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Jaane Kahaa ??? The Revolution भाग 24

अपडेट 24

 

दुसरे दिन की सुबह दोस्तो की टोली तैयार हो गइ। कोलेज केम्पस नागपुर के अम्बाजारी गार्डन से आगे बढकर दिग्दोह तरफ जानेवाली सडक पर था और स्वामी रामानंद का समाधी ट्रस्ट का आश्रम काम्पटी रोड पर हाइ-वे पे बनाया हुवा था। नागपुर सीटी और आश्रम के बीच एक रीवर पार करनी पडती थी तभी उस तरफ जाया जा सकता था। युनिवर्सिटी केम्पस और आश्रम के बीच पुरा नागपुर सिटी था जो पुरा क्रोस कर के पहुचा जा सकता था। करीब 25 स्टुडेंट्स अलग अलग लोकल स्टुडेंट्स की बाइक मे बैठ के नीकल पडे थे। नीशी ने एक बाइक सम्भाली थी जिस के पिछे निशा बैठ गइ थी और जय उदयन के पिछे बैठा हुवा था। उस वक़्त हीरो-होंडा सी.डी 100 का जमाना था। अभी अभी हीरो होंडा स्प्लेंडर नयी इंट्रोड्युस हुयी थी जो आगे जाकर सब से बडी फेमस बाइक होनेवाली थी। इस के कोम्पीटिशन मे टी.वी.ऎस.100 और टी.वी.ऎस. सुज़ुकी बाइक और यामाहा भी थी।  

 

सुबह के 11 बजे थे जब सब वहा पहुचे। पुरे 1100 एकड जमीन पर फैला हुवा था समाधी ट्रस्ट का ये आश्रम। बाहर बडा साइन-बोर्ड था समाधी ट्रस्ट ओफ इंडियाऔर टेगलाइन थी स्वर्ग से समाधि तकएक बडा लोखंडी दरवाजे के पास तीन सीक्युरीटी गार्ड्स मशिन गन के साथ खडे थे और उस ने सब को चेक कर के अंदर जाने दिया। 

 

अंदर चारो ओर बडा गार्डन था, छोटे छोटे पौधे को प्राणी, पक्षीयो के स्वरुप के काट के बहुत सुंदर शेइप दिये गये थे। कही कही पे हरे पौधे से ट्रैन बनाइ गइ थी तो कही कही छोटे छोटे पानी के सरोवर बनाये गये थे। छोटे मोटे होज थे जहा फव्वारे अलग अलग किस्म के बनाये गये थे। आश्रम मे एक अलौकिक पवित्र खुश्बु फैली हुइ थी। पुरे आश्रम को 8 फीट की उचाइयो की दिवारो से कोर्ड किया हुवा था। उस दिवारो पर लोहे के सलाखे एक एक फीट के रखे गये थी ता की कोइ कुद के अंदर ना आ सके। आश्रम मे तीन बडी बडी कुटीर बनाइ गइ थी। एक बडा होल और छोटे छोटे कइ मन्दिर बनाये गये थे। एक बडी भोजनशाला का निर्माण किया गया था और चार फ्लेट टाइप के रेस्ट रुम बनाये गये थे। साथ साथ रेस्ट क़्वार्टॅर्स भी अलग था। आश्रम के बीचो बीच एक टेकरी बनायी गयी थी जिस के उपर स्टेप्स से भी चढ के जाया जा सकता था और टेकरी के आसपास हरी घास थी जिस के उपर से भी जाया जा सकता था। वैसे पुरे आश्रम के हरी घास मौजुद थी लेकिन कोइ भी जगह पहुचने के लिये जो रास्ते, पथ बनाये गये थे वहा ब्लोक डाले हुये थे। एक यज्ञशाला का भी निर्माण किया गया था। जिस मे बीच मे एक बडा यज्ञकुंड और आसपास बांस से कोर्डन किया हुवा था। दुर दाइ और एक गौशाला का भी निर्माण किया गया था जहा पर करीब करीब 150 गाय थी। अलग अलग जगह पर अलग अलग वोलंन्टीयर्स चारो ओर बिल्कुल शांति के साथ कार्यरत थे। टेकरी की बाइ ओर एक प्रदर्शनी भी थी जहा पर गुरुजी की देश विदेश की यात्राए और प्रवचनो के फोटोग्राफ्स और कुछ जानकारीया प्रदर्शीत की गइ थी। चारो ओर बडे बडे पेड जैसे आम, पीपल, वड, नीलगीरी लगाये हुये थे। पुरा आश्रम हरा भरा था।

 

सब से पहले रजिस्ट्रेशन काउन्टर पर सब का रजिस्ट्रेशन किया गया और फिर मेडिटेशन होल की तरफ सब आगे बढे। आज रविवार छुट्टी का दिन था तो भीड भी थी। मेडिटेशन होल के बाहर साधको ने सब स्टुडेंट्स को रोका और शांति बनाये रखने की आहवाहना की और सब अन्दर होल मे चले गये और 15 मिनिट तक ध्यान मे बैठ गये। सब को एक अलौकिक शांति का अनुभव हुवा और फिर सब एक कुटिर की ओर चल दिये। कुटिर के बाहर एक साधक ने सब को रोका। अंदर से स्वामीजी की परमिशन ली और फिर सब को अंदर जाने दिया। 

 

कुटिर के अंदर का वातावरण कुछ ओर था। अंदर बडा होल था और उस होल के पीछे तीन दरवाजे थे जहा से तीन अलग अलग रुम मे जाया जा सकता था। दिवारो पर तरह तरह के पैंइटिंग्स और पोस्टर्स लगाये हुवे थे। कही कही अच्छे अच्छे सुविचार लिखे गये थे। सब होल मे दाखिल हुये और सामने बडी ब्राउन कलर की जाजम बीछाये रखी थी। चारो ओर चंदन की खुश्बु वातावरण को ज्यादा पवित्र कर रही थी।  जाजम के उपर सब बैठ गये। तीन चार साधको ने आगे आकर सब को ग्लास मे सरबत पिलाया। इस सरबत का स्वाद बिल्कुल अनोखा था। खट्टा मीठा था, कीसी ने पुछा तो एक साधक ने बताया की ये आयुर्वेदिक सरबत है और शरीर और मानसिक संतुलन के लिये बहुत फायदाकारक है। और सचमुच उस सरबत पीने से जैसे सब के शरीर मे स्फुर्ती आ गइ जैसे शरीर मे मानसिक आनंद का स्त्रोत बहता चला गया और सब एक अलग ही अलौकिक स्रुष्टी मे पहुच गये। कुछ ही देर मे स्वामीजी ने प्रवेश किया और सब ने खडे होकर हाथ जोडे।

 

कुटिर मे एक सिहासन रखा गया था। उस सिहासन पर स्वामीजी बिराजमान हुवे और दो मिनिट के लिये आंखे बन्ध कर दी। कुछ मंत्रोचार के बाद आंखे खोली और चारो ओर सब के सामने देखा। एक सम्मोहक शक्ती जैसे कार्य कर रही थी। सब की आंखे स्वामी जी की आखो से टकराइ और सब कोइ अलग ही दुनिया मे खो गये। गुरुजी धीरे धीरे मुस्कुराकर अपना बाया हाथ अपनी दाढी पर पसारने लगे। फिर धीरे स्वर मे बोले, क्युकी यहा माइक नही था लेकिन एक प्रभावशाली आवाज उस के गले से नीकली....

 

हम बहुत खुश हुवे भारत के भावी रत्नो को यहा देखकर।

 

फिर कुछ पल खामोशी छा गइ। गुरुजी फिर बोल उठे,”आप सब ने प्रसाद लिया?”

 

साधको और स्टुडेंट्स ने हा कहा कोइ एक स्टुडेंट ने पुछा,”गुरुजी, कोइ अनोखा स्वाद था उस मे, वो क्या था?”

 

गुरुजी,”इसे आप कलियुग का अम्रुत कह सक्ते है, अति दुर्लभ वनस्पतियो मे से इसे बनाया गया है। बडी मेहनत के बाद ये औषधियो को सरबत के रुप मे बनाया जाता है। इसे पीने से दिमाग और शरीर दोनो स्वस्थ और स्फुर्तिला रहता है। हम अपने जिवनकाल मे दिमाग का उपयोग 10 प्रतिशत भी नही कर पाते। इस सरबत के ग्रहण करने से आप, आप के दिमाग के कोश की कार्यशक्ति डबल या ने 20 प्रतिशत तक बढा सकते हो। क्या आप लोगो को इस के सेवन के बाद कुछ चेंज आ रहा है?“

 

कइ लोगो ने हा कहा और स्वामी जी मुस्कुराकर दाढी पसारने लगे।

 

अब जय खडा हुवा,”गुरुजी हमे आप का कल का प्रवचन बहुत अच्छा लगा इसिलिये हम आप के मिशन के बारे मे कुछ और भी जान ना चाहते है।

 

स्वामीजी ने कुछ क्षण आंखे बंध की और फिर आगे बोले,”आप के पीछे आप के दोस्त मे से दो ऐसे है जिसे समाधि ट्रस्ट की प्रव्रुत्तियो के बारे मे सबकुछ जानकारी है। आप फिर भी कुछ पुछना चाहते है या जान ना चाहते है तो विशेष रुप से हमे जरुर पुछ सकते है। लेकिन हमारा मान ना है पहले आप लोग उन्ही दोनो से सबकुछ ग्रहण करे। क्युकी हम आप लोगो से एक बडी उम्मीद लगाये बैठे है। हमे उपर से संकेत आ रहे है की हम आप से कुछ कार्य करवाये।

 

जय,”लेकिन गुरुजी हम मे से तो कोइ आप के मिशन के बारे मे नही जानता।

 

स्वामीजी ने हसकर पुछा,”क्यु साजन और नीशी, आप दोनो ने कुछ बताया नही है आप के दोस्तो को?”

 

जय और बाकी सब ने चौक कर इन दोनो के सामने देखा और उन दोनो की आंखो मे शर्मिन्दगी के बादल छाये हुए थे। ये देखकर गुरुजी फिर से मुस्कुराते हुवे बोले,”ठीक है हम ही आपलोगो को थोडा बहुत जानकारी दे देते है।फिर से उन्होने कुछ क्षण आखे बन्ध की और एक गेहरी सास ली फिर आंखे खोलकर अपनी सम्मोहक आंखो से सब की और देखा और बोले.....

 

हमारा पहला मिशन है, अच्छे नवयुवानो के जीवन का अच्छी तरह जतन करना, क्युकी आज भारत को युवाधन की आवश्यकता है। लेकिन आज की समाजव्यवस्था नवयुवानो को सोचने का कम वक़्त देती है और कच्ची उम्र मे ही रीस्पोंसिबिलिटी की बेडियो मे डाल देती है। हम समजते है की सब को एक बार खिलने का मौका मिलना चाहिये। जैसे जिसकी शक्ति, वैसे उस के पास से कार्य करवाना चाहिये। खास कर के पोलिटिक्स मे कोइ युवा वर्ग आगे नही आते। हम जानते है की कइ नवयुवान तैयार है अगली धुरा सम्भालने के लिये लेकिन पहले से ही जो पोलिटिक्स को गंदा कर चुके है, वो इनलोगो के मार्ग मे आते है। अगर हम अगली पीढीयो को पहले से ही मजबुत करेंगे तो न ही तो कोइ डरेगा और न ही तो कोइ एक दुसरे का दुश्मन होगा।

 

सब एक चित सुन रहे थे। फिर स्वामीजी आगे बोले,”हम कइ सालो से इस कार्य से जुडे हुये है, लेकिन आज हमे संकेत आ रहे है की वैश्विक स्तर पे ये कार्य के लिये सच्चे मोती हमे आज मिल रहे है (गुरुजी ने आंखे बन्ध की और गेहरी सास ली और जैसे आवाज दुर दुर से आ रही हो वैसा सब मेहसुस होने लगा और सब की आंखे अपने आप ही बंध होने लगी। सारे स्टुडेंट्स तो कोइ ओर दुनिया मे खो गये।) स्वामीजी की आवाज आ रही थी,”हम चाहते है की आप मे से कइ स्टुडेंट्स ऐसे है जो कल के भारत को रामराज्य बना सकते है, जिस से देश मे हर तरह की समस्या का समाधान मिल सक्ता हो। दुनिया को आदर्श देश की व्याख्या आप लोग ही दे सकते हो। इतना ही नही आप अपनी दुनिया को साथ लेकर, अपनी खुशिया साथ लेकर आगे बढ सकते हो। हमारा आप लोगो से अनुमोदन है की आप जल्दी ही इस मिशन मे जुड जाओ और परमात्मा का आशिर्वाद आप लोगो के साथ है की आप अपने कार्य मे सफलता प्राप्त करो और आगे बढो।

 

फिर स्वामीजी की अम्रितवाणी समाप्त हुइ और चारो ओर चन्दन की खुश्बु और तेज होकर फैल गइ। सब की आंखे जैसे निन्द्रा के आधिन हो चुकी थी और जैसे सब को मिठी निन्द्रा आ रही हो ऐसा मेहसुस हो रहा था। आंखो के दोनो पटल भारी हो चुके थे और मश्तिश्क धीरे धीरे डोल उठे थे और कोइ अलौकिक दुनिया मे खो चुके थे। करीब 15 मिनिट तक सब की ऐसी हालत रही और फिर स्वामीजी का भारी आवाज गले से बाहर नीकला,”हम समजते है की बहुत जल्दी आप लोग नये मिशन की ओर प्रस्थान करेंगे, आप का कल्याण हो।

 

सब की आँखे अभी भी बंध थी।

 

धीरे धीरे सब की नॉर्मल स्थिति वापस आने लगी। अब सब ने देखा की जय तो वही गिर पड़ा था। साजन तुरंत उठ के उसके पास गया और देखा तो जय की आँखे बंध थी और बिल्कुल शांत मन से वही सोया हुवा था। सात-आठ स्टूडेंट्स खड़े उठकर उसके पास चले आए, लेकिन उतने मे ही स्वामी रामांनद की प्रभावशाली आवाज़ आई,

 

साजन, उसे कोई तकलीफ़ नही है, आपलोग अपना स्थान वापस ले लीजिये, वो लड़का ट्रान्स मे चला गया है, उसे वापस आने मे कुछ वक़्त लगेगा।

 

थोड़ी देर चुपकीदी छा गयी बाद मे फिर स्वामीजी ने बताया,”साजन और निशी, तुम लोगो को सब को बताना चाहिये था की हमारा मिशन क्या है, बाकी सब को पहले से ही मार्गदर्शन मिल जाता। कोई बात नही अभी भी देर नही हुई है, आप लोग सब जानकारी लेकर इस मार्ग मे आ सकते हो। अब अगर किसी के मन मे और कोई प्रश्न हो तो बता सकते हो।

 

थोड़ी देर मौन छा गया फिर एक लड़के ने पुछा,”स्वामीजी आप के मिशन के साथ जुड़ने के लिये मै तैयार हु, हम कैसे जुड़ सकते है ?”

 

स्वामीजी,”बस एक शीबीर करनी होती है, जो आपलोग कर चुके हो। यहा एक रजिस्ट्रेशन फॉर्म है, जिसमे आप का बायोडाटा भरना है और एक फोटो लगा के यहा सब्मिट करो। अगर ज़्यादा संख्या मे आपलोग तैयार हो तो कभी भी हमे याद कर के यहा आ जाइए, आप को साधक बनाने से पहले दिक्षा ग्रहण करनी होती है। अक्सर ये कार्य गुरुपूर्णिमा के दिन होता है। लेकिन टेंम्पररी तौर पे कभी भी ये ग्रहण किया जा सकता है।

 

एक लड़की खड़ी हुई और पुछा,”स्वामीजी इस मिशन मे हमे और क्या करना होगा ?”

 

स्वामीजी मुस्कुराए और दाढ़ी पसारते आगे बोले,”आप का सबसे पहला कर्तव्य है पढ़ाई, मा-बाप की देखभाल और ग्रहस्थी। फिर समाज और देश। लेकिन यहा आप के पास कई ओप्शन है। अगर आप चाहो तो एक घंटे से लेकर 24 घंटे की सेवा हमे दे सकते है, जिसे इस मार्ग मे वॉलन्टियर्स कहते है। समाधी ट्रस्ट के हर वॉलन्टियर्स पर परमात्मा की अपरम्पार कृपा रहती है। अगर आप चाहो तो आजीवन इस मार्ग को समर्पित हो सकती हो। इस कार्य मे आप को यहा ही नही विदेश मे भी भेजा जा सकता है। सब से अगत्य की बात ये है, की आप की जो इच्छा है, या आप जिस कार्य मे माहिर हो वो कार्य आप से करवाकर आप भी खुशी प्राप्त कर सकते हो और इस मिशन के कार्य को भी आगे बढ़ा सकते हो। यहा सिर्फ़ भारतिय संस्कृति ही नही, विदेशी संस्कृतीयो का भी ख़याल रखा जाता है। यहा कोई कास्ट, धर्म, वस्त्र, रंग का भेदभाव नही है। यहा सिर्फ़ वॉलन्टियर्स को ही ड्रेसकोर्ड दिये गये है, बाकी आप कुछ भी पहन के आ सकते हो। विदेशो मे तो साधक वहा के कल्चर के अधीन होते है, तो वहा हम उसे उसके देश की तरह संभालते है। आप का मन करे तो यहा आप पेंइंटिंग्स कर सकती है, गाना गा सकती है, कोई जैसा भी नाचना चाहे नाच सकते है, मतलब की आप अपना कोई भी शौख यहा पूरा कर सकते है। सिर्फ़ सुबह 6 से 7 ध्यान, और शाम को 8 से 9 ध्यान करना होता है, योगा भी सिखाया जाता है। यहा का भोजन, सरबत, पानी तक मे ऐसे औषधियो का मिक्स्चर दिया जाता है की आप हमेशा तरोताजा रहो और अपना कार्य अनेक गुना ज़्यादा स्फूर्ति और जोश से कर सकते हो, इसीलिये हमारे मार्ग मे आनेवाले हर कोई की कार्यशक्ति का विकास स्पीड से होता है और उसकी प्रगती दूसरो के कम्पेर मे स्पीड से होती है।

 

फिर थोड़ी देर शांति छा गयी। फिर एक लड़की ने उठकर पुछा,”स्वामीजी, अगर हमारे पेरेन्ट्स हमे परमिशन ना दे तो ?”

 

स्वामीजी,”ये प्रोब्लेम तो हर किसी के साथ आयेगी ही। इसका एक कारण है हमारे देश मे भग्वे कपड़ो से किसी को कभी भी शांति नही मिली और न ही तो समाधान। इसीलिये सब से पहले एक बार आप के पेरेन्ट्स को मेरे सामने ले आइये, फिर देखिये क्या चमत्कार होता है। लेकिन सब से पहले आप की 100% मरजी होनी चाहिये, दूसरा विदेश मे एक प्रथा है, पहले वे लोग किसी पर भरोसा करने से पहले उसकी तरह तरह से कसौटी करते है, लेकिन एकबार तय हो जाने के बाद 100% समर्पण हो जाता है। दूसरी बार विदेशी लोग किसी और को पुछने नही जायेंगे। यहा क्या होता है, समर्पण पहले कर देते है, बाद मे वो समर्पण 100% नही रहता। हम किसी की बातो मे आकर अपना भरोसा उठा लेते है और फिर जिंदगीभर वापस 100% तक पहुचने के लिये, आत्मसमर्पण से आत्मसमर्पण करते ही रहते है, लेकिन प्रगती वही रुक गयी होती है, जहा पर किसी ने शक किया या समर्पण रोक दिया। तो आप पहले इस मार्ग को जानो, फिर पहचानो, कसौटी करो फिर जुड़ जाओ, क्या है बाद मे फिर आप को कोई हिला भी नही पायेगा।

 

एक लड़के ने फिर उठकर पुछ लिया,”स्वामीजी, अगर हमारी दुनिया मे पेरेंट्स के अलावा और कोई हो और वो......

 

स्वामीजी ने हसकर बीच मे ही बोल दिया,”प्यार करनेवालो के लिये तो ये मार्ग स्वर्ग है, हमने कहा था ना की आप जैसे हो, जो भी हो सिर्फ़ जुड़ जाओ, यहा आप को कुछ भी छोड़ना नही है, सिर्फ़ अपने जीवन मे इस मार्ग को जोड़ दो। अगली सुबह सुनहरी होगी, ये हमारी 100% गेरेंटी है। इसे ताम्रपत्र मे लिखा गया लेख ही समजो।

 

निशा ने पुछ लिया,”स्वामीजी, आप जय से कुछ कार्य करवाना चाहते है, उसके बारे मे हमे कुछ बतायेंगे?”

 

स्वामीजी ने मुस्कुरकर आँखे बाँध की और गहरी सांस ली बाद मे आँखे खोलकर बोला,”अभी देर है इस कार्य मे, पहले इसे जुड़ जाने दो।

 

निशा,”लेकिन क्या जय जुड़ जायेगा इस कार्य मे?”

 

स्वामीजी,”अवश्य, सिर्फ़ जय ही नही आप सभी लोग बारी बारी इस मार्ग मे आने ही वाले हो। जो पहले आया समजो उसका सूर्योदय जल्दी होगा। हर एक का एक निश्चित समय होता है, जिस दिन वो सुबह हो गयी, वो जुड़ ही जायेगा। ये लड़का भी अवश्य आयेगा।

 

थोड़ी देर मे जय होश मे आ गया और उसके सिर की बाई आँख से कान के बीच एक वेइन को वो उंगली से दबाता चला गया और उसकी मस्तिष्क की रेखाये खीची हुई थी। साजन ने उसे सम्भाला। पुछने पर सब ने उसे बताया की वो ट्रान्स मे चला गया था और फिर स्वामीजी धीरे से खड़े हुवे और जय के पास आकर दाया हाथ उसके सिर पर रखा और एक उंगली उस की वेइन पर रखी और प्रेशर दिया और आँखे बंध कर के दो मीनिट खड़े रहे। फिर स्वामिजी ने सब का कल्याण हो कहकर धीरे धीरे पिछे के दरवाजे से अंदर के रूम मे जाना शुरू किया। सब ने खड़े होकर हाथ जोड़े और फिर सब जय के आसपास खड़े रह गये। 

 

सब स्टूडेंट्स धीरे धीरे कुटीर से बाहर आये और साजन ने जय को पुछा,”क्या हुवा जय, यार ये ट्रान्स क्या होता है?”

 

जय की आँखो से धीरे धीरे पानी की बूँद आ रही थी, वो बोला,”कुछ ट्रान्स नही था यार, मूज़े फिर वोही सबकुछ दिखाई दिया, आँखो के सामने अंधेरा छा गया और फिर वोही औरत की छाती और फिर वोही साधु, लेकिन इस बार ये नस (वेइन) कुछ ज़्यादा दुखती है। निशी ने उस नस पे अपनी उंगली रखी तो महसूस किया की बहुत जोरो से स्ट्रोक मार रही थी। फिर जय बोला,”अब रात की नींद तक ये दर्द सहा नही जायेगा।

 

बिरजू,”लेकिन ये होता क्या है, क्या ट्रान्स मे ऐसा कुछ होता है

 

जय,”ना ये ट्रान्स नही था यार, ट्रान्स मे तो आदमी ब्रह्मांड मे चला जाता है, ये तो मेरी बीमारी है, शायद इसे माइग्रेन कहते है, इसके यही सिम्टम्स है। आँखो से पानी बहना, सिर पे खालीपना होना, आवाज़ सहन नही होना, रोशनी सहन नही होनी एट्सेटरा।

 

लेकिन स्वामीजी ने कहा की तू ट्रान्स मे चला गया था।निशा ने कहा।

 

जय,”कुछ भी हो यार मूज़े यहा से ले चलो, मेरा मन गभरा रहा है, मूज़े कुछ अच्छा नही लगता है यहा।

 

साजन,”क्या ? आबे साले स्वामीजी तो कहते थे की तू इस मार्ग मे जल्दी आनेवाला है और तू तो कहता है की तुजे यहा अच्छा नही लगता है ? यार बात क्या है समज मे नही आई।

 

जय ने चौककर पुछा,”क्या ? क्या ?, स्वामीजी ने कहा की मै इस मार्ग मे आनेवाला हु ?”

 

निशी,” Yes Jay he told us that u will definitely follow this mission.”

 

जय,” But how can it possible, just I have not decided to follow it yar. (फिर अपनी वेइन दबाते हुवे आगे बोला) मूज़े पहले यहा से बाहर ले जाओ यार मेरा सिर दुख रहा है।

 

फिर सब आश्रम से बाहर आये और सिटी की और चल पड़े। पिओली रिवर ब्रिज क्रॉस कर के सब स्टूडेंट्स कॉलेज केम्पस की और चल पड़े। ये ग्रूप धीरे से अलग हो के म्यूज़ीयम की और चला गया। रेलवे स्टेशन की क्रॉसिंग लाइन क्रॉस कर के वहा एक छोटी सी रेस्टोरा थी वहा चाय पानी के लिये रुके। सब वहा बैठ गये। साजन ने चाय के साथ कुछ रीफ्रेशमेंन्ट भी मँगवाया। जय अभी भी बार बार वो नस दबाता था। कभी कभी उसके मूह से सिसकिया निकल आती थी। सब पहली बार देख रहे थे जय को ऐसी हालत मे। अचानक उसकी हेल्थ को असर हुवा था। 

 

सब चुप थे तो जय ने कहा,”यार मै कोई सीरीयस बीमार नही हुवा हु, वाइ आर ओल ओफ यु आर सो सीरीयस? कुछ बाते तो करो, शायद ये दर्द गायब हो जाये। 

 

बिरजू ने कहा,”यार सीरीयस नही है, सोच रहा हु।

 

जय,”हा कभी कभी अच्छा काम तू कर लेता है।

 

बिरजू ने एक हाथ जमाया जय को। जय के मूह से आह निकल गयी,”अबे ये तेरा हाथ है की हथोड़ा, कितना ज़ोर है तेरे मे।

 

निशा,”क्या सोच रहा है तू ?”

 

बिरजू,”स्वामीजी ने ये क्यू कहा की जय ट्रान्स मे है, जब की ये तो कहता है की उसे वही दौरा पड़ा था।

 

साजन,”बे तू जब भी सोचता है ना डीप मे सोचता है, क्यू खालीपीली दिमाग़ को खराब करना है। तुजे क्या, जुड़ना है इस मार्ग मे ?”

 

जय,”वो बात बाद मे साजन, लेकिन तू और निशी तो जानते हो इस मार्ग को, इस स्वामीजी को, तुमलोगो ने क्यू नही बताया हमे ?”

 

साजन,”बे यार इसमे कौन सी बताने वाली बात है, मेरे डॅडी पहले से ही इस संस्था के ट्रस्टी है और निशी के डॅडी उसे हेल्प कर रहे है। मूज़े ये कोई पसंद नही है, ना ही कभी मेरे डॅडी ने मूज़े प्रेशर किया है। मै तो साले सब साधु से दूर ही रहता हु। मूज़े वैसे भी सेफ्रन नही पिंक कलर पसंद है।

 

बिरजू,”हा साले तुजे पिंक ही पसंद आता है ना। क्यूकी सॅफ्रन मे सबकुछ त्याग करने की बात आती है और पिंक मे सबकुछ भोगने मिलता है ना। कितनी को बर्बाद किया है साले बता ?”

 

साजन (धीरेसे),”साले, ये निशा और निशी खड़ी है और ऐसी बाते पुछ रहा है, कम से कम लड़कियो की इज़्ज़त का तो ख़याल कर।

 

निशा,”तू और लड़कियो की इज़्ज़त के बारे मे बाते, हा हा हा चल बता ना कितनी लड़कियो को बर्बाद किया है तूने। चल मै ही पुछ रही हु।

 

साजन,”मैने तुजे बरबाद किया है क्या ? इसे तो आबाद करना कहते है। गिनती तो याद ही नही है मूज़े।

 

निशा और निशी दोनो ने लात की बारिश कर दी साजन को। थोड़ी देर मे चाय और नास्ता आया और सब मिल के खाने पीने लगे। 

 

जय,”साजन, कुछ तो बता इस मार्ग के बारे मे, ये स्वामीजी कौन है, क्यू तेरे पिताजी इस से जुड़े हुये है, यार कुछ तो होगा ना की इस स्वामीजी का नाम देश विदेशो मे भी फेमस है।

 

निशी,”जय, ज़्यादा कुछ तो नही मालूम, लेकिन इस स्वामीजी ने बहुत कड़ी तपस्या की है, कई तरह की साधनाये इन्होने हिमालय, चीन, की पर्वतमालाओ मे की है। इतना पता है की इस मार्ग मे आनेवाला हर तरह से संतुष्ट हो जाता है। किसी की कोई भी इच्छा अधूरी नही रह जाती। किसी को दौलत नही है, किसी को नौकरी नही है, कोई घर से दुखी है तो कोई समाज से बिछड़ा है, कही पति पत्नी का जगड़ा तो कही सास बहु का, कही संतान की प्राप्ति नही है तो कही मन की शांति, कोई दौलतवाला है तो मन की शांति के लिये यहा आता है। हमे तो सब शांति मिली हुई ही है फिर क्यू किसी मार्ग से जुड़े इसीलिये हमने सोचा था की इस मार्ग मे नही जायेंगे। लेकिन बहुत करीब से हमने भी पहलीबार देखा है इस स्वामीजी को।

 

जय,”निशी, तुम दोनो तो बचपन से दोस्त हो, और तुम दोनो के पिताजी इस मार्ग मे बहुत आगे है, इसका मतलब है की तुम्हारे फॅमिली भी इस मार्ग मे बहुत आगे है, तो फिर तुमदोनो ही क्यू अलग हो। ज़रूर कोई बात है, यार कम से कम अपने ग्रूप से तो बात मत छिपाओ। अगर कोई प्राइवेट बात है तो मत बताओ, लेकिन बता सकते हो तो अभी बता दो प्लीज़।

 

साजन,”ऐसी कोई बात नही है, तुम क्यू ये पकड़ के बैठे हो, मेरा उसूल है की खाओ पीयो और ऐश करो और ज़िंदगी का यही असली मज़ा है, सब मन की शांति के लिये वहा जाते है, हमे तो पहले से ही मन की शांति है फिर क्यू कोई धार्मिक मार्ग से जुड़े। मूज़े तो वैसे भी अपनी आज़ादी ही प्यारी है, काहे को कोई ज़ंज़ीर मे बंधा जाये।

 

फिर कोई बात नही हुई और सब कॉलेज केम्पस मे वापस आ गये। बस जय सोचता ही रह गया था की नही ज़रूर कोई ना कोई तो वजह है ही की ये दोनो दूर भागते है। जय ने सोच लिया की आज अगर मौका मिला तो ज़रूर वो निशी से बात निकालने की कोशिश करेगा। 

 

दोपहर को खाना खा के जय अपनी रूम मे सोने की कोशिश करने लगा। उदयन बाहर बगीचे मे बैठा कोई पेइंटिंग्स बना रहा था। जय को खाने के बाद दर्द बहुत बढ़ चुका था। लेकिन उसके लिये तो हमेशा का दर्द था। उसने सोने की कोशिश की लेकिन उस दर्द ने उसे नींद नही आने दिया। जय को हमेशा से उल्टा सोने की आदत थी। कहते है की उल्टा सोनेवाला पुत्र बाप का क़र्ज़ उतारता है। सोते समय दोनो कान किसी चदर या रुमाल या टोवेल से ढक के सोने का आदी था। चाहे गर्मी हो या सर्दी हमेशा कान पे कुछ ना कुछ तो रखना ही पड़ता था तो ही जय को नींद आती थी। 

 

 

जय उल्टा सोते हुये कान पर चदर ओढ़ के पड़ा था की अचानक निशा की ज़ोर से हसने की आवाज़ उसने सुनी। उसने आँख उठाकर देखा तो निशा उसे देखकर हस रही थी। जय को बड़ा अजीब लगा एक तो निशा अकेली उसके रूम मे खडी थी उपर से ज़ोर से हस रही थी। जय उठकर बेड पर बैठ गया और बोला,

 

निशा, तू यहा क्या कर रही है?”

 

निशा (हसते हुवे),”पहले तेरा घूँघट हटा जय

 

जय (मुस्कुराते हुवे),”ओह सॉरी लेकिन मेरी आदत है की मै कान को चदर से ढकता हु तो ही नींद आती है, वैसे भी आज दर्द ज़्यादा है तो सोने की कोशिश कर रहा था, लेकिन नींद नही आ रही है।

 

निशा,”इसीलिये मै तेरे पास आई हु।

 

जय थोड़ी देर देखता रह गया फिर गभराकर पुछ लिया,”लेकिन मूज़े तो कोई हेल्प नही चाहिये।

 

निशा,”अरे बाबा, घबरा मत, मै कुछ ऐसा वैसा करने नही आई हु, सच देख मै तेरे लिए विक्स लाई हु, इसे मसाज कर देती हु, तेरा दर्द शायद कम हो जायेगा।

 

जय,”नही निशा मै बिल्कुल ठीक हु, कोई ज़रूर नही है

 

लेकिन उसकी बात अधूरी ही रह गयी, निशा उसके बेड पर बैठकर अपनी उंगली उस वेइन पर विक्स लगा चुकी थी और बोली,”जय, don’t be silly and don’t worry। मै तुजे अच्छी तरह से जानती हु, तेरी इज़्ज़त लूटने नही आई हु। (फिर ज़ोर से हस पड़ी)।

 

जय का चेहरा उतर गया, फिर भी वो इनकार करने लगा तो निशा बोली,”क्या मेरी दोस्ती पसंद नही है तुजे, जय मै ऐसी वैसी लड़की नही हु मै प्यार करती हु साजन से इसीलिये उसे सबकुछ सौप देती हु। मूज़े ऐसी नज़रो से मत देखो, दूसरो को तो मै सहन कर लेती हु लेकिन कम से कम तुम ऐसा वैसा नही सोचोगे इतना मूज़े विश्वास था यार।

 

जय,”ओह, निशा मै तो कुछ सोचता ही नही तुम्हारे बारे मे, मूज़े सिर्फ़ इतना ज्ञान है की तुम्हारी लाइफ है, तुम जैसे जी ना चाहती हो जी सकती हो। लेकिन मूज़े ये डर है की कोई तुम्हे यहा देख लेगा और तुम्हारी और बदनामी करे, ये मूज़े पसंद नही है।

 

निशा,”(ज़ोर से हसकर) बदनामी?,  जयबदनामी तो जितनी सहनी थी मै सह चुकी हु। अब तो मूज़े कोई डर नही है बदनामी का।”  उस की आवाज मे कुछ दर्द सा था।

 

और जय सतर्क हो गया, जैसे उसके सिक्स्थ सेन्स ने घंटी बजा दी। जय ने निशा को देखा और धीरे से अपना हाथ उसके सिर पर रखा और बोला,”निशा ठीक है कोई बात नही ये विक्स तुम ही लगा दो मूज़े, ओके खुश बेबी।

 

निशा हस पड़ी और उसने जय को बेड पर फिर से सुला दिया और विक्स की डीब्बी खोल के उंगली पर फिर से विक्स लिया और धीरे धीरे वो वेइन पर मसाज करने लगी। जय ने आँखे बाँध कर ली और इनदोनो को पता नही था की निशी और साजन दरवाजे पर खड़े ये नज़ारा देख रहे थे। साजन अंदर जाने को तैयार हुवा, लेकिन निशी ने उसे रोक दिया और उसे खिच कर बाहर दीवारो पर सटाकर धीरे से बोली,”साजन, देख अभी जय कैसे निशा की जीवनलीला को खोलता है। सुन ले निशा क्या चाहती है?”

 

साजन ने धीरे से पुछा,”लेकिन निशा क्यू बतायेगी?”

 

निशी,”देख ले, यही तो चमत्कार है जय मे, देखना अभी वो पूरी बात बता देगी जय को। निशा तुजे चाहती है ये तो वो बता ही चुकी है, अभी देख आगे वो तेरे बारे मे क्या सोचती है वो भी बतायेगी। ये जय का चमत्कार है।

 

साजन और निशी फिर से दरवाजय के पास खडे रह गये और जय ने थोड़ी देर के बाद पुछा,”निशी, अपने बारे मे कुछ बताओ ना, तुम कहा की रहनेवाली हो और साजन से कैसे मिली?”

 

निशी,”मेरे पिताजी पुलिस मे थे and he is very honest police officer। एक हादसे मे उसकी मौत हो गयी और मै और मेरी मा अकेले हो गये। तब मै सिर्फ़ चार साल की थी। फिर हमलोग बोम्बे अंकल के पास चले गये और मै पढ़ने लगी। लेकिन जैसे जैसे उम्र बढ़ती गयी, सब की गंदी नज़रे मेरे शरीर पर पड़ती गयी। एक बार एक हादसे से मूज़े साजन ने बचाया और मूज़े और मेरी मा को आशरा दिलाया। मै पहले से ही योगा सिखाती आई हु और वहा बोम्बे मे ट्युशन भी देती थी। लेकिन साजन ने कहा की अगर मै चाहु तो बोम्बे की जगह यहा नागपुर मे अभ्यास कर सकती हु और साजन ने अपने पिताजी से कहकर मेरा अड्मिशन यहा नागपुर मे करवाया। वरना हमारे पास इतने भी पैसे नही थे की मै आगे पढ़ सकु। फिर साजन से दोस्ती बढ़ती गयी और हमारे रीलेशन और गहरे बढ़ते गये। मै उसे चाहने लगी।

 

जय,”क्या?''

 

निशी (मुस्कुराते हुए),''स जय आई लव साजन।''

 

जय,”और क्या साजन तुजे चाहता है ?”

 

निशा,”मैने कभी पुछा नही, और जानकर भी कड़वी सच्चाई सुन ने को मिलेगी। अच्छा यही है की मेरा प्यार मेरे पास रहे और साजन की लाइफ उसके पास।

 

जय,”तो फिर तेरा संसार कैसे बसेगा ?”

 

निशा,”अगर बोम्बे रहती तो मेरे ही रिलेटिव या तो मूज़े नौचते रहते और या तो मूज़े बेच डालते, इस से तो अच्छा है की जिसे मै प्यार करती हु उसे ही मेरा शरीर दे दु।

 

जय ने निशा का हाथ मसाज करने से रोक दिया और उठकर खड़ा हो गया और निशा की आँखो मे जाक कर देखा और फिर अपना दाया हाथ निशा के सिर पर रखकर पुछा,”एक बात पुछु निशा ?”

 

निशा,”बिल्कुल।

 

जय,”मुज पे इतना भरोसा क्यू करती हो ? मुज से डर नही लगता तुजे ?”

 

निशा,”तुम ऐसे होते तो उसी दिन मूज़े नौच डालते जिस दिन तूने मूज़े और साजन को देखा था।

 

जय हस पड़ा और फिर सीरीयस होकर पुछा,”निशा, एक और आखरी सवाल लेकिन सही सही बताना अगर मुज पर विश्वास हो तो।

 

निशा कुछ नही बोली और हा मे चेहरा हिलाया। जय,”निशा, क्या किसी ने रेप किया था तुजे ?”

 

निशा चौक्कर खड़ी हो गयी और बिल्कुल उसकी आँखे फटी रह गयी, उसका गला सुख गया और बोलती बाँध हो गयी। धड़कन तेज़ हो गयी और वो कुछ बोल नही पाई और तीखी नज़रो से जय को देखने लगी।

 

जय ने थोड़ी देर देखकर खड़ा होकर निशा के पास आया और उसे अपने गले लगा लिया और बोला,”तूने अभी दोस्ती का वास्ता दिया था की अगर मै तेरा दोस्त हु तो मसाज करने दूँगा, अब मै कहता हु की अगर सचमुच मेरी दोस्त हो तो खोल डालो अपने जीवन के उस पन्नो को जिसे दिल मे दबाये आजतक सिसक रही हो तुम।

 

और निशा रो पड़ी और टूट गयी। जय ने थोड़ी देर उसे रोने दिया और फिर निशा ने धीरे से चेहरा उठाकर जय को देखा और बोली,”हा जय खुद मेरे अंकल ने मेरे साथ बलात्कार किया था और एकबार नही कई बार किया है। इसीलिये मै बोम्बे छोड़कर यहा नागपुर आई हु।

 

जय ने उसके होटो पर हाथ रखकर चुप करा दिया और बोला,”बस निशा तेरे दिल मे जो दर्द छुपा था वो मैने बाहर निकाल दिया, अब पूरी कथा मत बताना, तेरे ज़ख़्म फिर से हरे हो जायेंगे।

 

लेकिन उतने मे साजन जल्दी से अंदर आ गया और निशा को हड़बडाकर बोला,”निशा तूने मूज़े क्यू नही बताया अब तक की तेरे साथ रेप हुवा है। जब वो राक्षस तुज पर रेप अटेंम्प्ट कर रहा था और तू बच गयी इसके बाद मैने पुछा तो तूने बताया था की ऐसा कुछ नही हुवा है तेरे साथ और अभी अभी तू कह रही है की तेरे साथ कई बार ऐसा हादसा हुवा है। सच क्या है आज मूज़े सुन ना है।

 

निशा, साजन और निशी को देखकर चौक पड़ी और घभरा गयी। उतने मे साजन की उची आवाज सुनकर पुरी टोली जमा हो चुकी थी। निशी ने उसे दिलासा दिलाया और बोली,”निशा, हम तेरे दोस्त है, कब से तेरी और जय की बाते सुन रहे है। मै जानती थी की तू किसी और को नही लेकिन जय तेरे से सबकुछ जान लेगा। बता दे पूरी बात, बता दे तेरा जी और हल्का हो जायेगा।

 

अब निशा स्वस्थ  थी और उसने बताना चालू किया।

 

बोम्बे मे निशा और उसकी मा दोनो अपने अंकल के यहा रहते थे। उसके अंकल भी पुलिस वाले थे धीरे धीरे निशा बड़ी होने लगी तो उसका रूप भी बढ़ने लगा। जब निशा 9वी कक्षा मे थी और उसकी उम्र 14 साल की हुई तब एक इंग्लीश स्कूल मे वो पढ़ती थी। एक दिन शाम को उसकी मा और चाची सब्जी लेने बाहर गयी थी। स्कूल से छुटकर वो घर आई और उसने चाचा को घर मे देखा और उसने पुछा तो बताया की अभी वे लोग घर वापस आ जायेंगे। निशा पहले से ही स्मार्ट थी और अपने अंकल को अपने पापा की नज़रो से ही देखती थी। उस दिन भी हमेशा की तरह उसके अंकल ने उसे बाहो मे भरकर गाल पे किस किया तो उसे कोई अजीब नही लगा और वो अंकल से छुटकर जल्दी से चेहरा और हाथ पानी से साफ किया और कपड़े चेन्ज करने अंदर के रूम मे चली गयी।

 

बोम्बे मे खाना मिलता है लेकिन रहने के लिये जगह नही मिलती। जहा उसके अंकल का घर था बिल्कुल छोटा सा था। दो छोटे कमरे और एक रसोईघर के नाम पर छोटा सा कोना था। दूसरे रूम मे वो गयी ही थी और जैसे ही स्कर्ट के दो बट्न्स खोले ही थे की उसके अंकल उस रूम मे पहुच गये और रूम अंदर से बंध कर दिया। थोड़ी देर मे ही निशा घबरा गयी और समज गयी की अंकल क्या चाहते है। 

 

निशा के आँखो से आँसू बहने लगे और धीरे धीरे वो कोने मे बैठ गयी और बोली,”अंकल प्लीज़ मै आप के बेटी जैसी हु, मुज पर दया करो प्लीज़। मै अभी बहुत छोटी हु प्लीज़।

 

अंकल,”अरे यार इसमे कोई बड़ा या छोटा नही होता, देखो मेरा कहा मानोगी तो बहुत खुश रहोगी और तुम्हारी लाइफ बन जायेगी। प्लीज़ जल्दी से जो मै कहता हु वो करो।” 

 

वो जल्दी से आगे पिछे देख रहे थे की कोई देख ना ले और फिर वो कोने मे आकर निशा के सामने ही बैठ गये और निशा का चेहरा अपने हाथो मे लेकर उसे जकड लिया। निशा के मूह से आवाज़ नही निकल रही थी और मूह अंकल के हाथो से जकड़ा हुवा था और उसकी आँखो से ज़ोर से पानी बह रहा था। निशा दर्द से कसमसने लगी और मना करने लगी लेकिन अंकल ने अपने होठ फिर से निशा के होठ पर लगा दिये थे। 

 

निशा छटपटाने लगी, लेकिन उसके अंकल ने उसे अचानक दीवारो से सटा दिया और बोले,”देख निशा नखरा मत कर, अगर कोई आ गया तो मै तुजे जिंदा नही छोड़ूँगा।

 

इस बार निशा से एक भयंकर लात अंकल के दो पैरो के बीच लग गइ। ये लात उसने जानबूजकर नही लगाई थी, लेकिन दबाव सहन नही हुवा और पैर अपने आप ही खड़े हुवे और लात लग गयी और अंकल दोनो हाथ पैरो के बीच लेकर आआअहह कर के बैठ गये। निशा भागने गयी लेकिन उसने ने निशा को गिरा दिया और कोने मे पड़ी एक छुरी लेकर निशा को दिखाई और बोले,”साली नखरे करती है, अब देख कैसे निकालता हु तेरी गोरी चमड़ी।इतना केहकर छुरी गले पे लगा दी।

 

निशा गभरा गयी और हाथ जोड़कर बैठी रही। अंकल ने एक हाथ से छुरी पकड़ी और दूसरे हाथ से स्कर्ट निकाल दिया। फ़िल्मो मे कइबार निशा रेप सीन देख चुकी थी, लेकिन ये तो खुद उसके साथ बीत रहा था। उसकी आँखो से उसकी मर्ज़ी से बाहर आँसुओ की धारा बह रही थी। सिसकिया गले मे अटकी पड़ी थी। चेहरा तंग हो चुका था, उसे मालूम नही था की कौन सा दर्द वो उठाने वाली थी। और अंकल के फौलादी हाथो से आखिर निशा बच नही पाइ। 

****

 

कुछ देर बाद अंकल खडे हुवे और निशा खुल्ले मन से जोरो से रो रही थी। अंकल ने अब उसे एक ही जटके मे बाहे पकडकर खडा किया,”देख, अगर कीसी  को बोला तो बोम्बे के बाजार मे फैक आउंगा जहा रात को रोज ये खेल होगा और बार बार होगा। इस से अच्छा है कभी कभी मुजे खुश रखा कर। इस के बदले मे तु और तेरी मा यहा सुकुन से रह सकते है। वरना आगे का अंजाम तु खुद समज सकती है। अब जा और जल्दी से मुह हाथ धो ले। कीसी को पता नही चलना चाहिये की यहा क्या हुवा है समजी। वरना मै पुलीसवाला हु तुजे रंडी बनाकर अदालत मे ले जाउंगा। कोइ नही आनेवाला तुजे बचाने यहा। इतना बोलकर वो जल्दी जल्दी पौछा लगाने लगे।

 

और गभराकर निशा बाथरुम मे चली गइ। जितना हो सक्ता था वो जी भर के रोइ और ठंडे पानी से नहाइ। दर्द जैसे ही कम हुवा और जब तक चाची और मा वापस नही आइ तब तक वो बाथरुम से बाहर नही आइ। शरीर का दर्द मिट गया लेकिन जो दर्द पिता समान अंकल ने उसे आज दिया था उस से विश्व के सभी पुरुष से उसे उसी वक़्त नफरत हो गइ। निशा फिर से खुल्ले मन से रोइ लेकिन उसे बचानेवाला वहा कोइ नही था। और ये बलात्कार का सिलसिला शुरु हो गया। कभी हफ्ते मे कभी महिने मे और निशा अब चुपचाप सहती रहती क्युकी पिता की गैरमौजुदगी मे उसे अपनी मा का ख्याल जो रखना था। 18 साल की निशा हुइ तब तक ये सिलसिला चलता रहा।

 

एक दिन निशा और उस के अंकल का फेमिली (अंकल और आंटी दो ही थे क्यु की उसे कोइ संतान नही था) राजस्थान की यात्रा पे गये हुवे थे। जयपुर के पुराने किल्ले पर देखने नीकले थे। देखते देखते निशा अपनी मा से कुछ पिछे रह गइ। अंकल ने आज तक निशा के लिये पहनने के लिये सिर्फ स्कर्ट ही खरीदे थे अपने फायदे के लिये। किल्ले मे अंधेरा होनेवाला ही था और किल्ले के अंदर अंकल ने उसे दबोच लिया। निशा ने इस बार अंकल को कहा वो इस के लायक आज नही है। समजते हुवे भी अंकल नही माने। वैसे पिछले कइ सालो से निशा सबकुछ जेल रही थी इसिलिये उसे कोइ फर्क नही पडता था और अंकल अपनी मनमानी से हवस पुरी कर लेते थे। आज निशा को डर था की ऐसी हालत मे उसे ज्यादा तकलीफ हो सकती है। उस ने गिडगिडाकर मनाया अंकल को लेकिन अंकल ने जिद पकड के निशा को दबोच लिया।

 

उसी वक़्त साजन और कुछ दोस्त वहा से गुजरे और देखा की एक कपल वहा एंन्जोय कर रहा है। साजन सहीत सब दोस्त हसकर वहा से गुजरने लगे। वैसे भी अन्धेरे मे ज्यादा कुछ दिखाइ नही दे रहा था। लेकिन निशा को अचानक हिम्मत जागी और उस ने इस बार अंकल के दो पैरो के बीच कस के लात मारी और भागने लगी। भागते भागते निशा साजन और उस के दोस्तो के पास से गुजरते हुवे कहा,”प्लीज मुजे मेरे अंकल से बचाइये वो मेरे साथ रेप कर रहे है।और वो आगे भागने लगी। पीछे ही अंकल आकर खडा हो गया। उस ने निशा का हाथ पकडकर कहा,”साली, देखता हु कौन तुजे बचाता है?”

 

साजन के एक दोस्त ने अंकल को जोर से लात लगाइ और बोला,”हरामी अपने बेटी के समान लडकी पर रेप कर रहा है? इतना ही जलता है तो बाजार मे चला जा घर की बेटी की इज्जत को क्यु लुट रहा है?”

 

अंकल खडा हुवा और कहा,”तु जानता है मै एक पुलिसवाला हु। एक पुलिसवाले पर हाथ उठाते हो अन्दर कर दुंगा सब के सब को।

 

साजन सहित सब दोस्त हसने लगे और साजन बोला,”ओ बुढ्ढे, इस का बाप यहा का एस.पी. है, मेरा बाप यहा का मेयर है, ये तीसरे का बाप वकील है, चौथे का बाप होम मिनिस्टर का चचेरा है। अब भागता है की और पहेचान करवाउ?”

 

और निशा का अंकल वहा से भाग खडा हुवा।

 

साजन ने निशा को कहा,”डरो मत, बचानेवाला कभी भी इज्जत पे हाथ नही डालता। हमारे साथ आओ कोइ तुम्हारा बाल भी छु नही सकता।

 

निशामथेंक यु, लेकिन नीचे उतरते ही वो फिर से वही करेंगेऔर निशा रो पडी। साजन ने उसे दिलासा दिया और सब नीचे आये। निशा के अंकल ने नीचे उतरकर आंटी और निशा की मा को बोला था की निशा अभी आ रही है। क्युकी सच्चाइ वो बता नही सक्ता था इसिलिये चुपचाप देख रहा था। जब जिशा गुरुर से साजन और उस के दोस्तो के साथ नीचे उतरी तो अंकल के होश उड चुके थे उस ने दुर से ही सब को हाथ जोडकर माफी मांगी और कुछ नही बोलने का इशारा किया।

 

लेकिन साजन सीधा आकर अंकल को एक थप्पड लगाइ। आंटी और निशा की मा को सबकुछ बता दिया। निशा ने अपनी मा के गले लगकर सारी बात रोते रोते बताइ। अब निशा की मा ने भी एक जोर का चाटा अंकल के गालो पर रशीद कर दिया। और निशा को अपनी बाहो मे भरकर रोने लगी। साजन ने फिर सारी बात समजाइ और निशा का एडमिशन नागपुर मे करवा दिया और उस की पढाइ का सारा खर्चा समाधि ट्रस्ट उठा ले ऐसा कर दिया और उस के मा के निर्वाह के लिये जयपुर मे मकान दिलाया और काम भी दिलाया।

*****

 

बस यही मेरी जिन्दगी है। इतना कहकर निशा ने नजरे उठाकर सब के सामने देखा। अब वो बिल्कुल नोर्मल थी, फिर भी आखो से आसु बह रहे थे क्युकी आज बरसो के बाद उस ने पहलीबार पुरी कथा कीसी को सुनाइ थी। पिछले देढ साल से वो साजन के साथ इस होस्टेल मे थी। साजन को मन ही मन वो चाहते लगी थी। हा वो इतना जरुर जानती थी की कहा साजन और कहा वो, इसिलिये कभी बता न सकी और ऐसे ही दिन पे दिन बित ते चले गये।

 

जय ने हाथो से निशा को दिलासा दिया और कुछ पल साजन खामोश रहा और फिर अचानक बोल उठा,"मेरे तो भाग्य ही फुट गये साले।"

 

जय ने पुछ लिया,"अबे हादसा निशा के साथ हो रहा था तो तेरे भाग्य कैसे फुट गये?”

 

साजन बिल्कुल गंभीर था और बोला,"यार जिस के साथ एन्जोय करता था वो तो पहले से ही एक्स्पीरियंस्ड नीकली।

 

निशा रोते रोते भी हस पडी और थप्पड साजन को लगाइ र बोल पडी,”क्या बेशरम लडका मिला है, रेप हुइ लडकी को एक्स्पीरियंस्ड बोलता है। एक बार भगवान तुजे लडकी बनाये और तेरे साथ रेप हो, फिर देखती हु एक्सपीरीयंस क्या होता है?” और सब की हसी छुट पडी क्युकी ये दोस्ती थी, प्यार था, एक निखालस दोस्ती की दास्तान थी। और साजन ने निशी को गले लगा लिया। वहा खडे टोली के दोस्तो ने निशा की दास्तान सुन चुकी थी। आज सब की नजरे निशा के बारे मे बदल चुकी थी। और वहा फिर से महेफिल जम गइ।

 

लेकिन ये बात टोली के एक भी दोस्त को मालुम नही था की क्या कुदरत ने ही उन सब को यहा इसी कोलेज केम्पस मे अपने सुख दुख बाटने के लिये इकठ्ठा किया था, या फिर बात कुछ और थी? कौन जाने कहा???

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12 Comments

Art&culture

19-Apr-2022 12:18 AM

Incredible

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PHOENIX

19-Apr-2022 09:41 AM

Thank you.

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Sandhya Prakash

19-Feb-2022 02:30 PM

Sach me kitne chehre ho te insan ke.

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PHOENIX

19-Feb-2022 05:53 PM

जी हा । इस दुनिया मे जो दिखता है वो होता नही और जो होता है वो दिखता नही। धन्यवाद आप का।

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सिया पंडित

19-Feb-2022 02:16 PM

Good story.

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PHOENIX

19-Feb-2022 05:52 PM

Thank you so much.

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