Sonia Jadhav

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लेख इयर कविता प्रतियोगिता- 5) आमदनी

कविता का शीर्षक-आमदनी

आमदनी कुछ नहीं 
लेकिन खर्चे बेहिसाब हैं।
जिंदगी जीने की इस जद्दोजहद में,
हम अकेले नहीं,
हम जैसे हज़ार हैं।

जितनी भी मेहनत कर लें दिन भर,
कुछ न कुछ कमी रह ही जाती है।
पत्नी और बच्चों की आँखों में,
शिकायत दिख ही जाती है।

हारा हुआ सा महसूस करता है एक आदमी,
जी तोड़ मेहनत के बावजूद,
जब आमदनी जस की तस रह जाती है।

महीने के आखिर में,
जब पत्नी और बच्चों की आँखें,
एक बार फिर अपने सपनों से,
समझौता करती नज़र आती हैं।

.❤ सोनिया जाधव

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2 Comments

Seema Priyadarshini sahay

14-Feb-2022 10:55 PM

बड़ा सुंंदर सटीक लिखा है आपने

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Abhinav ji

14-Feb-2022 11:08 AM

Nice

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