Sonia Jadhav

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वार्षिक प्रतियोगिता- हॉरर हनीमून(डरना मना है)

अमन और नेहा की नयी-नयी शादी हुई थी। दोनों बहुत खुश थे। आखिर खुश क्यों ना होते….बहुत संघर्ष करना पड़ा था उन्हें अपने विवाह के लिए। नेहा पंजाबी थी और अमन बिहार से था। एक ही ऑफिस में दोनों सॉफ्टवेयर इंजीनियर की हैसियत से काम करते थे। दोनों में पहले गहरी दोस्ती हुई, फिर प्यार। तकरीबन 2 साल डेट करने के बाद दोनों ने फैसला लिया कि अब उन्हें शादी कर लेनी चाहिए।

लेकिन अमन के परिवार ने साफ़ मना कर दिया कि वो किसी दूसरी जाति की लड़की को अपनी बहू नहीं बनाएंगे। यही हाल नेहा के परिवार का भी था। अब उनके पास एक ही रास्ता था, वो था कोर्ट मैरिज का। दोनों बालिग थे, अच्छा कमाते थे, अमन का अपना फ्लैट था दिल्ली में…..बस फिर किसी की परवाह ना करते हुए उन्होंने अपने मित्रों की उपस्थिति में कोर्ट में शादी कर ली और अपने वैवाहिक जीवन की शुरुवात कर दी।

नेहा तुमने अपना सारा सामान पैक कर लिया ना?
हाँ अमन, वैसे साथ में तुम्हारा भी पैक कर दिया है, हल्की गर्म जैकेट्स और अपने लिए एक शॉल भी रख दी है।
ओह हो जैकेट्स क्यों रखी तुमने?
अमन पहाड़ों के मौसम का कोई भरोसा नहीं है, वहाँ का मौसम कभी भी बदल जाता है। अगर ठण्ड हो गयी तो, फिर क्या करेंगे हम? मैं ठंड से बीमार पड़कर अपना हनीमून ख़राब नहीं करना चाहती।

जान मेरा यही मतलब था मेरे होते जैकेट्स की क्या जरूरत?
ओह हो अमन अब फालतू की बातें बंद करो। सुबह 4 बजे निकलने का प्लान बनाया था हमने, तुम्हें याद तो है ना?
अरे हाँ नेहा, अच्छा किया याद दिलाया। मेरे तो दिमाग से निकल ही गया था। चलो सोते हैं….गुडनाइट

सुबह होते ही अमन और नेहा दिल्ली से मसूरी के लिए निकल गए थे अपने हनीमून के लिए। शाम हो गयी थी उन्हें मसूरी पहुँचते-पहुँचते। मसूरी में वो धनौल्टी में रुके थे आशियाना रिसोर्ट में।

रिसोर्ट बहुत ही खूबसूरत था, एकदम जंगल के बीचों बीच उनका कॉटेज था। रात को तो नेहा और अमन ज्यादा देख नहीं पाए रिसोर्ट लेकिन जब नेहा और अमन सुबह सोकर उठे तो उनकी आँखे खुली कि खुली रह गयी रिसोर्ट देखकर, वाह क्या नजारा था। खुशी के मारे नेहा ने अमन को गले से लगा लिया।

कॉटेज के ठीक सामने से खूबसूरत पहाड़ दिखते थे और उनके ऊपर बाँहें फैलाता नीला आसमान। वृक्ष अपनी मस्ती में झूमते हुए, मंद-मंद बहती बयार, पहाड़ी फूलों की सुगंध नेहा को अपनी कॉटेज के बाहर बने लॉन में महसूस हो रही थी।
नेहा और अमन बाहर लॉन में बैठे इस अनुपम सौंदर्य का आनंद ले रहे थे।

नेहा दिन में कितना सुंदर लगता है ना यह कॉटेज, एकदम दुनिया की भीड़ से कटा-छटा, ठीक जंगल के बीचों बीच। ऐसा लगता है बस जैसे इस दुनिया में मेरे और तुम्हारे सिवा कोई नहीं… हम और हमारी तन्हाई।

हाँ अमन सुंदर तो बहुत है और शांति भी है यहाँ लेकिन थोड़ा जंगल के बीचों बीच है यह कॉटेज, रात को हल्का डर सा महसूस हुआ था मुझे। एक अजीब तरह का सन्नाटा था बस जानवरों की आवाज़ आ रही थी।
पता नहीं नेहा, मैंने तो कुछ महसूस नहीं किया, मुझे कब नींद आयी पता ही नहीं चला।

चलो थोड़ी देर में पास ही एक ट्रेक है , चलो वहाँ चलते हैं। थोड़ी सी ट्रैकिंग करके आते हैं…..मज़ा आएगा।
तुम्हें कैसे पता अमन?
रिसोर्ट के मैनेजर है ना मिस्टर जोशी उन्होंने ही यह आईडिया दिया है। पास का पास है, जल्दी घूमकर आ जायेंगे। बोलो क्या कहती हो?
अच्छा आईडिया है, चलो चलते हैं।

अमन ने बैग में थोड़े से फ्रूट्स, चॉकलेट और बिस्कुट रखे, साथ में एक पानी की बोतल। अमन नीली जीन्स और सफ़ेद शर्ट में बहुत हैंडसम दिख रहा था। वहीँ नेहा ने भी नीली जीन्स के साथ हल्की गुलाबी रंग की टीशर्ट पहनी थी और हाथों में लाल रंग का चूड़ा। अमन को जीन्स के साथ चूड़ा अच्छा लगता था नेहा के हाथों में।

चलते-चलते नेहा और अमन जंगल में काफी आगे निकल आये थे। नेहा और अमन चलते-चलते थक गए थे। दोनों एक पेड़ के नीचे बैठ गए और आराम करने लगे।
नेहा….अब वापिस चलते हैं अमन। मैं बहुत थक गई हूँ।
अमन…. इतनी जल्दी थक गयी तुम। इधर मेरे पास आओ तुम…. मेरी गोद में सिर रखकर लेट जाओ।

नेहा अमन की गोद में सिर रखकर लेटी हुई थी और अमन उसके बालों में उंगलियाँ फिरा रहा था। दोनों अपनी बातों में गुम थे। नेहा और अमन दोनों इस एकांत का आनंद ले रहे थे। उन्हें लग रहा था उनके इन निजी पलों में उनके सिवा कोई नहीं है। इसलिए वो कुछ ज्यादा ही बेफिक्र हो गए थे। लेकिन वो इस बात से बेखबर थे कि कोई उन्हें इन निजी क्षणों में चुपके से टकटकी लगाए देख रहा था।

दोपहर के 3 बज रहे थे। अचानक से मंद-मंद बहती हवा में तेजी सी आ रही थी। पत्ते भी अपनी जगह से उड़ने लगे थे। वक़्त का पहिया अपनी चाल बदलने वाला था। बादलों ने भी अपनी चाल बदलनी शुरू कर दी थी, बादलोँ का साया जंगल पर गहराने लगा था।

नेहा मौसम में अचानक आये इस बदलाव से घबरा गई थी। उसने आँखे उठाकर देखा तो लगा पेड़ पर ऊपर कोई है जो उन्हें देख रहा है।
नेहा झट से खड़ी हो गयी…… अमन ऊपर देखो। मुझे लग रहा है जैसे हमारे सिवा यहाँ तीसरा भी कोई है।

अमन ने नजर उठाकर ऊपर देखा तो उसे कुछ नजर नहीं आया।
कुछ भी तो नहीं है नेहा वहाँ और वैसे भी जिस पेड़ के नीचे हम बैठे हैं, अगर उसके ऊपर कोई पहले से बैठा हुआ तो हमें पता तो चलता।

झूठी कहीं कि मुझसे बचने का बहाना ढूंढ रही हो।
ओह हो अमन…..मैं गंभीर हूँ इस बात को लेकर। मैं मजाक नहीं कर रही।

अमन नेहा की बात सुनकर शांत हो गया। अमन ने बैग उठाया और कहा…. मौसम भी खराब हो रहा है, मुझे भी कुछ ठीक नहीं लग रहा। चलो रिसोर्ट में वापिस चलते हैं।

अमन और नेहा एक दूसरे का हाथ थामे जंगल से रिसोर्ट की तरफ वापिस जा रहे थे। नेहा ने अमन को इशारे से कहा कोई हमारा पीछा कर रहा है। अमन ने नेहा को धीरे से कहा…..मुझे मालूम है, तुम पीछे मुड़कर मत देखना, चुपचाप सीधे चलो।

नेहा और अमन सड़क के किनारे लगभग पहुँच ही चुके थे। अमन ने हनुमान जी का नाम लिया और हल्का सा पीछे मुड़कर देखा तो  एक धुंए जैसी आकृति थी सफ़ेद रंग की, चेहरा साफ समझ नहीं आ रहा था। लेकिन उसके हाथ जरूरत से ज्यादा लंबे थे और पाँव……… उसके पाँव उल्टे थे। अमन देखते ही चिल्लाया नेहा भाग यहाँ से जल्दी और दोनों बिजली की रफ़्तार से दौड़ने लगे।

लेकिन वो चुपचाप अपनी जगह पर खड़ा रहा, उनके पीछे भागा नहीं क्योंकि रात गहराने में अभी वक़्त था। वो जानता था नेहा और अमन किस रिसोर्ट में ठहरे हैं। रात गहराते ही वो चुटकी बजाते उनकी कॉटेज के बाहर पहुँच जायेगा।

अमन और नेहा को ऐसे भागते आता देख मिस्टर जोशी ने पूछा…… क्या हुआ आप इस तरह भागते हुए क्यों आ रहे हैं? सब खैरियत तो है?
अमन ने बात बदलते हुए कहा….. हमें किसी जंगली जानवर की आवाज़ आ रही थी जंगल से, बस उसी के डर के कारण हम भागते हुए रिसोर्ट वापिस आ गए।
मिस्टर जोशी….सही समय पर वापिस आ गए आप लोग।

नेहा और अमन दोनों 8 बजे ही डिनर करके सो गए थे। दिन भर में जो कुछ हुआ, उन्हें उस पर विश्वास नहीं हो रहा था। लेकिन ज्यादा थकावट के कारण वो  जल्दी सो गए थे। रात को ठीक 2 बजे के करीब कॉटेज के बाहर से आवाज़ आती है नेहा, नेहा उठो ना….. मेरे पास आओ। नेहा की आँख खुल जाती है तो वो अमन की तरफ देखती है। वो तो गहरी नींद में सोया हुआ होता है, तो फिर यह आवाज किसने दी मुझे?

नेहा कम्बल से अपना पूरा चेहरा ढक लेती है डर के मारे और सोने की कोशिश करती है। फिर से आवाज़ आती है….नेहा कितनी सुंदर हो तुम। जब से मैंने तुम्हें अमन के साथ जंगल में देखा है, मैं तो तुम्हारी सुंदरता का दीवाना हो गया हूँ। नेहा, नेहा उठो… मेरे पास आओ।

नेहा डर के मारे जोर से अमन-अमन चिल्लाती है। अमन हड़बड़ा के उठ खड़ा हो जाता है….क्या हुआ नेहा ऐसे क्यों चिल्ला रही हो, कोई बुरा सपना देखा क्या?
नहीं अमन वो सपना नहीं था। ऐसा लग रहा था जैसे मुझे कोई अपने पास बुला रहा हो। वो मेरा नाम पुकार रहा था और ….. नेहा ने अमन को सब कुछ बता दिया। अमन की आँखों में गुस्सा उतर आया था….. कौन है इतना घटिया इंसान जो हमें इस तरह से तंग कर रहा है।

तुम रुको नेहा मैं बाहर देखता हूँ। अमन तुम इस समय बाहर मत जाओ प्लीज।
देखना तो पड़ेगा ना नेहा, कौन इस तरह मेरी बीवी का नाम पुकार रहा है?

अमन जिसे हमने जंगल में देखा था, ये कहीं वही तो नहीं….उल्टे पाँव वाला आदमी? भूतों के ही तो उल्टे पाँव होते हैं।
कह तो तुम ठीक रही हो नेहा लेकिन आजकल के समय में यह सोचकर भी अजीब लगता है।

अजीब क्या है इसमें? पहाड़ों में कितने लोग आते हैं और जो आकस्मिक मौत मर जाते हैं फिर वो भूत बनकर घूमते हैं।
जो भी हो एक बारी बाहर जाकर देखता हूँ। हनुमान चालीसा बोलती रहना, कुछ नहीं होगा।

अमन टॉर्च लेकर जैसे ही बाहर जाता है, दरवाजा खट से अंदर से बंद हो जाता है। नेहा आंखे बंद करके भगवान का जाप कर रही होती है। गिलास टूटने की आवाज आती है। नेहा एकदम से आँखें खोलती है तो वही जंगल वाली सफ़ेद रंग की आकृति दिखती है, वो उसके पैरों की तरफ जैसे ही देखती है वो अमन-अमन चिल्लाने लगती है।

अमन जैसे ही वापिस कमरे में आने की कोशिश करता है तो दरवाजा खुलता ही नहीं। दरवाजा अंदर से लॉक हो चुका होता है। अमन दरवाजा तोड़ने की कोशिश करता है लेकिन वो टूटता ही नहीं। अमन नेहा को कहता है….. नेहा तुम डरो मत, तुम बस हनुमान जी का नाम जपती रहो।

अमन बाहर पागल हुए जा रहा था, उसे समझ नहीं आ रहा था वो नेहा को कैसे बचाए। पहली बार जिंदगी में इतना बेबस महसूस कर रहा था वो खुद को।
इधर अमन नेहा की चिंता में पागल हुए जा रहा था, उधर वो उल्टे पाँव वाला भूत कमरे में दाखिल हो चुका था।

डर क्यों रही हो नेहा, मैं तुम्हें मरूँगा नहीं। मैं तो बस तुम्हारे पास रहकर तुम्हें महसूस करना चाहता हूँ।  नेहा उसे मारने की कोशिश करती है, लेकिन मार नहीं पाती। वो तो धुंए की तरह होता है जिसे आप सिर्फ देख सकते हो लेकिन छू नहीं सकते।
नेहा को उसके हाथ अपने चेहरे पर महसूस होने लगते हैं। नेहा चिल्लाती है,….. मत छुओ मुझे अपने गंदे हाथों से।
तुम जितना जोर से चिखोगी, मुझे उतना ही मजा आएगा।
कौन हो तुम और मेरे पीछे क्यों पड़े हो?

चलो आज तुम्हें अपनी कहानी सुनाता हूँ। मेरा नाम यशपाल है। सुंदर लड़कियां मेरी कमजोरी है। एक बार गाँव की लड़की के साथ मैंने दुष्कर्म किया, जिसका पता गाँव वालों को चल गया और उन्होंने मुझे जंगल में ले जाकर पीट-पीट कर मार डाला।

उन्हें लगा मुझे मारने से अपराध खत्म हो जायेगा। लेकिन सिर्फ अपराधी खत्म हुआ, अपराध नहीं। मैं भूत बनकर पेड़ पर रहने लगा। अचानक से तुम और अमन उसी पेड़ के नीचे आकर बैठ गए और तुम्हारे उन निजी क्षणों का साक्षी मैं बन गया। तुम्हें देखकर मेरे भीतर का सोया हुआ शैतान फिर से जाग गया है। जब तक तुम्हें हासिल ना कर लूँ, तब तक चैन नहीं मिलेगा मुझे।

इधर अमन रिसोर्ट की तरफ भागा मदद के लिए तो उसे रास्ते में चौकीदार बहादुर मिल गया।
बहादुर मेरी मदद करो….. मेरी पत्नी नेहा…….अमन ने सारी सच्चाई बहादुर को बता दी।
एक मिनट शाब….बहादुर भागकर अपने कमरे में गया और मंदिर में से भगवान की भुभूत(विभूति), नींबू और सिंदूर लेकर आया।
ये सब क्या है बहादुर….. साहब ये उल्टे पाँव वाला भूत यशपाल है, एक बलात्कारी जिसे गाँव वालों ने मार डाला था। उससे बचने का यही एक उपाय है।

उधर यशपाल नेहा की तरफ बढ़ रहा था, नेहा डर के मारे बेहोश हो चुकी थी। जैसे ही यशपाल के हाथ नेहा को छूने के लिए बड़े, तभी बहादुर ने मास्टर चाबी से कमरे का दरवाज़ा खोल दिया…..

भुभूत और सिन्दूर यशपाल के ऊपर फैंक दिया। यशपाल दर्द से कराहता हुआ नेहा से दूर हट गया और तभी बहादुर ने नेहा के चारों ओर सिंदूर की रेखा खींच दी और उसके सिरहाने के नीचे नींबू रख दिया।

यशपाल भाग चुका था फिर से जंगल की ओर। कमरे में उसके उल्टे पैरों के निशान अभी भी थे।

अमन ने बहादुर को शुक्रिया कहा।

बहादुर….शाब शुक्रिया की कोई बात नहीं। आप नेहा दीदी को लेकर यहाँ से जल्दी निकल जाइये, वो फिर से आ सकता है और हाँ ये भुभूत रख लीजिए और वो नींबू जो दीदी के सिरहाने रखा है वो साथ लेकर जाइएगा और घर पहुंचकर ही फैंकियेगा।

थोड़ी देर में नेहा होश में आ गयी और अमन के सीने से लिपटकर रोने लगी।

चलो नेहा घर वापिस चलते हैं। अपने घर से ज्यादा एकांत कहीं नहीं मिल सकता। रिसोर्ट से चेक आउट करते समय नेहा और अमन ने हाथ जोड़कर बहादुर को शुक्रिया कहा और अपने घर के लिए निकल गए।

उनका हनीमून एक हॉरर हनीमून बनकर रह गया था।

❤ सोनिया जाधव

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1 Comments

Seema Priyadarshini sahay

11-Feb-2022 08:00 PM

Nicely written

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