Sunanda Aswal

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वार्षिक प्रतियोगिता हेतु कविताएं

शीर्षक : ( भाग -२ विकास)
विधा: कविता


विकास के आयामों,स़ोपानों पर लिख रहे,
बढ़ते कदमों के हौसले बुलंद ,हम खड़े ..!

चहुंमुखी विकास का संकल्प राह ताके,
अंधकार में प्रकाश का दीप ज्ञान सजे..!

राग -द्वेष ,ऊंच नीच , जात-पात भूलें
हाथ एकता के बल का पाठ सीखें ..!

देश की नीतियों विज्ञान -तकनीकी शिक्षा ले,
होनहार युवा प्रेरक बने जुड़े विकास से ..!

गांव -अब शहर हुए ,जाग रहे स्वप्न से ,
भाषा जागृति की सीखने आई,भोर नभ से !

कपाट परिवर्तित होते भाग्य के ,
पुरुष -स्त्री परिलक्षित कंधे -कंधे से ..!

पढ़ रहे निर्बल , कमजोर , असहाय , मजबूर,
देश की नव चेतना का बने अनवरत संचार.!

हमारा बच्चा -बच्चा कामयाबी कहे,
अनोखी कहानी विकास की गढ़ रहे ..!

कदमों के कण पुष्प बने ,
बागवां भी महक रहा भरे सौंदर्य से ..!


#लेखनी
#लेखनी कविता
#लेखनी कविता का संग्रह
सुनंदा ☺️



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5 Comments

Seema Priyadarshini sahay

14-Feb-2022 01:20 AM

बहुत ही खूबसूरत लिखा आपने

Reply

Sunanda Aswal

13-Feb-2022 12:04 PM

धन्यवाद हृदय से आभार

Reply

Swati chourasia

12-Feb-2022 07:10 PM

Bohot hi khubsurat rachna 👌

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