मुस्कातीं ,
मारे खुशी के हर जीव अघाते ।।
तुम्हीं को पाकर कहीं अन्न होता ,
फल फूल देते पेड़ पौधे हमारे ।
लाते घर फल फूल सब्जी अन्न ,
चमक उठते तब भाग्य सितारे ।।
तुम्हीं से भाग्य चमकता हमारा ,
तुम बिन तो भाग्य भी है सोता ।
तेरा महत्व समझा नहीं जिसने ,
वही मानव सुंदर जीवन खोता ।।
तुमसे ही यह सुरभित है जीवन ,
तुमसे ही यह सुरभित जहाँ है ।
तुम्हारा अस्त है संदेश यही देता ,
तुम बिन धरा पे जीवन कहाँ है ।।
हे दिनकर भास्कर दिवसपति ,
तुम्हीं से सुबह दोपहर शाम है ।
नित्य नई किरणें बिखेरने वाले ,
हृदयतल से कोटिशः प्रणाम है ।।
पूर्णतः मौलिक एवं
अप्रकाशित रचना ।
Swati chourasia
09-Feb-2022 04:56 PM
Very beautiful 👌👌
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Gunjan Kamal
09-Feb-2022 04:49 PM
Very nice 👌
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Simran Bhagat
09-Feb-2022 04:38 PM
Wow Amazing
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