दुल्हन की विदाई
दुल्हन की विदाई
मुस्कुरा के जा रही वो डोली में सवार
रोए क्यूं वो, मिल रहा उसे साजन का प्यार
हां बाबुल की गलियां छोड़ने का है कुछ गम
पिया में मिल रहा एक नया साथी हमदम।
वो अपने साथ लेकर जा रही बाबू जी का स्नेह
मां से मिला उसको गृहस्थी बसाने का ध्येय
भाई भाभी का आशीष उसका कवच है बना
है सौभग्यशाली वो उसको संस्कार जो मिला।
पाएगी ससुराल में सासू से मां का छूटा दुलार
देवर में उसको मिलेगा भाई का सच्चा प्यार
ससुर जी उसके अब से बाबुल बनेंगे
होगा परिवार पूरा जब नन्हे फूल खिलेंगे।
एक प्रेम की नई बगिया खिलेगी
बहू, भाभी, चाची, अब वो बनेगी
सुगन्ध जो बाबुल के अंगना से लाई
बिखेरेगी आंगन में, जिसकी इज्जत बन के आई।
खिलेगी मुस्काएगी पा के दोनों का साथ
है खुशकिस्मत जो मिल रही रिश्तों की सौगात
धान सी धानी चुनर ओढ़ कर रोपा है आज
गृह लक्ष्मी का उसके सर पे सजाया है ताज।।
आभार - नवीन पहल - १२.०२.२०२२🌹👍🙏😀
# लेखनी काव्य वार्षिक प्रतियोगिता हेतु
Swati chourasia
12-Feb-2022 07:16 PM
Very beautiful 👌
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नवीन पहल भटनागर
20-Feb-2022 01:02 PM
Thank you
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Seema Priyadarshini sahay
12-Feb-2022 06:40 PM
बहुत खूब आदरणीय
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नवीन पहल भटनागर
20-Feb-2022 01:02 PM
धन्यवाद सीमा जी
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Gunjan Kamal
12-Feb-2022 06:26 PM
बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति👌👏🙏🏻
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नवीन पहल भटनागर
20-Feb-2022 01:02 PM
धन्यवाद गुंजन जी
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