Sonia Jadhav

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वार्षिक प्रतियोगिता- लेख- खत्म होते जंगल

ख़त्म होते जंगल

न जाने कितने शहर बस चुके हैं, बस रहे हैं और न जाने कब तक बसते रहेंगे। इन शहरों को बसाने के लिए न जाने कब तक जंगल यूँ ही अपनी कुर्बानी देते रहेंगे। एक दिन ऐसा आएगा जंगल पूरी तरह से खत्म हो जायेंगे और हर जगह सिर्फ आबादी से ठसाठस भरे शहर नज़र आएंगे।

जंगल खत्म हो गए तो जंगल में रहने वाले पशु, पक्षी कहाँ जायेंगे? 
अपने जंगल को खोजते-खोजते शहरों की सीमाओं के भीतर घुस जायेंगे, मचाएंगे आतंक और एक दिन मानव जाति के हाथों मारे जायेंगे। आखिर कब समझेंगे हम वो हमारी सीमा में नहीं घुसे हैं, बल्कि हमने उनकी जगह हथिया ली है। ऐसे में बेघर जानवर कहाँ जायेंगे?

विकास के नाम पर  जंगलों का सफाया किया जा रहा है। लेकिन हम यह नहीं समझ रहे जिस दिन जंगल पूरी तरह से खत्म हो गए उस दिन हम भी नहीं बच पाएंगे।

ईश्वर ने बड़े से बड़े और छोटे से छोटे जीव-जन्तुओं का निर्माण बड़े ही सोच समझकर किया है। सभी अपने जीवन के लिए एक दूसरे पर आश्रित हैं। जंगल रहेंगे तभी तो सभी जीव-जंतु, पेड़-पौधे जीवित रह पाएंगे। अपना घर बनाने के लिए किसी और का घर तोड़ने में कौन सी समझदारी है। अगर आप प्रकृति से कुछ लेते हैं तो बदले में उसे कुछ दीजिये भी। लेकिन मनुष्य इतना स्वार्थी है जो सिर्फ लेना जानता है, देना नहीं, फिर वो चाहे प्रकृति के संदर्भ में हो या आपसी रिश्तों में। सच कहूँ तो मनुष्य की यही सोच एक दिन उसके पतन का कारण बनेगी।

गूगल से प्राप्त आंकड़ों के अनुसार पूरी दुनिया के जंगलों का 10वां भाग तो पिछले 20 सालों में ही खत्म हो गया है। यह गिरावट लगभग 9.6 फीसदी के आसपास है। करंट बॉयोलॉजी' नाम की शोध पत्रिका में प्रकाशित एक ताजा अध्ययन के अनुसार अगर यही हाल रहा तो इस शताब्दी के अंत यानी सन् 2100 तक दुनिया से जंगलों का पूरी तरह से सफाया हो जाएगा। तब न अमेजन के जंगलों का रहस्य बच पाएगा, न अफ्रीका के जंगलों का रोमांच रहेगा और न हिमालय के जंगलों की समृद्धि ही बच पाएगी। 

❤सोनिया जाधव

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3 Comments

Mam apke is lekh ne n keval ye btaya hai ki jangal aur ped paudho k bina dunia ka kya hal hoga ... Balki ehsas bhi kya diya😬 ki wo din kitna nikt hai jab hum sabki band baj jayegi.

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Seema Priyadarshini sahay

14-Feb-2022 12:42 AM

बहुत सटीक लिखा मैम

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NEELAM GUPTA

13-Feb-2022 09:23 PM

बिल्कुल सही कहा आपने बहुत बढिया

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