ग़ज़ल
🌹🌹🌹🌹ह़िजाब🌹🌹🌹🌹
मिलती है हमको यह ही हिदायत ह़िजाब से।
होती ही बेटियों की ह़िफ़ाज़त ह़िजाब से।
टलती है इनके सर की मुसीबत ह़िजाब से।
यूँ भी है बेटियों को मुह़ब्बत ह़िजाब से।
गर्द ओ ग़ुबार से ये बचाता है जिस्म को।
मेह़फ़ूज़ ह़ुस्न की है इ़मारत ह़िजाब से।
बदकारियों की बात हो या छेड़ छाड़ की।
मिटती है हर समाजी क़बाह़त ह़िजाब से।
कोरोना की हिदायतें पढ़ने से पेशतर।
नादान यूँ न कर तू बग़ावत ह़िजाब से।
अम्न ओ अमाँ के जो भी हैं दुश्मन जहान में।
होती है बस उन्हीं को शिकायत ह़िजाब से।
वाक़िफ़ नहीं हैं इसके फ़वाइद से जो फ़राज़।
रखते हैं वो ही लोग अ़दावत ह़िजाब से।
सरफ़राज़ हुसैन फ़राज़ मुरादाबाद उ0पप्र0।
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Seema Priyadarshini sahay
10-Feb-2022 04:56 PM
बहुत खूबसूरत
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Sarfaraz
09-Feb-2022 05:38 PM
हैलो
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