नागफेनी--3
नई सुबह हो रही थी।आसमान रक्तिम आभ लिए बढ़ रहा था।आसपास का पूरा वातावरण पक्षियों के कलरव से गूंज उठा था।
एक नई सुबह और नई आशाएं।
,,गुड मॉर्निंग एवरीवन..शोभित सर ने जोर से आवाज लगाई।
सभी बच्चे आधे घंटे में सामने वाले हॉल में मिलेंगे।,,
आधे घंटे में सारे बच्चे हॉल मे जमा हो चुके थे।नीति मैम ने अटेंडेंस लिया.......!!हाँ ठीक है।अब सभी लोग ध्यान से सुनो।
ऑल बॉयज अविनाश सर के साथ और यू ऑल गर्ल्स मेरे और शोभित सर के साथ रहोगी।
बिना हमारे परमिशन के कोई भी इधर उधर नहीं जाएगा।
ये आठ लोगों का ग्रुप टूटना नहीं चाहिए।,,
,,यस मैम..!!,,सभी बच्चे बोले।
शोभित सर--आज से हमें अपना प्रोजेक्ट शुरू कर देना है।बस पाँच दिन है,इसमें ज्यादा से ज्यादा काम और अच्छा वर्क करने की कोशिश कीजिए।
आप सभी को अलग अलग विषयों पर काम करना है।आपलोग अपना अपना चॉइस नीति मैम को दे दीजिए।,,
बच्चों में खुसरफुसर शुरू हो गई।
अजय--देख अमन तो वही ग्रुप चुनेगा जिसमें सिमरन होगी।हा..हा..करते वह हँसने लगा था।
सिमरन--शटप,अजय ,जस्ट टॉकिंग नॉनसेंस।
सारे स्टूडेंट्स ने नीति मैम को अपने पसंदीदा विषय थमा दिए थे।
पर सबसे पहले नागफेनी के आदिवासी और उनकी लाइवलीहुड, खाना ,पेशा आदि के बारे में तो कॉमन जानकारियां इकट्ठी करनी थी।
सुबह का नाश्ता करके सब लोग निकल लिए।दोपहर तक लौट आना था।
दस बजते बजते धूप बहुत ही तीखी हो आई थी।सारे बच्चों का ग्रुप अब गांव नागफेनी के मुख्य गांव में पहुंच चुका था,जहां लोगों की जनसंख्या सबसे अधिक थी।
गांव के लगभग मर्द तो खेतों में थे या अपने अपने धंधों में।
घर में महिलाएं ही थीं और बच्चे खेलते हुए..!!
चौराहे पर एक विशाल बरगद का पेड़ था,जिसके चारों तरफ़ पत्थर और सीमेंट का चबूतरा बना हुआ था।
गांव की पंचायतें वहीं पर होती थीं।
नीति मैम ,अविनाश सर और सारे बच्चे वहीं पर बैठ गए।
सर्वे के सारे प्रश्न तैयार थे।सब लोग गांववालों के जवाब,समस्या,जो भी बोल रहे थे,लिखते गए। थीसिस का पृष्ठभूमि तैयार होता जा रहा था।
लगभग 1घंटा बीत गया था।राज ,अमन और विकास तीनों चहलकदमी करते हुये थोड़ा आगे निकल आए।
वहां पर सड़क के किनारे एक कुम्हार-चरण मिट्टी के सामान बेच रहा था।वे तीनों चार -पाँच मिट्टी की सुराही( पानी पीने का मिट्टी का बरतन) खरीद लिए।
बातचीत के दौरान में अमन ने नागफेनी गांव के बारे में पूछा।
गांव से सटकर बहनेवाली नदी--सर्पगंधा और रहस्यों से भरे जंगल --बसई के बारे में पूछा।
चरण( कुम्हार)--बाबू,हम निपट गंवार..हम अधिक तो ना जानते हैं,पर सर्पगंधा नदी के बारे में सुने हैं कि वो आसमान से उतरकर आई है। शापित अप्सरा थी ।स्वर्ग में नाचती थी ।यह नदी कहाँ से शुरू होती है,यह कोई भी नहीं जानता।
बसई का वन भी बहुत ही भूतिया है ।देखो शहरी बाबू..तुमलोग यहां के बारे में ज्यादा मत जानो।बस जंगल में बहुत अधिक मत घूमना।,,
अब चरण जोरजोर से खाँसने लगा था।
उन सभी लोगों को आए तीन घंटे हो रहे थे।उन्हें वापस भी लौटना था।दोपहर के खाने का वक्त हो चुका था ।
***
दोपहर का खाना खाकर टीचर और बच्चे अपने अपने कमरों में चले गए।
नीति मैम भी कमरे में आ गई।वह गर्ल्स से बोलीं
,,क्यों,आज मजा तो आया न।,,
जी,मैम,हमें तो बहुत मजा आया।हमने खूब एन्जॉय किया गांव की लाइफ को।
सागरिका चुपचाप अनमनी सी बैठी थी।वह खिड़की के बाहर देख रही थी।
नीति मैम ने उसे टोका
,,सागरिका,यू आर ओके ना।कोई प्रॉब्लम है क्या?,,
,,कोई भी परेशानी हो तो प्लीज शेयर कर सकती हो!!,,
,,नो मैम..,,इट्स ओके।
,,नहीं सागरिका..तुम कुछ उदास सी लग रही हो..क्या बात है?,,
,,नो मैम..वो मैं...!!...मैं कल वाली आवाज़ से डर रही थी..पता नहीं क्यों...मुझे बहुत डर लग रहा है!,,
,,नो बच्चे,ऐसे डरते नहीं हैं।रिया,अनु तुमलोग सब सागरिका को कंपनी दो..साथ में बातचीत करो ताकि डर न लगे।,,
,,जी मैम।,,रिया ने कहा।
नीति मैम कमरे में आराम करने लगती हैं और रिया,सिमरन और अनु सागरिका को लेकर गेस्टहाउस के लॉन में आ जाती हैं।
गेस्टहाउस के एक कोने में झूले लगे थे।सभी लड़कियाँ झूले झूलने लगती हैं।
रिया अजय को फोन करती है तब अजय और अमन भी वहां आ जाते हैं।
सभी फ्रेंड्स आपस में बात करते रहते हैं,तभी अविनाश सर बदहवास से वहां आकर बोले--,,नीति मैम के पेट में बहुत दर्द हो रहा है..जल्दी अंदर चलो तुमलोग।,,
सब बच्चे अंदर जाते हैं।
नीति मैम पेटदर्द से छटपटा रही थी।
रिया--अचानक,ये कैसे हो गया।अभी आधे घंटे पहले तक तो बिल्कुल ठीक थीं।
अनु--जी सर, मैम ने ही हमें बाहर टहलने को बोला था।
शोभित सर--अभी इन बातों के लिए समय नहीं है।जल्दी किसी डॉक्टर को बुलाओ।
अजय--यहां देहात में कोई अच्छा डॉक्टर होगा भी..!!
मुश्किल से एक डॉक्टर का पता मिला।उसने पास वाले गांव के सरकारीअस्पताल में ले जाने को कहा।
शोभित सर वापस गेस्टहाउस आकर बोले
--,,बच्चों हमलोग को दूसरे गांव वाले अस्पताल में जाना पड़ रहा है,प्लीज कोई शरारत नहीं करोगे।एकदम शाँति बनाकर रखोगे।और कोई दो..विकास और मानव तुम दोनों भी हमारे साथ चलो।,,
,,जी सर..!!,,मानव और विकास दोनो शोभित सर के साथ चले जाते हैं।
***
क्रमशः
स्वरचित...
सीमा...✍️
Shnaya
07-Apr-2022 12:11 PM
Very nice👌
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Abhinav ji
07-Apr-2022 08:07 AM
Very nice👍
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