लेखनी वार्षिक प्रतियोगिता
दिनांक- 1/3/22
विषय- विश्वास
शीर्षक- विश्वास घात जीवन
"विश्वास घात जीवन"
छल प्रपंच करते जो, विश्वास घाती होते हैं,
उनमें इन्सानियत कहाँ, घात लगाए होते हैं,
अपनापन वो जताते, करें अपना उल्लू सीधा,
बोलें हमेशा मीठे बोल, साथ कभी न होते हैं,
अपना स्वार्थ सिद्ध करना, दगाबाजी रग रग में,
मतलब करते सिद्ध अपना, राह तकते होते हैं,
गर भूल से भी निभाई, दोस्ती या नाते रिश्तेदारी,
कब छल कपट कर जाएं, काबिल नहीं होते हैं,
जालसाजी, फर्जीवाड़ा, करना है इनका काम,
शर्म लिहाज नहीं इनमें, चालाक बहुत होते हैं,
महल अटारी इनकी, शान और शौकत देखो,
नहीं होता बालबांका, वरदहस्त इन पर होते हैं,
मन मेला तन उजला, नियत है इनकी खोटी,
पछताना कभी सीखा न, बुरे कर्म इनके होते हैं।
काव्य रचना-रजनी कटारे
जबलपुर म.प्र.
Seema Priyadarshini sahay
02-Mar-2022 04:25 PM
बहुत खूबसूरत
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Sudhanshu pabdey
02-Mar-2022 07:29 AM
Very nice
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Swati chourasia
02-Mar-2022 07:04 AM
Very beautiful 👌
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