आलिंगन
आलिंगन
प्रथम आलिंगन प्रेम का भरे हृदय विश्वास
माता से संतान का नाता होता खास
सुरक्षित सबसे वक्ष वो, कवच वही अभेद
चक्षु भले न खुले हों जाने गोद गोद का भेद।
आचंल की इस छांव में पले मनुज और देव
प्रेम उसका निस्वार्थ है, नहीं कोई भी ध्येय
अमृत की इस धार का नहीं कोई भी सानी
मां का स्नेह सबके लिए विश्व के जितने प्राणी।
हो जाओ कितने बड़े, कर लो चाहे नाम
ममता वो अमूल्य है, नहीं चुकेंगे दाम
सींच के अपने रक्त से देती तुमको प्राण
हाड़ मांस उसका तुम्हे दिया हुआ सब दान।।
आभार – नवीन पहल – १२.०२.२०२२ ❤️❤️🌹🙏🏻
# प्रतियोगिता हेतु
Shrishti pandey
14-Feb-2022 09:15 AM
Very nice sir
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Abhinav ji
13-Feb-2022 02:07 PM
Nice
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Punam verma
13-Feb-2022 08:53 AM
Very beautifull
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