Bali phlwan

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नारी और नाड़ी



 *बाली पहलवान*

महिला दिवस के अवसर पर एक प्रयासः

          *नारी और नाड़ी*

नाड़ी का भरोसा है नहीं तन में ,
तो नारी का भरोसा क्या करना ।
छोड़ दे गर साथ कोई तन का ,
तो पड़ता है उसे भी यूँ ही मरना।।
किन्तु दोनों में बहुत फर्क है यारों,
जबकि दोनों ही हैं जीवन के अंग।
दोनों बिन जीवन खत्म या अधूरा,
नहीं गर दोनों में कोई एक संग ।।
नाड़ी ही तो है जीवन की गति ,
तो नारी ही है जीवन के पूरक ।
नारी बिन यह जीवन है अधूरा ,
नाड़ी बिन सूरत होती बदसूरत ।।
छोड़ दे नाड़ी गर साथ जीवन का,
तन मूर्दा लाश बन चला जाता है ।
छोड़ दे नारी गर साथ जीवन का ,
तन जिंदा लाश बन रह जाता है।।
निकल जाता प्राण छोड़ तन को ,
किंतु नाड़ी तन के साथ जाता है ।
उत्तम नारी का साथ जीवन में ,
भाग्यशाली को ही मिल पाता है।।
नारी छोड़ देती उस मुर्दा तन को ,
किंतु नाड़ी जाता है तन के साथ ।
मिल जाता मिट्टी में साथ ही नाड़ी,
नारी पकड़ लेती दूसरे का हाथ ।।
नाड़ी छोड़ता नहीं कभी तन को ,
अमीरी गरीबी कभी सुख दुःख में ।
नारी कर सकती बेवफाई पति से,
तन और धन की अधिक भूख में ।।
जब तक रहता यह प्राण तन में ,
नाड़ी काम करता होकर स्वच्छंद।
छोड़ता प्राणवायु जिस तन को ,
तो नाड़ी भी काम कर देता बंद ।।
नाड़ी को कभी कहीं किसी से ,
होता नहीं कोई लालच या भय ।
जन्म से लेकर आखिरी साँस तक ,
गाता रहता है वह एक ही लय ।।
नारी तो बिक सकती है लेकिन ,
नाड़ी कभी बिक सकता है नहीं ।
नाड़ी ही है सच्चा जीवन संगी ,
नाड़ी समक्ष कोई टिक सकता नही ।।


पूर्णतः मौलिक एवं
अप्रकाशित रचना ।

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2 Comments

Seema Priyadarshini sahay

14-Feb-2022 11:15 PM

बहुत खूबसूरत

Reply

जी बहुत ही खूबसूरत रचना

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