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नशा की ओर बढ़ते नन्हे कदम ( नशा एक अभिषाप)

 नशा एक ऐसी बीमारी है इसके चंगुल में जो भी फस गया यह उसे जड़ से समाप्त कर देती है।


हमारे देश में इसके चंगुल में सबसे अधिक युवा वरकग फस चुका है  नशे का ब्यापार इतना बढ़गया है कि इससे मुक्ति मिलना कठिन ही नहीं असम्भव होती जिरही है।

कुछ नशा सरकार की देख रेख में बेचा जाता है कुछ नशा चोरी छिपे बेचा जारहा है।

हमें अपने बच्चौ का ध्यान रखना चाहिए कि वह किसके पास बैठता है कहाँ जाता है। कही वह किसी गलत लोगौ के साथ तो नहीं बैठ रहा है।
 इस कहानी में यही सब दिखाने की कोशिश की है कि किह तरह एक अबोध बालक इस नशे में फसकर आत्महत्या करने को मजबूर हो जाता है।

                " पापा मुझे बचालो । आप मेरे लिए मेरी खुराक लेआओ मै अब इसके बिना जिन्दा नही रह सकता हूँ। मै मर जाऊँगा अब मेरी यही दवा है।यदि आप मेरी दवा नही लासकते तो मुझे मेरे हाल पर अकेला  छोड़दो। "  रोते हुए नवीन बोला।
                  आज अपने बेटे की हालत देखकर सुबोध   को बहुत पछताबा हो रहा था क्यौकि सुबोध ने नवीन को सम्भाला ही नही़। नवीन कहाँ जाता है किसके साथ उठता बैठता है। क्या कर रहा है ,?

        सुबोध एक सराकारी बैंक में कैशियर के पद पर था। उसकी शादी रमा से हुई थी लेकिन जब नवीन बारह बर्ष का था रमा का एक लम्बी बीमारी के बाद स्वर्गवास होगया था।

      सुबोध को नवीन के पालन पोषण में बहुत परेशानी हो रही थी। अतः उसने एक विधवा के साथ शादी करली। सुबोध की दूसरी पत्नी का नाम सरिता था।

         सरिता के पहले पति का एक ऐक्सीडैन्ट में स्वर्गवास हो गया था।

   सरिता ने आते ही नवीन के ऊपर सौतेलापन दिखाना शुरू कर दिया।  नवीन को एक सरकारी स्कूव में डलवा दिया जब सुबोध ने    सरिता को सरकारी स्कूल की कमिया बताने की कोशिश की तो सरिता ने  बहस करके उसे चुप कर दिया।

     अब घर में सरिता का ही हुक्म चलता था। सुबोध को कोई अधिकार नही था। वह केवल  पैसा कमाने की मशीन था आज की भाषा में ऐ टी ऐम मशीन था उसको एक तारीख से पाँच तारीख तक दाना पानी डाला जाता था।

     नवीन को घर में प्यार  मिलना तो बहुत दूर की बात थी उसे खाना व कपडे़ भी बहुत कठिनाई से मिलते थे। 

    नवीन को मिली नफरत ने गलत संगति में जाने को मजबूर कर दिया और वह नशा करने लगा। वह नशे के आगोश में बुरी तरह फस गया। अब उसका यह परिणाम हुआ कि जबतक उसे सफेद पाउडर नही मिलजाता तब तक वह मरणासन्न अवस्था मे रहता था।

      जब इसकी खबर सुबोध को हुई तब तक तीर कमान से निकल चुका था।

     नवीन नशा के  लिए अपने घर में चोरी  भी करने लगा। यहाँतक कि  उसने एक दिन सरिता के  गहनौ पर भी हाथ साफ कर दिया था।

       जब सरिता को अपने गहने चोरी की घटना की खबर हुई तब उसने सुबोध को बताये बिना ही नवीन के खिलाफ रिपोर्ट लिखवा दी जिससे पुलिस नवीन को पकड कर पुलिस स्टेशन लेगयी।

    जब सुबोध को यह खबर मिली तब वह उसकी जमानत करवाकर लाया। 

     अब बहुत देर होचुकी थी आज नवीन अपने बाप से नशे की भीख मांग रहा था। सुबोध को तो यह भी नहीं मालूम था कि यह सब कहाँ मिलता है।

         जब तक सफेद पाउडर नहीं मिलजाता तब तक नवीन की 
जिन्दगी खतरे में थी। एक बार तो एक बाप ने कहीं न कही से नवीन की खातिर नशे का इन्तजाम कर दिया। आज एक बाप मजबूर होकर अपने बेटे को बचाने हेतु स्वयं नशा लाकर देरहा है।

         परन्तु एक दिन नवीन नशा न मिलने के अभाव में तड़प तड़प कर यह दुनिया छोड़ गया।

         आज के समय मे ऐसे हजारौ नही लाखौ की तादात में नवीन इस नशे के चंगुल में फसकर जान देने को मजबूर है।  हम सभी को मिलकर नशे के खिलाफ आवाज उठानी चाहिए।हम सभी को अपने बच्चौ का ध्यान भी रखना चाहिए कि वह कहाँ जारहे है घर कब आते है कहाँ जाते है।

            











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4 Comments

Seema Priyadarshini sahay

11-Feb-2022 08:45 PM

बहुत खूबसूरत

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Naresh Sharma "Pachauri"

10-Feb-2022 07:56 PM

धन्यवाद जी

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वैभव

10-Feb-2022 06:58 PM

Very nicely written

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Naresh Sharma "Pachauri"

10-Feb-2022 08:01 PM

धन्यवादजी

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